द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   नेता चेले
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2 कुरिन्थियों 5:20 में हम पढ़ते हैं, “सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है। ” यीशु मसीह के लिए एक राजदूत होना, यह एक विशाल बुलावा है। परमेश्वर के एक सच्चे बालक में एक गरिमा होती है। यहां तक कि एक बहुत ही गरीब देश के राजदूत भी अपने में एक गरिमा रखता है; और जितना बड़ा और अधिक शक्तिशाली वह देश हो, उतना ही अधिक गरिमापूर्ण उसके राजदूत होगें। भारत में अमेरिका के राजदूत के बारे में सोचिए। आप कल्पना कर सकते हैं किस गरिमा के साथ वह खुद को आयोजित करता है, क्योंकि वह जानता है कि वह दुनिया में सबसे बड़ी सत्ता का प्रतिनिधित्व कर रहा है। वह कुछ भी सस्ता या अशोभनीय काम नहीं करेगा। वह पैसों को मागंने के लिए, लोगों के पास नहीं जाएगा, और वह कुछ ऐसा काम नहीं करेगा जिससे कि उसके देश को अपमान मिले। आप कल्पना कर सकते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदूत आपके घर आकर, अपने देश की मदद के लिए कुछ पैसे आपसे पूंछते है?

मान लीजिए कि सूट पहना हुआ एक आदमी, आपके दरवाजे पर प्रकट होता है (या टेलीविजन पर) और कहता हैं, "मैं संयुक्त राज्य अमेरिका का राजदूत हूं। हमें अपने देश में कुछ पैसे की ज़रूरत है। क्या आप हमारे काम के लिए एक सौ रुपए दान कर सकते हैं? आप क्या कहेंगे? आप कहेंगे, "आप एक धोखेबाज हैं। आप संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदूत नहीं हैं। अमेरिका का राजदूत इस तरह से पैसों के लिए भीख कभी नहीं माँग सकता।"

अब मान लीजिए कि एक और आदमी आपने दरवाजे पर (या टेलीविजन पर) दिखाई देता है और कहता है कि "मैं प्रभु यीशु मसीह का राजदूत हूं। हमें अपने काम के लिए कुछ पैसों की ज़रूरत है। क्या आप हमारे काम के लिए एक सौ रुपए दान कर सकते हैं? आप उनपर विश्वास करते हैं और उसे पैसे दे देंगे। क्यों? क्योंकि आपको लगता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदूत एक सम्मानजनक आदमी है, जबकि प्रभु यीशु मसीह के राजदूत एक भिखारी है।

इस पूरे ब्रह्मांड में केवल एक ही सर्व शक्ति है - और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर का राज्य है। अमेरिकी राजदूत पृथ्वी पर सबसे बड़ा पावर का प्रतिनिधित्व कर सकता है। लेकिन सभी विनम्रता के साथ मैं कह सकता हूँ मैं ब्रह्मांड में सबसे बड़ी पावर का राजदूत हूं। यीशु का एक सच्चा शिष्य यही है। क्या आप अपने आप को इस तरह के एक राजदूत की गरिमा के साथ आचरित करते है? यह मेरे हृदय को दुखी करता है जब मैं यीशु मसीह के नाम अपमानित देखता हूं जिस अशोभनीय, सस्ते तरीके से मसीही सेवक टीवी पर और उनके कलीसिया के बैठकों में और प्रार्थना-पत्रों के माध्यम से पैसों के लिए भीख माँगते है। भजन 50:12 में, परमेश्वर कहते हैं, यदि मैं भूखा होता तो तुझ से न कहता; क्योंकि जगत और जो कुछ उस में है वह मेरा है। परमेश्वर के एक सच्चे सेवक भी यही कहते हैं: "अगर मैं भूखा या दरिद्र हूं, मैं तुम्हें। नहीं बताऊँगा, मैं स्वर्ग में मेरे गुरु को बताऊंगा, जो सारी पृथ्वी का मालिक है।"

एक राजदूत को हमेशा अपने देश के साथ संपर्क रखना होता है। एक दिन के लिए भी, अपने घर देश के साथ संपर्क से बाहर, वह नहीं हो सकता। हमें भी इसी प्रकार रहने के लिए कहा गया है। मैं उन दिनों को देखना चाहता हूँ जब परमेश्वर के सेवक, ब्रह्मांड में सबसे बड़ी पावर के एक राजदूत की गरिमा के साथ खुद का आयोजन करेंगे - वे भले ही गरीब हो और साइकिल पर सवारी कर रहे हो। लेकिन इस तरह के कितने मसीही सेवकों से आप मिले हैं? अधिकांश मसीही सेवक सिर्फ सम्मानजनक भिखारी हैं, हमेशा पैसों के लिए लोगों को पूछते है और अमीरों के पीछे जाते है। यह एक दुःखद बात है।

हमेशा याद रखें कि आप यीशु मसीह के एक राजदूत है, आप जहां पर भी जाते हो – जब आप ट्रेन में या बस या कहीं भी यात्रा करते हो। 2 कुरिन्थियों 6:3-10 में पौलुस कहते है कि किस प्रकार उन्होनें खुद को मसीह के एक राजदूत के रूप में आयोजित किया। हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए। परन्तु हर बात से परमेश्वर के सेवकों की नाईं अपने सद्गुणों को प्रकट करते हैं, बड़े धैर्य से, क्लेशों से, दिरद्रता से, संकटो से। कोड़े खाने से, कैद होने से, हुल्लड़ों से, परिश्रम से, जागते रहने से, उपवास करने से। पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से। आदर और निरादर से, दुरनाम और सुनाम से। लेकिन सब कुछ में हम यीशु मसीह के राजदूत के रूप में सराहना करते है। कुछ हमें कपटी कहते है, जबकि दूसरों के लिए हम परमेश्वर के सच्चे सेवक हैं। हम दुनिया में अज्ञात है लेकिन परमेश्वर के लोगों के बीच अच्छे तरह से जाने हुए है। मरने के समान लेकिन हम जीवित हैं। हम कई कष्टों का सामना करते है, लेकिन हम जानते हैं कि जब तक परमेश्वर का समय नहीं आता हम मरेंगे नहीं। हम परमेश्वर से अनुशासित हैं, लेकिन हम अभी मरे नहीं। हम अक्सर दुखी हैं, इसलिए नहीं कि लोग हमें आहत कर रहे हैं, लकिन इसलिए कि हम चिंतित है उन सब के लिए जो पाप में खोए हुए है और उन सारे विश्वासियों के लिए जो सांसारिक हैं। लेकिन हम हमेशा खुश हैं क्योंकि हमारी खुशी प्रभु में है। हम तात्विक रूप से गरीब हैं, लेकिन हम कई लोगों को आध्यात्मिक रूप में समृद्ध बना रहे हैं। एक दृष्टि से देखा जाए हमारे पास कुछ भी नहीं है, फिर भी दूसरी दृष्टि से सभी चीजों के हम अधिकारी है, क्योंकि हम स्वर्ग और पृथ्वी के अधिकारी है। सब कुछ हमारे निपटान में है। परमेश्वर सब कुछ प्रदान करता है जिनकी हमें ज़रूरत है। बैंक खाते के विषय में हमारे पास ज्यादा नहीं हो सकता है। हम अक्सर दिन से दिन में रहते हैं। लेकिन परमेश्वर हमारा परवरिश करता है। " पौलुस इस तरीके से रहता था। उन्होंने 'समृद्धि सुसमाचार' में कभी विश्वास नहीं किया।