द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   परमेश्वर को जानना
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परमेशवर ने यहोशू से कहां कि तुम जिस जिस स्थान पर अपने पांवों को रखोगे, वह सब मैं तुम्हें दूंगा। (यहोशू 1:3) और कोई भी व्यक्ति, तुम्हारे जीवन भर तुम्हारा सामना नहीं कर सकेंगा;(यहोशू 1:5) । यह नए नियम के रोमियों 6:14 में हमें दी गई प्रतिज्ञा का प्रतीक है। तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम अनुग्रह के आधीन हो। कनान देश, अतीत में कई रपाईयों द्वारा शासन किया गया था। लेकिन वे सभी पराजित किए जाएंगे । एक भी पाप (हालांकि जितना शक्तिशाली हो) हमपर सक्षम प्राप्त नहीं कर पाएगा। हमारे लिए परमेशवर की यही इच्छा है। लेकिन वास्तव में यहोशू को उस क्षेत्र में अपने पैरों को नीचे रखकर, परमेशवर के नाम में यह दावा लेना पङा। तब ही उन्हें यह प्राप्त होगा। हमारे साथ भी ऐसा ही होगा। हमे विश्वास के साथ अपनी विरासत पर दावा लगाना है। यदि हम परमेश्वर के प्रतिज्ञाओं को पकड़ना नहीं जानते तो हमारे जीवन में उसकी पूर्णता को कभी देख नहीं पाएंगे।

हियाव बान्धकर और दृढ़ हो कर और ध्यानपूर्वक परमेश्वर के सभी वचनों का पालन करना। उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बांए (यहोशू 1:7)। यदि परमेश्वर का वचन यह कहता है कि आप पर पाप की प्रभुता न होगी, तब आप उसपर विशवास करे। उससे न तो दाहिने मुड़ना और न ही बांए। इसका यह मतलब है: कि उस प्रतिज्ञा की चौड़ाई को आप कम न करे। कुछ पापों को शामिल करने के लिए इसके चौड़ाई को कम न करे। उसी समय पर, यह क्या कहती हैं उससे अधिक अर्थ न निकाले। यह न कहे कि हम मसीह के समान, इस धरती पर पूर्ण हो सकते है। हम इस धरती पर निष्पाप सिद्ध, नहीं हो सकते है। उस प्रतिज्ञा का यह कहना नहीं है। यह सारी ‘ज्ञात पापों’ पर विजय पाना, इस विषय में कहती है (सचेत पाप)। हम पूर्ण रूप से मसीह के समान, केवल उनके आगमन पर ही हो सकते है। 1 यूहन्ना 3: 2 इस विषय पर स्पष्ट है। इस कारण से, हम न तो बाइबिल के सीमा को पार करे और न ही हमारा भरोसा बाइबिल के दी गई प्रतिज्ञाओं से कम हो।

मसीह की तरह बनना, इसकी तुलना कनान की सारी भूमि को लेने के साथ, या तो एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर चढ़ने के साथ, की जा सकती है।

जब हम परिवर्तित होते है, हमारे पापों को क्षमा मिलती हैं और हमारे अतीत को परमेश्वर मिटा देते है। लेकिन फिर भी हम कई पापों के दास हैं। इसकी तुलना हम पर्वत के नीचे आने से कर सकते हैं। तो फिर हम इस पहाड़ पर चढ़ना शुरू कर देते हैं। पहाड़ की चोटी, मसीह के एकदम पूर्णता को प्राप्त करने के अनुकूल है। हम वहाँ पर केवल मसीह के आगमन पर पहुँच सकते है। लेकिन हमें सदा - पाप से हारे हुए - उस पहाड़ की तलहटी में रहने की आवश्यकता नहीं। नहीं। बाइबिल कहती है कि हम सिद्धता की ओर आगे बढ़ते जाएं (इब्रानियों 6:1) । 2 कुरिन्थियों 7:1 में निर्यात किया गया है कि हम परमेश्वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें। "पूर्णता" इस शब्द से हमें भयभीत नहीं होना चाहिए। हमें सिद्धता की ओर जाना है। पौलुस ने अपने जीवन के अंत में यह कहा कि, "मैं अभी तक शीर्ष तक नहीं पहुँचा हूँ, लेकिन में आगे की ओर बढ़ रहा हूँ (फिलिप्पियों 3:12-14)। परमेश्वर हम में से कई को यह कह रहे है, तुम इस पहाड़ के चरण पर काफी देर तक रुके हुए हो । अभी चढ़ो। आगे बढ़ो। हम इसके न तो दाहिने मुड़े और न ही बांए।

व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए।(यहोशू 1:8) हमारे हृदय में परमेश्वर के वचन को होना चाहिए, और हमें इसे अपने मुंह में भी रखना चाहिए। हमें अपने मुंह से परमेश्वर के वचनों को स्वीकार करना चाहिए। आज कई मसीहियों के साथ यह कठिनाई है कि वे ऐसी चीज़ों का स्वीकार करते हैं जिनपर वे अभिलाषा रखते है। वे कहते हैं, "मैं स्वीकार करता हूँ कि मुझे एक बड़ा घर मिल जाएगा। मैं स्वीकार करता हूँ कि मुझे एक बेहतर नौकरी मिल जाएगी। मैं स्वीकार करता हूँ कि मुझे एक अच्छी कार मिल जाएगी "!! इन सभी को स्वीकार करने के बजाय, हमें परमेश्वर के वचन को स्वीकार करना चाहिए। "हे प्रभु, मैं स्वीकार करता हूँ कि मैं क्रोध पर जीत पाऊंगा। मैं स्वीकार करता हूँ कि मैं पूरी तरह से अपनी आँखों की अभिलाषाओं पर जीत पांऊगा। मैं स्वीकार करता हूँ कि पैसों के प्रेम पर जीत पांऊगा। ये ऐसी चीजें हैं जिन्हें हमें अपने मुंह से स्वीकार करना चाहिए। लेकिन शैतान यह नहीं चाहता कि हम इन्हें स्वीकार करे और इसलिए वह हमें भौतिक चीज़ों के लिए हमारी अभिलाषाओं को स्वीकार करवाता है।

आप ऐसे लोगों के साथ कलीसिया का निर्माण नहीं कर सकते, जो भौतिक चीज़ों में रुचि रखते हैं। आप केवल ऐसे लोगों के साथ कलीसिया का निर्माण कर सकते, जो स्वर्गीय बातें और एक धर्मी जीवन में रुचि रखते हैं। आप अपने कलीसिया में, सांसारिक समृद्धि की प्रस्ताव के द्वारा, गलत प्रकार के लोगों को आकर्षित न करे। क्या परमेश्वर का वचन आपको यह प्रतिज्ञा करती है कि वे आपको एक घर या एक कार देंगे? नहीं। परमेश्वर का वचन यह प्रतिज्ञा करती है कि आप पाप पर विजय प्राप्त कर सकते हैं; आप एक ऐसे जीवन में आ सकते है जहां आप हमेशा प्रभु में आनन्दित रहे - दिन के 24 घंटे - बिना उदास या हतोत्साहित या हारकर - हमेशा विजयी, हमेशा आनन्दित और हमेशा धन्यवाद देकर, हर चीज में और सभी लोगों के साथ। यह नई वाचा की जीवन है (कनान की भूमि जहाँ दूध और मधु की धाराएं बहती हैं ), जिसकी प्रतिज्ञा बाइबल करती है। तो यह स्वीकार करे और कहे, "हे प्रभु, इस प्रकार के जीवन को मैं अपने सभी दिन जीना चाहता हूँ।"

जब मैं एक युवा मसीही था, ऐसे जीवन को जीना चाहता था और मैंने देखा कि बाइबिल मुझे क्या प्रस्ताव करती है। लेकिन जब मैंने मेरे चारों ओर मसीही अगुओं को देखा, मैंने देखा कि वे पाप से हारे हुए थे। तो मैंने कहा, "हे प्रभु, मैं उनका न्याय नहीं करना चाहता। यह मेरा काम नहीं है। लेकिन मैं उन्हें अपने उदाहरण के रूप में नहीं देखना चाहता। मैं केवल परमेश्वर के वचन को देखना चाहता हूँ। मैं आपके प्रतिज्ञाओं को ही देखना चाहता हूँ। मैं अपने उदाहरण के रूप में, केवल यीशु को देखना चाहता हूँ।" एक विश्वासी के रूप में मैं, कई वर्षों के लिए हारा हुआ था। लेकिन जब मैंने मसीह में अपने विरासत को देखा, मैंने लगातार पवित्र शास्त्र में परमेश्वर के वचन को स्वीकार किया - जो मुझे निरंतर आनन्द और लगातार जीत का एक जीवन प्रतिज्ञा करता है। परमेश्वर ने अंत में मुझे मेरे हृदय की इच्छा प्रदान की। मैं इसी प्रकार के जीवन को अब जीना चाहता हूँ, और ऐसे ही जीवन को अपने अंत तक जीना चाहता हूँ।

तो परमेश्वर के वचन को अपने मुँह से न गवाए। यदि आप इस संदेश का उपदेश करते हैं, तो कई बार आप यह पाएंगे कि लोकप्रियता की मांग-प्रचारकों के बीच में, आप परमेश्वर के लिए एक अकेले आवाज़ है। आप निराश न हो। परमेश्वर अंत तक आपके साथ खड़े रहेंगे।

यहोशू को परमेश्वर के वचन को दिन और रात ध्यान देने की आज्ञा दी गई थी। हमें अन्य जातियों की ज़रूरतों पर ध्यान करने की आवश्यकता नहीं हैं। हमें यह लग सकता है कि यह एक अच्छी बात है। आप उन अन्य जातियों की मदद तब तक नहीं कर सकते, जब तक की आप परमेश्वर के वचन पर दिन और रात मनन नहीं करना जानते । ऐसा करने पर, परमेश्वर ने यहोशू को दोनों समृद्धि और सफलता देने की प्रतिज्ञा की (यहोशू 1:8)। वास्तविक "समृद्धि सुसमाचार" यह है कि, जहां हमारी जीवन एक स्वर्गीय और आध्यात्मिक रास्ते में समृद्ध और सफल बनता है। ‘समृद्धि और सफलता' ऐसी दो चीजें हैं जिनको संसार के हर व्यक्ति ढूंढते हैं। लेकिन वे इनको ऐसे नहीं ढूंढते जिस तरह से परमेश्वर ने यहोशू 1:8 में कहा है।