द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   घर
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हम सभी जानते हैं कि कुछ घरों में हमें घर जैसा नहीं लगता। परन्तु कुछ घरों में जब हम प्रवेश करते है तब ही से हमें घर सा अनुभव होता है। इस बात को व्यक्त करना कठिन हैं परन्तु यह हम सभी का अनुभव है।

मसीही घर ऐसा हो ताकि यीशु को वह परिपूर्ण घर जैसा महसूस हो। इसका अर्थ घर में होनेवाली हर बात से प्रभु आनन्दित हो। हम जो पुस्तक पढ़ते है, आपस में बातचीत करते हैं, टी.वी. पर कार्यक्रम देखते है उन सभी बातों से यीशु आनन्दित हो। कई मसीही घरों में बाइबिल के वचनों को हम दिवार पर पाते है। परन्तु उन घरों में भी यीशु आनन्दित नहीं होते।

आप कल्पना करें कि परमेश्वर ने आदम तथा हवा को एक अद्भुत उद्देश्य के साथ एकत्रीत रखा। पिता होने के नाते परमेश्वर की उनके लिये अद्भुत योजना थी। परमेश्वर ने चाहा कि उनका एक अद्भुत परिवार हो जहां परमेश्वर को प्रथम स्थान प्राप्त हो। परन्तु उन दोनों ने परमेश्वर को निराश किया। परमेश्वर उनपर क्रोधित नहीं हुआ परन्तु दुखी हुआ। आज परमेश्वर कई मसीही घरों की दशा देखकर दुखी है। कई घरों में शान्ति नहीं वरन् झगड़ें है। परिवार जब समस्या में होता है तब वह परमेश्वर को पुकारता है। संसार के लोग समस्या में होते है तब वे परमेश्वर की ओर फिरते है। परन्तु हम मसीही लोग वैसे न हो। परमेश्वर आपत्कालिन फोन नंबर के जैसा नहीं कि हम समस्या में उसे पुकारे। हमारे जीवन में परमेश्वर केन्द्रस्थान पर हो।

परमेश्वर का वचन हमारे लिये उस सूचना तथा निर्देश के जैसा है जो किसी नये वस्तु पर लिखी होती है। जब हम कोई नई वस्तु खरीदते है तब उस पर लिखी सूचना पढ़ते है। खरीदी हुई नई वस्तु ठिक से काम नहीं करती तब हम उसे दुकानदार के पास ले जाते हैं तथा शिकायत करते है। तब वह पहला प्रश्न हमसे पूछता है, ''इस वस्तु पर लिखे सूचना के अनुसार क्या आपने किया है?'' ग्यारंटी कार्ड पर लिखा होता है कि सूचना का उल्लंघन करने पर ग्यारंटी लागू नहीं होंगी।

परमेश्वर के विषय में अद्भुत बात यह है कि जब हम अपना बिगड़ा जीवन उसके पास ले जाते है तब वह बगैर शर्त के हमारा जीवन ठीक करता है। उसकी ग्यारंटी केवल एक वर्ष की नहीं वरन् आजीवन काल की होती है। यदि अपने टूटे जीवन को हम उसके पास ले जाएंगे तो वह उसे ठीक करेगा। यह परमेश्वर के विषय में अद्भुत बात है। वह हमारा प्रेमी पिता है। यह बात जानना अद्भुत है कि जो हमें उसके लिये घर बनाने के लिये कह रहा है वह हमारा प्रेमी पिता है। उसे हमारे जीवनों में रूची है। यीशु मसीह के दोबारा लौटने तक वह हमें आनन्दित देखना चाहता है।

जब हमारे जीवन के केंद्रस्थान पर यीशु होता है तब हमारा जीवन अद्भुत होता है। हमारे घर में जो भी बातें होती हैं वह यीशु को आनन्दित करनेवाली हो। हमारे धन का उपयोग, समय का उपयोग तथा हर चीज परमेश्वर को भानेवाली हो। यदि हम इस तरह जीवन जीएंगे तो हमारे जीवन के अन्त में या यीशु के दोबारा आगमन के समय जब हम उसके सामने खड़े होंगे तब वह कहेगा, ''धन्य हे''। हमारे विषय में औरों के विचार दुय्यम है।

मनुष्य का एक स्वभाव है कि वह बाहरी बातें देखकर न्याय करता है। मैने भी ऐसा कई वर्षों तक किया। क्योंकि मैं नीतिनियम को महत्व देता था। परन्तु, अब स्पष्ट रूप से मैं समझ गया हूं कि परमेश्वर दिलों को देखता है। हमारा हृदय हर समय शुद्ध हो। हमारा घर महाल हो या झोपड़ी हो - बाहरी बातें दुय्यम है। परन्तु परमेश्वर हमारे दिलों को देखते है। इस कारण प्रयास करे कि हम अपने हृदयों को परमेश्वर के निवास के लिये शुद्ध स्थल या स्थान बनाए।