द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   मसीह के प्रति समर्पण
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65 वर्ष परमेश्वर के साथ चलने के पश्चात् और जीवन के 95 वर्ष पूरे होने के बाद पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर यूहन्ना ने पत्र लिखने का विचार किया। उसके पत्र का विषय ''संगति'' था (1 यूहन्ना 1:3)। पौलुस ने देखा कि कलीसिया ने तथा अगुवों ने अपना पहला प्रेम छोड़ दिया है (प्रकाशितवाक्य 2:4) और वे केवल कहने को जीवित थे। (वे कई मसीही कार्यक्रमों में व्यस्त थे) परंतु वे सब परमेश्वर की दृष्टी में मृत थे (प्रकाशितवाक्य 3:1)। कलीसिया की इस स्थिति को देखकर यूहन्ना अच्छी तरह जान गया था कि मसीही लोगों को पिता और उसका पुत्र यीशु मसीह के संगति के आनन्द की आवश्यकता है और उन्हें उस संगति में लाए।

कई बातों में आनंद मिल सकता है। खेलकूद, संगीत, उद्योग और मसीही कार्यों से हम आनंद पा सकते है। परंतु सम्पूर्ण विश्व में यदि शुद्ध आनन्द ढूंढ़े तो वह केवल पिता के साथ संगति में मिलता है (1 यूहन्ना 1:4)।

भजन संहिता लिखने वाला कहता है, ''तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है'' (भजन संहिता 16:11)। ''जो आनन्द उसके आगे धरा था'' उसके लिये यीशु ने स्वयँ क्रूस की मृत्यु सही (इब्रानियों 12:2)। पिता के साथ संगति ही यीशु के लिये सबसे किमती संपत्ति थी। इस तुलना में यीशु ने संसार की किसी बात को महत्व नहीं दिया। यीशु जानता था कि खोए हुए मनुष्य के लिये अनंत नरक की यातनाएं वह तीन घंटे सहनेवाला है तब उसकी पिता के साथ उसकी संगति टूटने वाली है (मत्ती 27:45)। फिर पिता उसे त्याग देगा और जिस संगति का आनन्द यीशु ने सार्वकाल लिया था वह संगति तीन घंटों के लिये क्रूस पर टूटने वाली थी। इस बात से वह इतना अस्वस्थ हुआ था कि जब वह गतसमनी बाग में था तब उसकी देह से पसीना लोहू की बड़ी बड़ी बून्दों के समान बहने लगा। जिस कटोरे के लिये वह प्रार्थना कर रहा था कि वह उससे टल जाए, वह यही कटोरा था : पिता के साथ संगति का टूटना।

कितना अच्छा होता कि यदि हम यह देख पाते या उसे समझ पाते। यीशु के पिछे हो लेने के विषय हम कितनी सहजता से बातें करते हैं और गितों में गाते हैं। यीशु के पिछे हो लेने का अर्थ पिता के साथ उसकी संगति को उसने जो महत्व दिया वही महत्व हमें भी देना हैं। तब पाप की ओर हम सर्वसाधारण दृष्टि से नहीं देखेंगे परंतु उसे गंभीर जानेंगे। क्योंकि पाप के कारण हमारी पिता के साथ की संगति टूटती है। यदि हम दूसरों से प्रेम नहीं करते तो हमारी परमेश्वर के साथ संगति टूटेगी।

परमेश्वर हमें प्रकट करे कि स्वर्गीय प्रेमी पिता के साथ अटूट संगति ही सच्ची मसीहत है।