द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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उत्पत्ति 37:18 में हमने पढ़ा कि कैसे यूसुफ के भाईयों ने उसे मारने के लिए षड़यंत्र रचा। और हम यहां परमेश्वर की सर्वोच्चता को देखते है कि परमेश्वर ने कैसे उसके भाईयों में से एक भाई के मन में उस योजना को रोककर उसे कुछ व्यापारियों जो वहां से गुजर रहे थे बेचने की योजना में बदल दिया। उस समय कौन उस गुलामों के व्यापारियों को भेजा? परमेश्वर। परमेश्वर ने उन इश्माएलियों की यात्रा के समय को ऐसा अगुवा अगुवाई किया कि वे यूसुफ की हत्या के पूर्व वहां पहुंच सके। आरै वे गुलामों के व्यापारी मिस्र को जा रहे थे आरै परमश्े वर यही चाहता था कि यूसुफ वहीं जाए। यह बहुत अद्भुत है कि यूसुफ के जीवन में परमेश्वर की सर्वोच्चता को बार बार देखे। परमेश्वर के पास आपके जीवन के लिये भी कुछ योजना है जिसे कोई भी विफल नहीं कर सकता। न तो ईर्ष्यालू भाई और ना ही मुर्ख पिता, कोई भी नहीं। यही हम यहां देखते है।

जब यूसुफ 17 ही वर्ष का था तब परमेश्वर ने यूसुफ को स्वप्न के द्वारा उसके जीवन का उद्देश्य प्रकाशित किया और यह बहुत ही अद्भुत बात है कि एक जवान परमेश्वर के प्रति इतना संवेदनशील है जब की इस उम्र के बच्चों के स्वप्न गंदे होते है। इसे परमेश्वर की ओर से स्वप्न मिला था। जवान बच्चे कभी भी यह शिकायत नहीं करते थे कि उनके बड़े भाई उन्हें यह अवसर नहीं देते कि वे परमेश्वर की सेवा करे। यदि तुम गंभिरता से अपने आप को प्रभु के हाथों में सौंपते हो तो कोई भी परमेश्वर की योजना में मिलावट नहीं कर सकता। जब मैं जवान था, मेरे बड़े भाई मेरी सेवकाई के प्रति ईर्ष्या रखते थे। उन्होंने कई प्रकार मुझे रोका। जिस सभा में मैं उपस्थित होता था वहां मुझे बोलने या प्रचार करने की अनुमति नहीं देते थे। इसलिए परमेश्वर के वचन का मैं उन गलियों में प्रचार करता था जहां मुझे किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती थी। और यह वही स्थान था जहां परमेश्वर ने प्रचार करना मुझे सिखाया। सभाओं में परमेश्वर ने मुझे एक बात सिखाया कि जो मुझसे ईर्ष्या रखते हैं उनके प्रति मैं नम्र रहू और विद्रोह न करू। ये वे वर्ष थे जब परमेश्वर ने यूसुफ की तरह मुझे नम्र किया। परन्तु उन बड़ो में कोई भी परमेश्वर की उस योजना को जो मेरे जीवन में थी रोक नहीं सके। जब समय आया परमेश्वर ने मेरे लिये द्वार को खोला और उसकी योजना को मेरे जीवन में पूरा किया। यह मैं आपके प्रोत्साहन के लिये कहता हूं इसलिये कभी भी लोगों के विरुद्ध शिकायत न करे। जो परमेश्वर की योजना आपके जीवन के प्रति है यदि उसमें कोई मिलावट कर सकता है तो वह तुम स्वयं हो इसे हमेशा स्मरण रखे।

परमेश्वर ने यूसुफ के जीवन में उसकी इच्छा पूरी करने के लिये यूसुफ को मिसरियों के हाथ बेचे जाने के द्वारा परमेश्वर ने यूसुफ के भाईयों की ईर्ष्या का उपयोग किया। जो लोग हमारे विरुद्ध बुराई करते है परमेश्वर उसे हमारे लिये अच्छा करता और परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा करता है। प्रभु की स्तुति हो। जो लोग हमारी बुराई करते है यदि उसमें से परमेश्वर हमें बचाता है यही हमारे लिये बड़ी बात होगी। परन्तु परमेश्वर हमारे लिये उससे भी बेहतर करता है जो हमारे विरुद्ध बुराई करते है। परमेश्वर उस बुराई के द्वारा हमारे जीवन में उसका उद्देश्य पूरा करता है! क्या यह उससे अच्छा नहीं, जब परमेश्वर शैतान की मेज को पलटा देता है। जरा सोचिए - यदि यूसुफ के भाई उसके प्रति ईर्ष्या नहीं रखते वरन उसके साथ अच्छा व्यवहार करते तो यूसुफ कभी भी मिस्र नहीं पहुंच पाता।

कैसे यूसुफ मिस्र देश पहुंचा? पहली बात उसके भाई उसके प्रति ईर्ष्यालू थे। दुसरी बात उन्होंने उसे गुलामों के व्यापारियों को बेच दिया। तिसरी बात गुलामों के व्यापारियों ने उसे मिस्र देश में ले जाकर बेच दिया। इस प्रकार परमेश्वर का यूसुफ को मिस्र देश ले जाने का उद्देश्य पूरा हुआ। इसलिये जो लोग आपको चोट पहुंचाने के लिये कार्य करते है वह आपके जीवन में आगे चलकर परमेश्वर की योजना आपके जीवन में पूर्ण करते है - यदि तुम परमेश्वर से प्यार करते हो (रोमियों 8:26)। आप स्वयं समस्याओं का सामना कर सकते हो। यूसुफ ने भी गुलामी में काफी कठिनाईयों का सामना किया। परन्तु इसके माध्यम से परमेश्वर का उद्देश्य यूसुफ के जीवन से पूर्ण हुआ। प्रभु की स्तुति हो।

एक विश्वासी कहेगा, "यूसुफ का परमेश्वर मेरा भी परमेश्वर है। यदि मैं पूरे हृदय से परमेश्वर को प्रेम करता हूं तो कितने भी लोग मेरे प्रति ईर्ष्या रखे, कोई भी व्यक्ति मेरे विरुद्ध में बुरी युक्ति बनाएं, परन्तु कोई भी परमेश्वर की योजना को मेरे जीवन में पूरी होने से नहीं रोक सकता। इसी प्रकार का विश्वास अद्भुतकर्ता परमेश्वर में हो।