द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   मूलभूत सत्य चेले
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इफिसियों 4:3 में यह लिखा है, "मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो"। पौलुस के पत्रों में एकता एक बड़ी विषय है। और यही बोझ परमेश्वर का अपने कलीसिया के लिए भी है। जब एक मानव शरीर मर जाता है, वह विघटित होने लगता है। हमारा शरीर धूल से बना है, और यह धूल के टुकड़े एक साथ इस कारण आयोजित हैं क्योंकि इस शरीर में जीवन है। जिस क्षण जीवन चला जाता है, विघटन शुरू हो जाता है; और कुछ समय बाद, हमें यह पता चलता हैं कि पूरा शरीर धूल बन गया है। विश्वासियों के संगति में ऐसा ही है।

जब एक कलीसिया में विश्वासी विभाजित हैं, हम यह निश्चित रूप से यह कह सकते है कि मृत्यु वहा प्रवेश कर चुकी है।

जब एक पति और पत्नी विभाजित हैं, आप यह जानते हैं कि मृत्यु पहले से ही वहा प्रवेश कर चुकी है, भले ही वे एक दूसरे को कभी तलाक न दे। विघटन एक विवाह में शादी के एक दिन के भीतर ही शुरू हो सकता है - गलतफहमी, तनाव, झगड़े, आदि के साथ।

एक कलीसिया में भी यह हो सकता है। एक कलीसिया अक्सर कुछ उत्साही भाईयों के साथ शुरू होता है, जो बङे उत्साह के साथ परमेश्वर के लिए एक शुद्ध काम का निर्माण करने के लिए एक साथ आते हैं। बहुत ही जल्द एकता की अभाव आती है और मृत्यु प्रवेश करती है। हमें लगातार आत्मा की एकता को बनाए रखने के लिए एक लड़ाई लड़ना है - दोनों एक शादी में और एक कलीसिया में ।

मानव शरीर में अद्भुत बात यह है कि सभी धूल के छोटे टुकड़े जिससे ये बने है एक साथ इतनी बारीकी से एकता में है कि हम यह नहीं देख सकते हैं कहाँ वे एकजुट हो रहे है। शरीर घायल होता है, तब कुछ प्रक्रियाएं तुरंत त्वचा को बंद करने के लिए भीतर शुरू हो जाते हैं । शरीर त्वचा के किसी भी भाग को खुला और छिद्र रहने के लिए पसंद नहीं करता। त्वचा के अलग अलग भागों को एकजुट करने के लिए यह तुरंत काम शुरू कर देता है। एक हड्डी के टूट जाने पर यही होता है। शरीर तुरंत इसे एकजुट करने के लिए अपना काम शुरू कर देता है। पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति दो हड्डियों को एक साथ एकजुत कभी नहीं कर सकता। एक डॉक्टर केवल हड्डी के टूटे हुए भागों को एक दूसरे के निकट रख सकता है। वह शरीर ही है जो दो भागों को एक साथ जोङता है। मानव शरीर हमेशा एकता की दिशा में काम करता है। मसीह के शरीर को ऐसा ही कार्य करना चाहिए। जब एक कलीसिया इस तरह से काम नहीं करता है, वह मसीह के शरीर का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है।

परमेश्वर पवित्र व्यक्तियों के एक झुण्ड का निर्माण नहीं कर रहे है। वे एक शरीर का निर्माण कर रहे है। इफिसियों 4 में पौलुस इसी के विषय में बात कर रहे है। वे हमें उत्तेजित कर रहे है कि हम आत्मा के इस एकता को बचाए रखे क्योंकि हमारी केवल एक ही शरीर है।

हम कब यह कह सकते हैं कि एक स्थानीय कलीसिया में एकता है? "मेल के बन्ध के द्वारा" (इफिसियों 4:3)। आत्मा का मन शान्ति है (रोमियों 8: 6)। जब आप एक भाई या बहन के बारे में सोचते हैं और आपके विचार उनके प्रति शांति और विश्रान्ति के है तो आप यह जानते हैं कि आपके और उस व्यक्ति के बीच एकता है। लेकिन जब उस व्यक्ति के बारे में सोचने पर आप थोड़े उत्तेजित होते है, तो आप निश्चित रूप से यह कह सकते है कि आप उस व्यक्ति के साथ एकता में नहीं है। आप बङे विपुलता के साथ उन्हें यह कहकर स्वागत कर सकते हैं कि "परमेश्वर की स्तुति हो", लेकिन वह पाखंडीपन होगा।

शांति परीक्षण है। तो आत्मा की एकता को शांति के बंधन में संरक्षित किया जाना चाहिए।