लूका 1: 34-35 में हम यह पढ़ते है कि जब जिब्राएल मरियम के पास आया था, उसने बङी ही स्वाभाविक रूप से उस से पूछा, "यह कैसे हो सकता है? मैं एक कुंवारी हूँ। एक कुंवारी कैसे एक बच्चे को पैदा कर सकती है”? स्वर्गदूत ने उस से कहा, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी” । पवित्र आत्मा हमेशा परमेश्वर के सामर्थ को हमारे पास लेकर आते है (भजन संहिता 1:8 और 10:38 के अध्याय को देखे)।
जैसे परमेश्वर की आत्मा मरियम के पास उसमें यीशु का उत्पादन करने आया था, उसी प्रकार आत्मा हम पर भी मुख्य रूप से मसीह का उत्पादन करने के लिए आते है। हमारे जीवन में और परमेश्वर के लिए हमारी सेवा में, पवित्र आत्मा के सेवाई को समझने के लिए, यही सबसे स्पष्ट दिशानिर्देश है। जैसे कि मरियम के गर्भ में उस शरीर को विकसित होने के लिए समय लगा था, उसी प्रकार मसीह को हमारे जीवन में प्रकट होने के लिए भी समय लगेगा।
मरियम ने परमेश्वर के वचन पर अधीन होकर यह कहा, “तेरे वचन के अनुसार मेरे साथ यह हो (लूका 1:38)"। मैं मरियम का एक बड़ा प्रशंसक हूँ (हालाँकि मैं एक रोमन कैथोलिक नहीं हूँ) क्योंकि वह कितनी ईश्वरीय युवा स्त्री थी। परमेश्वर ने पूरे इस्राएल की ओर देखा कि वे एक युवा स्त्री की खोज कर पाए जो वास्तव में ईश्वरीय थी; और उन्होंने मरियम को पाया, जो सम्भवतः उस समय केवल लगभग 18 वर्ष थी। लूका के 1:46-55 को पढ़े और यह देखे कि वह कितनी परिपक्व है। और उसकी गीत पवित्र शास्त्र में कितनी डूबी हुई है। यह आश्चर्य की बात है कि यदि कोई परमेश्वर का भय मानने वाला व्यक्ति हो तो 18 वर्ष की आयु में ही कैसे वह परिपक्व बन सकता है, परमेश्वर व्यक्तियों के चुनाव में कोई गलती नहीं करते।
मरियम यह जानती थी कि जब लोग उसके गर्भवती होने के विषय को जान जाते तब नासरत में हर कोई उसके बारे में परिवादात्मक कहानियों को फैलाते। कोई यह विश्वास नहीं करता कि यह पवित्र आत्मा का कार्य था। और वह उस तिरस्कार को सहने के लिए तैयार थी कि वह अपने शरीर से यीशु के शरीर को उत्पन्न कर पाए। अब आप इसे अपने जीवन पर लागू करे। क्या आप मसीह के शरीर का अपने शहर में निर्माण करना चाहते हैं? क्या आप उस के लिए सम्मान चाहते हैं या "मसीह के तिरस्कार" को सहने के लिए आप तैयार है? परमेश्वर उन लोगों की समर्थन नहीं करते जो उनके सेवकाई में सम्मान का अनुसरण करते है। ऐसे लोग केवल एक मण्डली का निर्माण कर सकते है, मसीह का शरीर नहीं। मसीह के शरीर का निर्माण हमेशा तिरस्कार, गलतफहमी, जीभों की डोल और गपशप को आमंत्रित करती है - जिस प्रकार मरियम को नासरत में सामना करना पड़ा था। लेकिन इन सभी बातों ने उसे परेशान नहीं किया। उसने फिर भी मसीह के शरीर को बाहर लाया। और आज भी ऐसा ही होगा। मसीह का शरीर वहा उत्पन्न होगा जहा लोग "सांप्रदायिक धार्मिक मसीही जगत की छावनी से बाहर निकलकर, उनके लिए तिरस्कार सहने के लिए तैयार है"।
मैं निस्संदेह यह कह सकता हूँ कि मरियम ने गौशाला में पाए गए कठिन परिस्थितियों के बारे में शिकायत नहीं किया होगा। कल्पना कीजिए कि यदि मरियम आज की खराब किशोरों की तरह होती। वह यूसुफ पर चिल्लाकर यह कहती, "मैंने तुम्हें बताया था कि हमें दो दिन पहले हमारी यात्रा शुरू करनी चाहिए थी। यहाँ हम बिना किसी उपलब्ध कमरे के हैं। मेरे पास कोई गोपनीयता ही नहीं। और इस गौशाला में मेरे आस पास यह सब गंदगी के साथ, मुझे मेरे बच्चे को पैदा करना है। तुम कितने गैर जिम्मेदार पति हो,"आदि। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यीशु इस प्रकार के बड़बड़ाहट और शिकायती वातावरण में पैदा हुए? परमेश्वर उसकी अनुमति कभी नहीं करते। तो उन्हें एक ऐसी लड़की की आवश्यकता थी जो शिकायत नहीं करती। इस कारण से उन्होंने मरियम को यीशु की माँ बनने के लिए चुना - एक ऐसी लङकी जिसने अपनी जवानी में गरीबी और कठिन परिस्थितियों में संतुष्ट रहना सीख लिया था । और इस कारण से परमेश्वर, इस्राएल की अन्य लड़कियों में से किसी का भी चयन नहीं कर पाए।