द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   मसीह के प्रति समर्पण
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1 यूहन्ना 1:7 में बाइबिल कहती है कि यदि हम ज्योति में नहीं चलते तो हमारी परमेश्वर के साथ संगति नहीं है। यदि हम ज्योति में चलते तो हम कुछ छुपाकर नहीं रखेंगे क्योंकि ज्योति सबकुछ प्रकट करती है। जो मनुष्य अन्धकार में चलता है वह कुछ छुपाता भी है। यदि हम ज्योति में चलते है तो हमारा जीवन खुली किताब की नाई है। हम लोगों को हमारे जीवन का परिक्षण करने की अनुमति देते है। हमारा बैंक का खाता दिखाते है। हम कुछ भी नहीं छुपाते। इसका यह अर्थ नहीं कि हम परिपूर्ण है। परन्तु इसका अर्थ है कि हम प्रामाणिक है।

परमेश्वर हमसे सर्वप्रथम प्रामाणिकता की अपेक्षा करते है। हम पूर्ण रीति से प्रामाणिक हो। यदि हम प्रामाणिक है तो हमारी सभी समस्याएँ तुरन्त हल हो जाएगी। परमेश्वर तथा मनुष्य के सामने यदि हम प्रामाणिकता के नियमों का पालन करते है तो हमारे आत्मिक जीवन की उन्नति होगी।

परन्तु, प्रामाणिक जीवन जीना एक युद्ध है। आप कहेंगे, ''मैं यह मार्गदर्शन गंभीरता से अपनाता हूं और अबसे मैं प्रामाणिक रहूंगा ।'' परन्तु, एक सप्ताह बाद आप पाएंगे कि अभिनेता होने की आपको लालसा हुई है। आप परमेश्वर को सन्तुष्ट करने के बजाय मनुष्य को सन्तुष्ट करना चाहोगे। इसकारण यह युद्ध जितकर आप विजयी हो।

परमेश्वर को बड़ा दुःख होता है कि आज मसीही समाज में 20,30,40 वर्षों से जिनका नया जन्म हुआ है वे आत्मिक रूप से बढ़े नहीं क्योंकि प्रामाणिकता का मूलभूत तत्व उन्होंने अपनाया नहीं या उनकी समझ में नहीं आया। यदि हमारे जीवन में पाखंड है तो हम उन्नति नहीं कर सकते, हमारी प्रार्थनाएँ नहीं सुनी जाएँगी। हम सम्पूर्ण रात्री प्रार्थना करेंगे तो भी वह समय व्यर्थ होगा। यदि हम बनावटी हैं तो हमारी प्रार्थना नहीं सुनी जाएँगी।

परमेश्वर के सामने हम जो है वहीं हमारा असली आत्मिक जीवन है। हमें बाइबिल का कितना ज्ञान है, हम कितनी प्रार्थना करते है, कितनी सभाओं में उपस्थित रहते है या हमारे विषय में चर्च के अगुवों की क्या राय है इस पर हमारी आत्मिक स्थिति निर्भर नहीं। परन्तु, स्वयँ से पूछे, ''परमेश्वर जो मेरे जीवन के हर पहलू को देख सकता है वह मेरे विषय में क्या सोचता है?'' इस प्रश्न का उत्तर ही आपके आत्मिक स्थिति का प्रमाण है। यह बात हम प्रतिदिन स्मरण में रखे, अन्यथा हम फिर से अभिनेता बन जाएँगे। यीशु ने नतनएल के विषय में जो शब्द कहे वह मुझे बहुत पसन्द है, ''देखो, यह सचमुच इस्राएली है; इसमें कपट नहीं'' (यूहन्ना 1:47)। यदि यीशु हमारे विषय में ऐसा कहे तो यह सबसे बड़ा सम्मान होगा। नतनएल परिपूर्ण नहीं था। वह भी दुर्बल था; परन्तु वह अपनी दुर्बलता के विषय में प्रामाणिक था। वह बनावटी नहीं था। वह जो नहीं वह दिखाने की कोशिश नहीं करता था। इसीप्रकार वह हनन्याह और साफिरा से भिन्न था।