द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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मलाकी 2:15 में हम पढ़ते है कि परमेश्वर ने आदमी और उसकी पत्नी को एक बनाया ताकि उनके द्वारा परमेश्वर ईश्वरीय संतान प्राप्त कर सके। कोई भी बच्चों का पालनपोषण कर सकता है। लेकिन यीशु के शिष्य ही ईश्वरीय बच्चों को बड़ा कर सकते हैं। और इसके लिए सबसे पहली आवश्यकता यह है कि माता पिता में से कम से कम एक जन यीशु का सम्पूर्ण हृदय से शिष्य हो जो अपने पूरे हृदय से परमेश्वर से प्रेम करता हो। अधूरे हृदय वाले मसीही ईश्वरीय बच्चों का पालन करने में सक्षम नहीं होंगे। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता पति और पत्नी के बीच एकता है। यह संभव नहीं हो सकता है यदि उनमे से एक व्यक्ति शिष्य नहीं है। तब दूसरे साथी को अपने बच्चों के लिए शैतान के खिलाफ अकेले लड़ना होगा। लेकिन यदि दोनों पूर्ण हृदय से समर्पित हैं तो काम बहुत आसान होगा। यही कारण है कि विवाह के लिए एक सही साथी का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। यदि पति और पत्नी हमेशा एक दूसरे के साथ झगड़ते हैं और एक दूसरे पर दोष लगाते हैं तो बच्चों का ईश्वरीय तरीके से पालन करने मे बहुत मुश्किल होगी। यदि आप एक ईश्वरीय घर बनाना चाहते है तो किसी भी कीमत पर अपने पति/पत्नी के साथ एकता की खोज करे भले ही परिणाम स्वरूप आपको अपने कई अधिकारों को छोड़ना पड़ें। यह भविष्य में आपके लिए उचित होगा, जब आप देखेंगे कि आपके बच्चे परमेश्वर का अनुसरण किस प्रकार करते हैं। दो शिष्यों के बीच एकता में जबरजस्त सामर्थ है, मत्ती 18:18-20 में यीशु ने कहा जब पृथ्वी पर दो शिष्य एकजुट हो जाते है, तो उनके पास स्वर्गीय स्थानो में शैतानी शक्तियों की गतिविधियों को बांधने की सामर्थ होती है (इफिसियों 6:12)। इस तरह हम दुष्ट आत्माओं को अपने घरों से दूर और हमारे बच्चों को प्रभावित करने से दूर रख सकते हैं। इफिसियों 5:22 से 6:9 में पवित्र आत्मा, घर के रिश्तों – पति और पत्नी, माता पिता और बच्चे, स्वामी और सेवक के बीच के रिश्तों की बात करता हैं। इसके बाद तुरंत (10 वे वचन से) पवित्र आत्मा स्वर्ग में दुष्ट आत्माओं के साथ युद्ध के बारे में बात करता है। वह हमें क्या सिखाता है? बस यह है कि शैतान के हमलों को मुख्य रूप से घरेलू संबंधों पर निर्देशित किया जाता है। यह वह जगह है जहां हमें सबसे पहले शैतान को पराजित करना होगा।

पति और पत्नी जो एक दूसरे के साथ झगड़ा करते हैं, उन्हें यह नहीं पता कि वे शैतान के लिए (इस प्रकार उनके बीच बनाई गई दूरी के माध्यम से) अपने घरों में प्रवेश करने और अपने बच्चों पर हमला करने के लिए दरवाजा खोल रहे हैं। एक विद्रोही बच्चा जो अपने माता-पिता को अशिष्टता से जवाब देता है, उसने अपनी मां से यह संक्रमण (इन्फेक्शन) पकड़ा हो सकता है जो अपने पति से इस तरीके से बात करती होगी या पिता से जो कुछ क्षेत्रो में परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोही है। वह संक्रमण जिसे स्वयं माता पिता घर में सबसे पहले लेकर आए हो उसके लिए उस बिचारे बच्चे को दोष देने का कोई फायदा नहीं है!! यह माता-पिता हैं जिन्हें सबसे पहले पश्चाताप करने की ज़रूरत है। घर में एकता, घर के आकार या उसकी सुंदरता या उसमें मौजूद गैजेट से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। परमेश्वर की महिमा एक ऐसे परिवार में भी प्रकट की जा सकती है जो एक छोटी झोपड़ी में रहते हो, यदि वे केवल सबसे पहले परमेश्वर के शिष्य हो। यीशु का एक सच्चा शिष्य "दूसरों को दोष देने" की भयानक बीमारी से मुक्त होगा, जिससे आदम और हव्वा अदन की वाटिका में संक्रमित थे। आदम ने अपने पाप के लिए हव्वा को दोषी ठहराया और हव्वा ने उसके लिए सांप को दोषी ठहराया। स्वर्ग का राज्य "आत्मा में दीन" (मत्ती 5: 3) से संबंधित है - और आत्मा में दीन व्यक्ति की पहली विशेषता यह है कि उसे अपनी विफलता और आवश्यकता के बारे में सबसे पहले एहसास है। एक पति और पत्नी जो आत्मा में दीन हैं, वे अपने घर को पृथ्वी पर स्वर्गीय घर के पूर्वानुभाव में परिवर्तित कर देंगे। ऐसे घर में, प्रत्येक खुद का न्याय करेगा और दूसरे को दोष नहीं देगा। शैतान ऐसे घर में कभी भी प्रवेश नहीं कर सकता है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इस तरह के घर में बच्चे कितनी अद्भुत आशीष के वारिस होंगे?

मुझे "काम करने वाली माताओं" के बारे में एक शब्द कहना है। हमारे दिन और पीढ़ी में, दुर्भाग्य से कुछ शहरों में रहने की उच्च लागत की वजह से यह एक आवश्यकता बन गई है। लेकिन कुछ सिद्धांतों को इस तरह की माताओं को ध्यान में रखना चाहिए। तीतुस 2: 5 हमें बताता है कि महिलाओं के लिए परमेश्वर की सबसे पहली इच्छा यह है कि वे "घर में काम करें"। इसलिए, घर से बाहर पेशे को आगे बढ़ाने के लिए किसी भी मां को अपनी घरेलू ज़िम्मेदारियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। परमेश्वर, उसका पति और उसके बच्चों को हमेशा उसके प्रेम और भक्ति में प्राथमिक होना चाहिए - इसी क्रम में। उपर्युक्त तीनों के बाद, उसकी नौकरी (यदि उसे फिर भी नौकरी करनी पड़े) तो वह उसकी प्राथमिकता में नंबर 4 पर होनी चाहिए। विवाहित महिलाएं जिनके पास घर पर कोई बच्चा नहीं है, बिना किसी समस्या के काम पर जा सकते हैं। आमतौर पर दो कारण होते हैं कि छोटे बच्चों के होते हुए भी माताएं, इन दिनों में काम करने के लिए क्यों जाती हैं: 1. जीवन निर्वाह के लिए, जहां पति की आय परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। 2. सुख विलास के लिए, क्योंकि पति और पत्नी जीवनशैली के उच्च स्तर का आनंद लेना चाहते हैं। यदि आप परमेश्वर के सामने ईमानदारी से कह सकते हैं, कि आपके मामले में यह कारण जीवन निर्वाह की वजह से है, तो आप निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर आपको आपकी सभी पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए विशेष अनुग्रह देगा। हालांकि, यदि इसका वास्तविक कारण सुख विलास है, तो मुझे आपको चेतावनी देनी है कि आप सच में खतरे में हैं। आप केवल कई सालों बाद इसके परिणामों को काटेंगे, जब आपके बच्चे घर छोड़ते है और भटक जाते है और परमेश्वर के लिए निकम्मे हो जाते हैं। तब इसके बारे में कुछ भी करने में बहुत देर हो चुकी होगी। परमेश्वर मेरा साक्षी है कि मैं केवल वही प्रचार कर रहा हूं जो मैंने अभ्यास किया है। मेरी पत्नी एक मेडिकल चिकित्सक के रूप में काम कर रही थी, जब हमारा पहला बेटा 1969 में पैदा हुआ। उस समय, हमारी एकमात्र आय महीने से महीने तक प्राप्त होती थी, और हमारे पास कोई भी बचत नहीं थी। लेकिन हमने फैसला किया कि मेरी पत्नी अपना काम छोड़ देगी और परिवार की देखभाल के लिए घर पर रहेगी। उसके बाद 28 सालों तक, उसने कभी नौकरी नहीं की, लेकिन घर पर रही और हमारे चारों बेटों को परमेश्वर से प्रेम और उसका अनुसरण करना सिखाया। इसका परिणाम क्या है? आज, हमें अपने सभी चार बेटों को नया जन्म पाए हुए, बपतिस्मा लिए, परमेश्वर का अनुसरण करते हुए और उसके लिए गवाही देते हुए देखने का आनंद मिलता है। इस तरह की आशीष तीस या चालीस लाख रुपये से कहीं अधिक है, जो मेरी पत्नी इन 28 सालों में एक डॉक्टर के रूप में कमा पाती। हमें आज कोई पछतावा नहीं है। हम यहां केवल दूसरी माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए हमारी गवाही देते हैं जो इस क्षेत्र में परमेश्वर की इच्छा की खोज कर रही हैं।

एक सच्चा शिष्य उन पत्रिकाओं और पुस्तकों के बारे में भी सावधान रहेगा जो उसके घर में लाए जाते हैं और साथ ही उसके परिवार के सदस्यों द्वारा देखे जाने वाले टेलीविजन और वीडियो कार्यक्रमों के प्रकार के लिए भी सावधान रहेगा। पति घर के मुखिया के रूप में एक सख्त द्वारपाल की तरह होना चाहिए जो सुनिश्चित करता है कि उसके घर में कुछ भी सांसारिक प्रवेश न कर सके। उसे एक कारखाने में गुणवत्ता नियंत्रण विभाग के प्रमुख की तरह होना चाहिए जो प्रत्येक उत्पाद की जांच करता है और इसे प्रमाणित करता है। माता-पिता जो अपने बच्चों को परमेश्वर के शिष्य बनाना चाहते हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे इन मामलो में अपने बच्चों की जिद्द और चाहत पूरी न करें, क्योंकि यह प्रेम नहीं है, बल्कि परमेश्वर के प्रति मूर्खता और अविश्वासयोग्यता है। किसी भी कलीसिया की ताकत उसके घरों की ताकत में पाई जाती है। यदि घर कमजोर हैं, तो कलीसिया कमजोर है। कलीसिया की ताकत न ऊंचे शोर में, न सुन्दर गीतों में, यहां तक कि अच्छे प्रचार में भी नहीं है, लेकिन घरों की भक्ति पर निर्भर करती है जो मिलकर कलीसिया का निर्माण करते है। आइये हम इस भूमि में ऐसे घर बनाए, जो हमारे परमेश्वर की महिमा करें।