द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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उत्पत्ति अध्याय 37 में हम पढ़ते हैं कि यूसुफ परमेश्वर से डरने वाला लड़का था और इसलिए शैतान उससे घृणा करता था। इसलिए शैतान ने उसके बड़े भाइयों को उकसाया कि वे उससे पीछा छुड़ा लें। लेकिन परमेश्‍वर ने यह सुनिश्चित किया कि वे यूसुफ को जान से न मार सकें। हालाँकि, वे कुछ इश्माएली व्यापारियों को उसे बेचने में कामयाब रहे। लेकिन आपको क्या लगता है कि वे व्यापारी यूसुफ को कहाँ ले गए? अवश्य ही वे उसे मिस्र ले गए! यह परमेश्वर की योजना में चरण एक का पूरा होना था! मिस्र में यूसुफ़ को पोतीपर ने खरीद लिया था। यह भी परमेश्वर द्वारा तय किया गया था। पोतीपर की पत्नी एक दुष्ट स्त्री थी। उसे यूसुफ़ पसंद आ गया और वह उसे अपने जाल में फँसाने की बार-बार कोशिश करने लगी। अंत में, जब उसने पाया कि वह सफल नहीं हो सकी, तो उसने यूसुफ़ पर झूठा आरोप लगाया और उसे बन्दीगृह में डाल दिया। लेकिन आपको क्या लगता है कि यूसुफ़ बन्दीगृह में किससे मिला? फिरौन के पिलानेहार से! परमेश्वर ने फिरौन के पिलानेहार को भी उसी समय बन्दीगृह में डालने का आयोजन किया ताकि यूसुफ़ उससे मिल सके। वह परमेश्वर की योजना में दूसरा चरण था। परमेश्वर की योजना का तीसरा चरण यह था कि फ़िरौन का पिलानेहार यूसुफ़ के बारे में दो साल तक भूल जाएगा। “फिर भी पिलानेहारों के प्रधान ने यूसुफ को स्मरण न रखा; परन्तु उसे भूल गया… पूरे दो वर्ष बीतने पर फिरौन ने यह स्वप्न देखा… तब पिलानेहारों का प्रधान फिरौन से बोल उठा…” (उत्पत्ति 40: 23; 41: 1,9)। परमेश्वर के नियुक्त समय के अनुसार यूसुफ़ के बन्दीगृह से छूटने का वही समय था। भजन 105: 19, 20 कहता है “…जब तक कि उसकी बात पूरी न हुई तब तक परमेश्वर का वचन उसे कसौटी पर कसता रहा। तब राजा ने दूत भेजकर उसे छुड़ाया”। यूसुफ अब 30 वर्ष का हो चुका था। परमेश्वर का समय आ गया था। और इसलिए परमेश्वर ने फिरौन को एक सपना दिया। और परमेश्वर ने प्रधान पिलानेहार को भी याद दिलाया कि यूसुफ़ ने उसके स्वप्न का अर्थ बताया था। इस तरह यूसुफ़ फ़िरौन के सामने पहुँचा और मिस्र का दूसरा शासक बन गया। यूसुफ़ के जीवन में हुई घटनाओं में परमेश्वर का समय इससे अधिक सटीक नहीं हो सकता था! जिस तरह परमेश्वर ने सारे घटनाक्रम को नियोजित किया था, हम ऐसा कभी नहीं सोच सकते थे। अगर हमारे पास यूसुफ़ के जीवन की योजना बनाने की शक्ति होती, तो हम शायद लोगों को उसे हानि पहुँचाने से रोक देते लेकिन जिस तरह से परमेश्वर ने किया, वही सबसे बेहतर था। यह बहुत बड़ा चमत्कार है, जब लोग जो बुराई करते हैं वह हमारे लिए परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बदल जाता है! शैतान की चालों को उसके ही सिर पर उलट देने में परमेश्वर हर्षित होता है ताकि सब बाते मिलकर उसके चुने हुओं के लिए भलाई को उत्पन्न करें।

निर्गमन के पहले अध्याय में हम पढ़ते है कि फिरौन इस्राएलियों से परेशान था, भले ही वे उसके गुलाम थे। वे गिनती में बढ़ते ही जा रहे थे और उसे डर था कि वे अंततः उसके खिलाफ विद्रोह करेंगे और उसके लिए काम करना बंद कर देंगे। इसलिए उसने एक आदेश जारी किया कि इस्राएलियों से पैदा हुए सभी पुरुष बच्चों को तुरंत मार दिया जाएं। यह युक्ति शैतान से उत्पन्न हुई थी। मानव इतिहास में कई बार शैतान हमेशा यहूदियों को मारने के लिए उनके पीछे रहा। यह ऐसे बहुत से मौकों में से पहला था। हम देखते हैं कि क्योंकि फिरौन ने एक आदेश पारित किया था कि सभी पुरुष शिशुओं को मार दिया जाएं, इसलिए मूसा की माँ ने परमेश्वर से प्रार्थना के साथ मूसा को एक छोटी टोकरी में रख कर नदी में तैरने डाल दिया। यदि वह दुष्ट फ़र्मान नहीं होता, तो वह कभी ऐसा नहीं करती। लेकिन क्योंकि उसने ऐसा किया तब मूसा को फिरौन की बेटी ने उठाया और वह फिरौन के महल में पला-बढ़ा - वह स्थान जहाँ परमेश्वर उसे जीवन के पहले 40 वर्षों के लिए प्रशिक्षित करना चाहता था। ऐसा कभी नहीं हो सकता था अगर फिरौन ने उस दुष्ट कानून को घोषित नहीं किया होता, नहीं तो मूसा सिर्फ एक और गुलाम बनकर रह जाता। क्या आप देख सकते है कि शैतान जो करता है, उसके द्वारा भी परमेश्वर के उद्देश्य कैसे पूरे होते हैं?

एस्तेर की किताब में, हम पढ़ते है कि कैसे परमेश्वर ने यहूदियों को एक जाति के रूप में नाश होने से बचाया। लेकिन यह देखना आश्चर्यजनक है कि परमेश्वर ने यह कैसे किया - एक छोटी सी घटना के माध्यम से - कि राजा एक रात सो नहीं सका। हामान और उसकी पत्नी एक रात साजिश रच रहे थे कि अगली सुबह वे राजा के पास से मोर्दकै को फांसी पर चढ़ाने की अनुमति ले - सभी यहूदियों को नष्ट करने के प्रस्ताव के रूप में। लेकिन जब हामान और उसकी पत्नी अपनी दुष्ट योजनाएँ बना रहे थे, तब परमेश्वर मोर्दकै की ओर से काम कर रहा था। “इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा” (भजन 121: 4)। परमेश्वर ने राजा को उस रात सोने से रोका, "उस रात राजा को नींद नहीं आई, इसलिये उसकी आज्ञा से इतिहास की पुस्तक लाई गई और पढ़कर राजा को सुनाई गई” (एस्तेर 6: 1)। राजा ने कई घंटों तक अपने राष्ट्र के इतिहास को सुना, जब तक कि दिन की सुबह नहीं हुई। और वह पढ़ते हुए उस जगह पर आए जहां यह दर्ज किया गया था कि मोर्दकै ने एक बार राजा को हत्या से बचाया था। राजा ने अपने सेवकों से पूछा कि इसके लिए मोर्दकै को कौन सा सम्मान दिया गया था और उन्होंने जवाब दिया कि कुछ भी नहीं किया गया। परमेश्वर की घटनाओं का समय फिर से सिद्ध था। उसी क्षण हामान अंदर आकर राजा से मोर्दकै को फांसी पर चढ़ाने की अनुमति मांगने की योजना बनाने लगा। इससे पहले कि हामान अपना मुँह खोल सके, राजा ने हामान से पूछा कि जिसे राजा सम्मान देना चाहता है उसके लिए क्या करना चाहिए। हामान ने यह सोचकर कि वह व्यक्ति वह स्वयं ही है जिसका राजा जिक्र कर रहा है, और इसलिए उसने ऐसे व्यक्ति के सम्मान के लिए एक महान परेड का सुझाव दिया। राजा ने कहा, "जाओ और मोर्दकै के लिए जल्दी से ऐसा ही करो"। हमारा परमेश्वर शैतान के पासों को कैसे अदभूत रीति से पलट देता है। हामान आखिरकार उसी फांसी पर लटका दिया गया जो उसने मोर्दकै के लिए बनाई थी। जैसा कि बाइबल कहती है, "जो गड़हा खोदे (दूसरे के लिए), वही (स्वयं) उसी में गिरेगा, और जो पत्थर लुढ़काए (दूसरे पर), वह उलट कर उसी पर लुढ़क जाएगा (उसे कुचलने के लिए) (नीतिवचन 26:27)। हामान इस कहानी में शैतान का एक प्रकार है जो हमेशा हमारे खिलाफ कुछ बुराई की योजना बना रहा है। परमेश्वर उसे नहीं रोकेगा, क्योंकि परमेश्वर के पास एक बेहतर योजना है। वह शैतान के पासें को पलटना चाहता है। शैतान जो गड्ढा हमारे लिए खोदता है उसमें वही स्वयं अंत में गिरता है। सपन्याह 3:17 कहता है (एक अनुवाद में) कि परमेश्वर हर समय गुप्त में हमारे लिए प्रेम में योजना बना रहा हैं। जब मोर्दकै उस रात शांति से सो रहा था उन सभी दुष्ट योजनाओं से अनजान जो हामान और उसकी पत्नी उसके खिलाफ बना रहे थे, तब परमेश्वर भी मोर्दकै की रक्षा करने की योजना बना रहा था। इसलिए मोर्दकै शांति से सो सकता था, भले ही वह हामान की दुष्ट योजनाओं के बारे में जानता होता। क्यों नहीं? अगर परमेश्वर उसकी ओर है तो उसका विरोधी कौन हो सकता है?

इसका सबसे बड़ा उदाहरण कलवरी क्रूस है - जहाँ शैतान ने यीशु के दुश्मनों द्वारा उसे क्रूस पर चढ़ाया। लेकिन वह क्रूस वही स्थान बन गया जहाँ शैतान स्वयं हराया गया! शैतान की योजना ने उल्टा उसी पर वार किया - जैसा कि हमेशा होता है। परमेश्वर ने यीशु के लिए शैतान के पासें को उलट दिया। वह हमारे लिए भी ऐसा ही करेगा यदि हम परमेश्वर के सामने नम्रता में शुद्ध विवेक के साथ रहें। शैतान और उसके दूत जो कुछ भी हमें नुकसान पहुँचाने के लिए करते हैं, वो उन पर वापस उलट दिया जाएगा - और हमारे जीवन के लिए परमेश्वर के उद्देश्य पूरे होंगे।