द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   घर
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हमारे घर के संबंध में, इफिसियों के 5 और 6 अध्याय में तीन रिश्तों - पतियों और पत्नियों का (इफि. 5: 22-33), बच्चों और माता-पिताओं का (इफि. 6: 1-4) और स्वामी और नौकरों (इफि. 6:5-9) का विवरण किया गया है। यह पिछला भाग हमारे घरों में काम करने वाले नौकरों पर और साथ ही एक कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों पर लागू होता है - जैसा कि एक कंपनी या सरकार के कर्मचारी होना, जहाँ हमारे ऊपर प्रबंधकर्ता होते हैं। तो ये निर्देश हमें यह बताते हैं कि हम स्वयं को कैसे एक स्वामी / स्वामिनी और नौकरों के रूप में - घर पर, या कार्यालय में संचालित कर सकते हैं। हम सभी अपना समय अधिकतर दो जगहों पर बिताते है - घर पर और हमारे कार्यालय में। एक आत्मा से भरा हुआ - व्यक्ति घर पर और काम के स्थान पर मसीह के आत्मा को प्रकट करता है। केवल इसी आत्मा के साथ, हम मसीह के शरीर को बना सकते हैं।

इफिसियों का पत्र मसीह के शरीर के निर्माण के बारे में बताता हैं। एक दूसरे के प्रति हमारे आचरण का मूलभूत सिद्धांत यह होना चाहिए: " मसीह के भय से एक दूसरे के आधीन रहो"(इफि. 5:21)। इसलिए जिस प्रकार पत्नियों को अपने पति के अधीन होना चाहिए, पतियों को भी अपने पत्नियों के अधीन होना चाहिए। उसी तरह, पिता को भी अपने बच्चों के अधीन होना है और स्वामी को अपने कर्मचारियों के अधीन होना चाहिए। इन सब का क्या अर्थ है?

परमेश्वर ने सभी के चारों ओर एक सीमा खींचकर रखा है और हमें उन सीमाओं का सम्मान करना चाहिए। इसी तरह हम "सभी लोगों का सम्मान करते हैं" (1 पतरस 2:17)। पति, पत्नी, पिता, बच्चे, स्वामी और दास, परमेश्वर ने इन सभी के चारों ओर एक सीमा तय की है। यदि आपके अपने घर में काम करने वाले कोई नौकर है, तो उसके पास अधिकारों की कुछ सीमाएं हैं, जिसका उल्लंघन आप नहीं कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, उन्हें नियमित रूप से अपना वेतन दिया जाना चाहिए, उसकी गरिमा का सम्मान किया जाना चाहिए, उसे संशोधित किए जाने पर उसे अपमानित नहीं किया जाना चाहिए आदि। अतः स्वामी को अपने दास के अधीन होना चाहिए।

उसी तरह, जब किसी बच्चे को बुरे व्यवहार के लिए दंडित किया जाता है, तो उसकी गरिमा का सम्मान किया जाना चाहिए। पिताओं को अपने बच्चों की सीमाओं का अधीन होना चाहिए। एक पिता के रूप में, मैंने इसे एक नियम बनाया था कि मैं अपने बच्चों को दूसरों की उपस्थिति में कभी दंडित नहीं करूँगा - चाहे वे आगंतुक हो या उनके भाई ही क्यों न हो - क्योंकि तब वह उनके लिए दोगुना दंड बन जाएगा - पहला छड़ी और फिर दूसरों के सामने अपमानित किया जाना। और अपमान छड़ी से अधिक कष्टमय हो सकता है। तो एक बच्चे के पास उसके चारों ओर गरिमा की एक सीमा भी है - और उसके पिता को उस सीमा का सम्मान करना चाहिए।

उसी तरह, एक पत्नी के चारों ओर भी एक सीमा है। वह रसोईघर में अपने तरीके से कुछ करना चाहेगी। वह उसका क्षेत्र है। एक पति को रसोईघर चलाने में उसका हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मैंने एक धर्मी व्यक्ति के बारे में सुना है, जो अपने तरीकों से बहुत व्यवस्थित रहता था। लेकिन उसकी पत्नी बिलकुल विपरीत थी। वे बहुत ही अव्यवस्थित तरीके से अपने रसोई घर में प्लेटों और कटलरी को रखती थी - सभी मिश्रित ढंग से। जब भी पति रसोई में व्यंजन आते, तो व्यंजन और कटलरी को व्यवस्थित ढंग से रखने का प्रलोभन उनमें आता,जैसा कि उनका मन उनसे करने के लिए कहता। लेकिन वे यह जानते थे कि जब उनकी पत्नी ऐसे व्यवस्थित रसोई को देखेगी तो वह अवश्य निराश हो जाएगी क्योंकि वह कभी भी इस तरह से चीजों की व्यवस्था नहीं कर सकती थी। इसलिए वे जानबूझकर सामानों को मैला-कुचैला ढंग से रखते जैसे कि उनकी पत्नी रखा करती थी ताकि उनकी पत्नी अपने रसोईघर में काफी घर का सा अनुभव कर सकें। इसका क्या परिणाम निकला? उनका रसोईघर तो मैला-कुचैला था लेकिन उनके बीच एक गौरवपूर्ण संगति रही!! वह ईश्वरीय भाई यह जानता था कि मसीह के प्रति सम्मान में उन्हें अपनी पत्नी के अधीन कैसे होना चाहिए! वे बुद्धिमान थे और उन्हें इस बात का अभिज्ञात था कि उनके और उनकी पत्नी के बीच संगति सबसे महत्वपूर्ण बात थी। उन्होंने चिंता नहीं किया कि प्लेट्स और कटलरी अव्यवस्थित तरीके से रखे गए थे या सुव्यवस्थित तरीके से। कुछ विवाहित जोङियां इतने मूर्ख है कि वे एक स्वच्छ घर को आपसी संगति से ज्यादा मूल्य देते हैं।

माता-पिता और बच्चों के बीच की संगति एक साफ और सुव्यवस्थित घर से बढ़कर है। हमें निश्चित रूप से हमारे बच्चों को साफ-सुथरा रहना और चीजों को अपने उचित स्थानों पर रखना सिखाना है। लेकिन जब वे छोटे हैं और घर में खेलते हैं, तो हर समय सबकुछ साफ-सुथरा रखना असंभव होता है। घर ही बच्चों का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां वे स्वतंत्र हो सकते हैं। निजी रूप से, मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि दूसरे मेरे घर के विषय में क्या सोचते है - यदि मेरा घर सुव्यवस्थित ढंग से रखा गया है या नहीं। मैं चाहता हूं कि मेरी पत्नी और बच्चें घर में खुश रहे और मैं उनके साथ संगति चाहता हूं। यह मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण है। हमेशा संगति को एक सुव्यवस्थित घर की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माने।

इफिसियों 5 में यह भी कहा गया है कि एक पत्नी को अपने पति के अधिकार को उसके सिर के समान पहचानना चाहिए। परमेश्वर ने पति को उसके सिर के रूप में रखा है - जैसे हमारे शरीर में मस्तिष्क होता है। सिर (मस्तिष्क) शरीर के सभी सदस्यों का ध्यान रखता है (इफि. 5:28)। उसी प्रकार, पति को अपने पत्नी की देखभाल करनी चाहिए। सिर होने का अर्थ केवल आदेश देना नहीं होता है। सिर शरीर को आज्ञा देता है - वह हाथ, पैर और जीभ को विभिन्न चीजों को करने के लिए कहता है। लेकिन फिर भी सिर सदस्यों की परवाह करता है। यदि शरीर में कहीं भी थोड़ी सी चोट आती है, तो सिर को तुरंत यह ज्ञात होता है और इसके विषय में वह कुछ करता है। उसी प्रकार एक पति को, सिर के रूप में, अपने पत्नी के चोटों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। इसी प्रकार मसीह हमारे सिर हमारे प्रति है। मैं केवल शारीरिक चोटों की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन भावुक चोटों की भी। जब पत्नी उदास या निराश होती है या किसी चीज़ के कारण उसे चोट लगी है, तो पति को उसके प्रति सहानुभूति दिखानी है और चंगाई लानी है। वह पति जो इस तरह की देखभाल में दिलचस्पी नहीं रखता है, वह सिर बनने के योग्य नहीं है। एक सिर जो केवल आदेश देता है वह अधिनायक है! एक संवेदनशील पति और एक विनम्र पत्नी एक साथ, दुनिया के लिए मसीह और कलीसिया का एक सुंदर प्रदर्शन है। हम सभी को इस प्रकार के घर का निर्माण करना चाहिए। इसे प्राप्त करने के लिए समय लगेगा , लेकिन हमें पूर्ण हृदय से इसका अनुसरण करना है।

बच्चों को अपने माता-पिता का पालन करने के लिए सिखाया जाना चाहिए (इफि. 6: 1-4) सबसे महत्वपूर्ण बात जिसे हमें अपने बच्चों को सिखाना है वह यह है कि वे माता-पिताओं का अनुसरण करें। गुलामों को अपने स्वामी का पालन करने का आदेश दिया गया है, केवल दिखाने वाली सेवा नहीं, परन्तु हृदय से। और मालिकों से अनुरोध किया गया है कि उनका अपने दासों के साथ अनुग्रहपूर्वक चलन रहे और बिना किसी पक्षपात के(इफि 6:5-9) ।