द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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व्यवस्थाविवरण का अर्थ है “एक दूसरी व्यवस्था”। यह इसलिए है क्योंकि इसमें व्यवस्था के बहुत से पहलुओं को दोहराया गया है। हम इस पुस्तक को दो प्रकार से बाँट सकते है। सबसे पहले हम इसे मूसा द्वारा दिए गए तीन उपदेशों में बाँट सकते हैं:

1) पहला उपदेश (अध्याय 1 से 4)
2) दूसरा उपदेश (अध्याय 5 से 26)
3) तीसरा उपदेश (अध्याय 27 से 30)

और यह सब उस मनुष्य द्वारा बोला गया था जिसने जलती हुई झाड़ी के पास प्रभु से यह कहा था कि वह बोलने में भद्दा है! पुस्तक का समापन मूसा के गीत के साथ होता है (अध्याय 32), मूसा की आशीष (अध्याय 33), और मूसा की मृत्यु (अध्याय 34)

और इसको बाँटने का दूसरा तरीक़ा है कि इसे तीन दिशाओं में देखना:

1) पीछे की ओर देखते हुए: दो संदेश जो पीछे मुड़कर जंगल में बिताए गए 40 वर्षों के दौरान परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को देखते हुए (अध्याय 1-11)
2)। ऊपर की ओर देखते हुए: दो संदेश जो ऊपर की ओर परमेश्वर को देखते हुए – उसकी व्यवस्था द्वारा। परमेश्वर की व्यवस्था द्वारा मनुष्य अपनी ज़रूरत को देख पाता है (अध्याय 12-31)
3) आगे की ओर देखते हुए: दो संदेश जो आगे की ओर उन अद्भुत बातों को दिखाते हैं जो परमेश्वर भविष्य में करने वाला है (अध्याय 32-33)

हम सभी को अपने जीवन में इन तीन दिशाओं में देखते रहने की ज़रूरत है। हम चाहे कितने भी बड़े-बूढ़े क्यों न हो जाए, लेकिन हमें इन तीनों दिशाओं में देखना बंद नहीं करना चाहिए।

1. पीछे मुड़कर देखना (व्यवस्थाविवरण 1-11):
हमें पीछे की ओर देखने की ज़रूरत है। मैंने अपने जीवन में बहुत बार पीछे मुड़ कर देखा है कि प्रभु ने मेरी कैसे अगुवाई की – और उससे मेरे विश्वास का नवीनीकरण हुआ है। जब मेरे सामने कोई ऐसी कठिन परिस्थिति आती है जिसमें से निकलने का कोई रास्ता नज़र नहीं आता, तब मैं अपने आप को बाइबल में दी गई प्रतिज्ञाएं याद दिलाता हूँ और दूसरे विश्वासियों द्वारा मुझे प्रोत्साहित करने वाली बातें सुनता हूँ। लेकिन मेरे विश्वास को सबसे ज़्यादा बल तब मिलता है, जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ। प्रभू मुझसे पूछता है, “क्या मैंने कभी तुझे एक बार भी नीचे गिरने दिया है?” मुझे यह उत्तर देना पड़ता है, “नहीं प्रभु, एक बार भी नहीं”। फिर वह मुझसे कहता है, “मैं अब भी तुझे गिरने नहीं दूँगा”। पीछे मुड़ कर देखने द्वारा मैं बाक़ी सब बातों से बढ़कर प्रोत्साहित होता हूँ।

क्या आप फिर से गिर गए है? पीछे मुड़ कर देखें कि परमेश्वर ने कैसे आपको क्षमा किया था। जब उसने आपको क्षमा किया था, उस समय क्या परमेश्वर यह नहीं जानता था कि आप फिर से गिरेंगे? क्या यह उसके लिए हैरानी की बात थी कि आप फिर से गिर गए है? नहीं। वह आपको फिर से क्षमा करेगा। कृतज्ञता के साथ पीछे मुड़ कर देखे। इससे आपका विश्वास मज़बूत होगा। प्रभु की दया के लिए धन्यवादी रहें। जब आप बीते समय की अपनी निष्फलताओं को देखेंगे, तो आपके लिए यह आसान हो जाएँग कि आप अपने आसपास के उन विश्वासियों के प्रति दयालु होंगे जो निष्फल होते है। लेकिन एक बात ऐसी भी है जिसमें हमें पीछे नहीं देखना है। पौलुस ने कहा, “जो बाते पीछे रह गई है, उन्हें भूलकर आगे बढ़ता जाता हूँ” (फिलिप्पियों 3:13)। अगर हम एक ग़लत ढंग से पीछे देखेंगे, तो हम निराश होंगे और हमें ऐसा लगेगा कि हम अपने जीवन में निकम्मे और असफल साबित हुए है, क्योंकि हमने अपने जीवन के बहुत साल बर्बाद कर दिए है।

जो लोग यह सोचते है कि उन्होंने अपने जीवन बर्बाद कर दिए है, मैं उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कुछ कहना चाहता हूँ। यीशु ने कुछ मज़दूरों के विषय में एक दृष्टांत सुनाया जिन्होंने काम करने के 12 घंटों में से 11 घंटे तक कोई काम नहीं किया था। आख़िरी घंटे में एक व्यक्ति ने उन्हें काम पर बुलाया और उन्हें अपनी दाख की बारी में काम करने के लिए कहा। उन्होंने जाकर सिर्फ़ एक घंटा ही काम किया। लेकिन यीशु ने कहा कि उन्हें उनकी मज़दूरी पहले मिली! जिन्होंने 12 घंटे काम किया, उन्हें उनकी मज़दूरी आख़िर में मिली। मेरी आशा है कि इससे आपको प्रोत्साहन मिलेगा। हमें निराशा के साथ पीछे नहीं देखना है। और न ही घमंड से पीछे देखना है। “जो बाते पीछे रह गई है, उन्हें भूलने में” वे सब बातें शामिल है जो हमें निराश करती है और जो हमें घमंड से भरती है। अगर आप किसी ऐसी बात के विषय में सोचते है जो आपको निराश करती है या आपको घमंड से भरती है, तो मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि आप जितनी जल्दी हो सके उन्हें भूल जाएं। लेकिन हमें उन सब कामों के लिए हमेशा धन्यवाद के साथ पीछे मुड़ कर परमेश्वर की ओर देखने की ज़रूरत है, जो उसने हमारे लिए किए है। मैं इस तरह से पीछे मुड़ कर देखने के विषय में बात कर रहा हूँ। पतरस कहता है कि जो लोग इस तरह पीछे मुड़ कर नहीं देखते और अपने पापों से धुलकर शुद्ध होने को भूल बैठे है, वे अंधे और धुन्धला देखते है (2 पतरस 1:9)।

2. ऊपर की ओर देखना (व्यवस्थाविवरण 12-31)
हमें ऊपर की ओर देखने की ज़रूरत है। हमें ऊपर देखना नहीं छोड़ना चाहिए, और प्रभु की महिमा को ज़्यादा से ज़्यादा देखते रहना चाहिए। यीशु की महिमा का बहुत सा भाग ऐसा है जो हमने अभी तक नहीं देखा है। वह देखने के लिए हममें एक भूख होनी चाहिए क्योंकि पवित्र-आत्मा हमें उसी स्वरूप में बदलना चाहता है। जैसा कि हम प्रभु की महिमा को देखते हैं, यह हमें विनम्र करेगा क्योंकि तब हम अपनी आवश्यकता को देखेंगे। अपने जीवन के अंत तक नम्रता की दशा में बने रहने का यही रहस्य है।

ऐसे एक व्यक्ति लिए घमंड से भर जाना बहुत आसान होता है जिसका परमेश्वर ने अभिषेक किया हो और जिसका उसने बहुत सामर्थ के साथ इस्तेमाल किया हो। मैंने ऐसे बहुत से प्रचारक देखे है। परमेश्वर ने क्योंकि उन्हें इस्तेमाल किया है, इसलिए वे घमंड से भर गए है और लोगों से दूर हो गए है। वह कौन सी बात है जो हमारे जीवन के अंत तक हमें टूटेपन और दीन-हीन दशा में बनाए रखेगी? सिर्फ़ एक ही बात। यीशु की ओर देखते रहना, जो हमारे विश्वास का कर्ता और उसे सिद्ध करने वाला है। जब हम यीशु की ओर देखते हैं, तो घमंड से भरना हमारे लिए असंभव होगा। एक मनुष्य तभी घमंड से भरता है जब वह दूसरे लोगों की तरफ़ देखता है और यह कल्पना करने लगता है कि वह उनसे बेहतर है या उनसे ज़्यादा अभिषिक्त है या उनसे ज़्यादा परमेश्वर द्वारा इस्तेमाल हुआ है आदि। लेकिन, अगर वह ऊपर की ओर यीशु को देखेगा, तो वह मन फिरा कर मुँह के बल धूल में गिरेगा – जैसे पतमुस द्वीप में प्रेरित यूहन्ना गिरा था। और अगर एक मनुष्य यीशु की ओर देखता रहेगा, तो वह अपना मुँह हमेशा धूल में ही रखेगा। हममें से हर एक को अपने मुँह को धूल में रखना सीखना चाहिए। वह एक सुरक्षा की जगह है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि परमेश्वर आपके जीवन के अंत तक आपसे प्रसन्न रहे, तो ऊपर की ओर देखते रहे। हमें शुरुआत पहले भीतर की ओर देखते हुए नहीं करनी चाहिए। हमें हमेशा सबसे पहले ऊपर की ओर देखना चाहिए। हमें यीशु को देखना चाहिए और जैसे हम उसकी महिमा को देखते हैं, हम अपने पाप को देख पाएँगे। यह हमारे पाप को देखने का सबसे अच्छा तरीका है; अन्यथा हम निराश हो जाएँगे।

3. आगे की ओर देखना (व्यवस्थाविवरण 32-33)
हमें आगे की ओर भी देखना है – विश्वास से। परमेश्वर ने हमारे लिए अद्भुत बातें तैयार की हुई है। उसने हमारे करने के लिए एक महान काम रखा हुआ है। हम नहीं जानते कि हमें कब इस संसार को छोड़कर जाना है। लेकिन इससे पहले कि प्रभु आए, हमें इस पृथ्वी पर उसके योग्य कुछ काम करने की अपेक्षा रखनी चाहिए। संसार में ज़्यादातर लोग भविष्य की ओर डर और चिंता से देखते हैं। लेकिन हम विश्वास से देखते हैं। परमेश्वर ने व्यवस्थाविवरण में मूसा से कहा कि वह इस्राएलियों से कहें कि वे हमेशा उस दिन की ओर अपेक्षा के साथ देखते रहे जब वे कनान में रहेंगे। व्यवस्थाविवरण में उसने इस्राएल के आगे के भविष्य की नबुवत की।