द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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तीन मुख्य कारण थे कि क्यों एलीशा का अभिषेक किया गया:

1. प्यास: परमेश्वर द्वारा एलीशा का अभिषेक करने का पहला कारण यह था कि वह इसके लिए प्यासा था और इसके लिए संसार की किसी और चीज से ज्यादा चाहत रखता था। 2 राजा 2:1-10 में हमने पढ़ा कि एलिय्याह ने इस बिंदु पर उसका परीक्षण किस प्रकार किया। उसने सबसे पहले एलीशा को गिलगाल में रहने के लिए कहा, जबकि वह खुद आगे चला जाए। लेकिन एलीशा ने एलिय्याह को छोड़ने से इनकार कर दिया। तब एलिय्याह उसे 15 मील की दूरी पर बेथेल की ओर ले गया और फिर 12 मील की दूरी पर यरीहो और उसके बाद 5 मील की दूरी पर यरदन तक, प्रत्येक चरण में एलिय्याह ने एलीशा की दृढ़ता और ईमानदारी का परीक्षण किया। आखिर में एलिय्याह ने उससे पूछा कि क्या कोई भी बिनती है जिसे वह जाने से पहले पूरा कर सके। और एलीशा ने कहा मुझे केवल एक चीज चाहिए। यही कारण है कि मैं इस समय तक आपके पीछे चलता रहा। यही कारण है कि मैं आपको छोड़ नहीं सकता भले ही आपने मुझे दूर करने की कोशिश की। मैं आपकी आत्मा का दुगना हिस्सा चाहता हूँ। एलीशा अपने पूरे हृदय से अभिषेक प्राप्त करने के लिए लालसा रखता था। वह उससे कम में संतुष्ट होने वाला नहीं था। और उसने जो कुछ मांगा वह प्राप्त किया।

मेरा मानना है कि अक्सर परमेश्वर हमारी अगुवाई करता है यह जाँचने के लिए कि क्या हम पवित्र आत्मा के सम्पूर्ण अभिषेक के तुलना में किसी ओर चीज में संतुष्ट होते है या नहीं, जैसे एलिय्याह ने एलीशा की परीक्षा की। अगर हम इससे कम किसी ओर चीज में संतुष्ट होते है, तो हमारे पास केवल उतना ही होगा। परमेश्वर यह अभिषेक ऐसे आत्मसंतुष्ट विश्वासियों को नहीं देता, जो यह सोचते है कि वे इसके बिना भी अच्छे तरीके से रह सकते है। लेकिन अगर हमें एहसास हो कि यह एक चीज है जिसकी हमें अन्य सभी चीजों से बढ़कर जरूरत है, अगर एलीशा की तरह हम तब तक पीछे चलने के लिए इच्छुक हैं जब तक कि यह हमें प्राप्त नहीं हो जाता, अगर याक़ूब की तरह पनिएल में हम ईमानदारी से यह कह सके कि "हे प्रभु मैं तुझे तब तक नहीं छोड़ूंगा जब तक तू मुझे यह आशीष न दे, "यदि हम वास्तव में पवित्र आत्मा की इस सामर्थ (पुनरुत्थान की सामर्थ) की लालसा रखे ,तो हम वास्तव में इसे प्राप्त करेंगे। तब हम वास्तव में इस्त्राएल होंगे, जिसमें परमेश्वर और मनुष्यों के साथ सामर्थ होगी।

परमेश्वर अनेक बार हमारे जीवन में असफलताओं और निराशाओं को आने की अनुमति देता है ताकि हमे यह दिखा सके कि हमे पवित्र आत्मा के अभिषेक की कितनी ज्यादा आव्यशकता है। वह हमे इस बात को ज्ञात कराने की कोशिश करता है कि चाहे हमारे सिद्धांत सुसमाचार आधारित हो और पवित्र आत्मा हमारे अंदर वास करता हो, तौभी हमे यह जानना है कि परमेश्वर का आत्मा सामर्थ्य सहित हमारे ऊपर वास करता है। अभिषेक होना कोई आसान बात नहीं है। जब एलिय्याह ने एलीशा की बिनती को सुना तो उसने यह नहीं कहा, "ओह, यह एक तो एक आसान बात है जिसके लिए तुमने बिनती की है। तुम यहाँ घुटने टेको और मैं अपने हाथ तुम्हारे सिर पर रखूंगा और तुमको अभिषेक प्राप्त होगा।" नहीं। एलिय्याह ने एलीशा से कहा, "तुमने बहुत मुश्किल चीज मांगी है।" हाँ, यह एक कठिन बात है। हमें इसके लिए एक कीमत चुकानी पड़ेगी। हमें इसके लिए संसार में सबकुछ छोड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।

हमें संसार पर किसी भी और चीज से बढ़कर अभिषेक प्राप्त करने की इच्छा रखनी चाहिए – धन, आराम, सुख से अधिक,प्रसिद्धि और लोकप्रियता से अधिक, और यहाँ तक की मसीही सेवकाई में सफलता से भी अधिक। हाँ, यह वास्तव में एक कठिन बात है। लेकिन प्यास का मतलब यही है। जब हम उस चरण तक पहुंच जाते हैं तो हम यीशु के पास जा सकते हैं और पी सकते हैं और जैसा कि पवित्रशास्त्र में कहा है, तब जीवित जल की नदियां अनेक दिशाओं में हमारे द्वारा बहेंगी और मृत्यू मे से जीवन को लेकर आएगी। (यूहन्ना 7: 37-39; यहेजकेल 47: 8, 9)। यदि हमने अभिषेक प्राप्त किया है, तो हमें सावधान रहना है कि इसे किसी भी कीमत पर न खोये। हम इसे प्राप्त कर सकते है, और इसे खो भी सकते है यदि हम सावधान न रहे तो। इसलिए हमें कठोर निंदा और व्यर्थ की बातचीत और अशुद्ध कल्पनाओं में भागी नहीं होना है और न ही हमें अपने ह्रदय में घमंड और क्रोध को पनपने की अनुमति देना है, नहीं तो इस अभिषेक को हम खो देंगे। प्रेरित पौलुस ने 1 कुरिन्थियों 9:27 में कहा था कि “मैं अपनी देह को मारता, कूटता और वश में लाता हूँ, कहीं ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरू। मैं विश्वास करता हूँ कि वह यहाँ पर अपने उद्धार की नहीं परंतु अभिषेक को खोने की संभावना के बारे में बात करता है। मैं इस बात पर आश्चर्य करने से कभी नहीं रुका कि महान प्रेरित पौलुस भी इतनी सारी कलीसियाएँ स्थापित करने के बाद, नाना प्रकार के आश्चर्यकर्म करने और परमेश्वर द्वारा सामर्थी रूप से इस्तेमाल किये जाने के बाद भी, अभिषेक को खोने के खतरे में था, यदि वह लापरवाह होता, तो हम कहाँ खड़े है? हमें लगातार प्रार्थना करने की ज़रूरत है, "हे परमेश्वर, भले ही मैं जीवन में कुछ भी खोऊँ, पर आपके अभिषेक को कभी ना खोने पाऊँ"।

2. उद्देश्य (नियत) की शुद्धता: एलीशा के अभिषेक का दूसरा कारण यह था कि उसके उद्देश्य शुद्ध थे। परमेश्वर की महिमा उसकी एकमात्र चिंता थी। इसका कहीं भी बहुत ज़्यादा शब्दों में उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन यह बहुत स्पष्ट हो जाता है जब कोई व्यक्ति एलीशा के जीवन के रिकॉर्ड/अभिलेख को पढ़ता है। परमेश्वर के लोगों के मध्य में एक बड़ी आवश्यकता थी और परमेश्वर के नाम की जो निंदा हुई थी उससे उसके ह्रदय को चोट पहुँची थी, ठीक वैसे जैसे एलियाह के ह्रदय को चोट पहुँची थी। और वह उस भूमि में परमेश्वर की सेवकाई को पूरा करने और उसके महिमामय नाम से निंदा को हटाने के लिए अभिषेक की तीव्र इच्छा रखता था। अक्सर अशुद्ध और स्वकेंद्रित उद्देश्य ही वह कारण है, कि क्यों परमेश्वर के बहुत से संतानों के पास अभिषेक नहीं है। अधिकांश मसीही खुश हैं अगर वे बाहरी तौर से सही हैं, लेकिन परमेश्वर भीतरी हिस्सों में सत्य की तलाश करता हैं। वह देखता है कि क्या हम उसकी महिमा या खुद के बारे में चिंतित हैं। वह देखता है कि क्या उसके नाम की निंदा हमें खेदित करती है या नहीं। यदि हमारा ह्रदय बोझिल और चोटिल नहीं होता है जब हम अपने देश में परमेश्वर के नाम की निंदा आज होते हुए देखते है, तब मुझे आश्चर्य होता है कि क्या परमेश्वर कभी हमारा अभिषेक करेगा या नहीं। यहेजकेल 9: 1-6 में, हम परमेश्वर के बारे में कुछ लोगों को अनोखे रूप से उसके अपने लोगों के रूप में चिह्नित करते हुए पढ़ते हैं। जिन लोगों को उसने चिह्नित किया ये वे थे जिन्होंने परमेश्वर के लोगों के बीच पाप को देखकर रोये और चिल्लाए। ये परमेश्वर के बचे हुएँ लोगों का गठन करते हैं और ये वे हैं जिन्हें उसने अभिषेक किया हैं- जिनके हृदय उनके नाम के बारे में चिंतित हैं और जो केवल उसकी महिमा करना चाहते हैं।

3. इस संसार के लिए कोई प्रेम नहीं: एलीशा के अभिषेक का तीसरा कारण यह था कि उसे इस संसार के लिए कोई प्रेम नहीं था। यह बात उसके नामान के साथ व्यवहार करने से स्पष्ट हो जाती है। जब नामान ने उसे पैसे देने चाहे तो उसने उस चमत्कार के लिए जो उसने किया कोई भी पैसा लेने से इंकार कर दिया। एलीशा को इस संसार या पैसे के लिए कोई प्रेम नहीं था, उसने परमेश्वर के काम में व्यक्तिगत लाभ नहीं खोजा। गेहेज़ी, दूसरी तरफ, एक अलग ही उदहारण पेश करता है। वह एलीशा का सहायक था जैसे एलीशा एलिय्याह का था। और यदि एलीशा को एलिय्याह की आत्मा का दुगुना हिस्सा प्राप्त हुआ और उसने एलिय्याह की सेवकाई को जारी रखा, तो निश्चित रूप से गेहजी भी एलीशा की आत्मा को प्राप्त करने और एलीशा की सेवकाई को आगे ले जाने में सक्षम हो सकता था। लेकिन उसे अभिषेक नहीं पर उसके बदले में कुष्ठ रोग मिला। क्यों? क्योंकि परमेश्वर ने उसके हृदय को देखा। उसके बाहरी आत्मिक दिखावट के बावजूद गहजी के हृदय की गहराई में व्यक्तिगत लाभ पाने की इच्छा थी। उसने पहले ईमानदारी से परमेश्वर के काम को प्रारम्भ किया होगा लेकिन जल्द ही वह भौतिक फायदो के बारे में सोचने लगा। उसने सोचा कि वह भौतिक धन के साथ साथ अभिषेक प्राप्त कर सकता हैं। लेकिन वह गलत था। कई मसीही सेवको ने भी यही गलती की है। परमेश्वर हमें इस बात से छुटकारा दे कि हम किसी भी कलीसिया या मसीही संस्थान में कभी भी अपने पद और अपनी सेवकाई से स्वयं को फायदा पहुँचाने की कोशिश करें।

परमेश्वर आज हमारे देश में ऐसे पुरुषों और महिलाओं की खोज में है जिन्हें वह अपनी आत्मा से अभिषेक कर सके - थोड़े से ऐसे बचे हुए लोग जो उस सामर्थ को प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार है।

केवल अभिषेक ही हमारे इस देश में शैतान के जुए को तोड़ सकता है (यशायाह 10:27)। यीशु का नाम हमें दिया गया है। लेकिन क्या हमारे पास अभिषेक है? ओह, हमें हमारे जीवन और हमारी सेवा में पवित्र आत्मा की सामर्थ के लिए प्यासे होना है, ताकि हम परमेश्वर की महिमा कर सकें, उसकी इच्छा पूरी कर सकें और उसके राज्य को ला सकें।