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यीशु ने नए दाखरस को नई मशकों में भरने की बात की (लूका 5:37)। नया दाखरस यीशु का जीवन है, और नई मशक वह कलीसिया है जिसका निर्माण यीशु कर रहा है। काना के विवाह में, जहां यीशु मौजूद था, पुराना दाख़रस ख़त्म हो गया था। पुराना दाखरस, मनुष्यों के अनेक वर्षों के परिश्रम के बाद तैयार किया गया था, लेकिन वह मनुष्यों की ज़रूरत को पूरा न कर सका था। यह उस जीवन का दृष्टांत है जो व्यवस्था (पुरानी वाचा) के अधीन था। पुराना दाखरस ख़त्म हो जाता है, और इससे पहले कि प्रभु हमें नया दाखरस दे सके, उसे पुराने दाखरस के ख़त्म होने तक इंतज़ार करना पड़ता है।

क्या हमारे व्यक्तिगत जीवन में, वैवाहिक जीवन में, या कलीसियाई जीवन में दाखरस ख़त्म हो गया है? तब समय हो गया है कि हम प्रभु के मुख के दर्शन के खोजी बने और ईमानदारी से अपनी ज़रूरत को मान ले। सिर्फ़ वही हमें नया दाखरस दे सकता है! काना में तैयार हुआ नया दाखरस किसी मानवीय प्रयत्नो से नहीं बना था। वह परमेश्वर का अलौकिक काम था। और यही हमारे जीवन में भी हो सकता है। वह अपनी व्यवस्था को हमारे हृदयों और मनों पर लिख देगा, कि फिर वह उसकी सिद्ध इच्छा को पूरा करने के लिए हमारी इच्छा में काम कर सकें (इब्रानियों 8:10; फ़िलिप्पियों 2:13)। वह हमारे ह्रदयों का ख़तना करेगा कि हम उससे प्रेम कर सके, और वह ऐसा होने देगा कि हम उसकी आज्ञा का पालन करें (व्यवस्थाविवरण 30:6; यहेजकेल 36:27)। यह उसी तरह उसका काम है जैसे काना में नया दाखरस बनाना उसका काम था। अनुग्रह का यही अर्थ है। हम यीशु के जीवन को उत्पन्न नहीं कर सकते – जीवन भर कोशिश करने के बाद भी नहीं। लेकिन अगर हम अपनी देह में “यीशु के मरने” को लिए फिरेंगे (प्रतिदिन अपना क्रूस उठाएंगे, अपने घमंड, अपनी स्वेच्छा, अपने अधिकारों और अपने नाम के लिए मरते रहेंगे), तब परमेश्वर यीशु के जीवन के नए दाखरस को हम में उत्पन्न करने की प्रतिज्ञा करता है (2 कुरिन्थियों 4:10)

नया दाखरस पाने में, हमारी लड़ाई पाप से है। लेकिन नई मशक पाने में, हमारा युद्ध उन धार्मिक परम्पराओं से होता है जिन्होंने परमेश्वर के वचन को ही रद्द कर दिया है। और अनेक लोगों के लिए जितना पाप से मुक्त होना मुश्किल नहीं है, उससे ज़्यादा मनुष्यों की परंपराओं से मुक्त होना मुश्किल है! लेकिन सिर्फ़ बलवान योद्धा ही स्वर्ग के राज्य को प्राप्त कर सकते हैं (मत्ती 11:12)। धार्मिक परम्पराओं के प्रति हिंसक व्यवहार रखे बिना उन्हें हटाया नहीं जा सकता।

हम यह सोच सकते हैं कि मसीही होते हुए, हमारा पुरानी यहूदी मशक से कोई संबंध नहीं है और मसीही कलीसिया के रूप में हमारे पास तो एक नई मशक है। लेकिन जिसे आप अपनी मसीही मंडली कहते हैं, अगर उसे ध्यान से देखेंगे, तो आपको उसमें पुरानी वाचा के बहुत से लक्षण देखकर बहुत हैरानी होगी। हालाँकि उदाहरण तो बहुत है, लेकिन हम सिर्फ़ तीन उदाहरणों पर ही विचार करेंगे।

सबसे पहले, यहूदियों का एक विशेष गोत्र था (लेवी) जो याजक थे और वही सारा धार्मिक काम करते थे। सभी यहूदी याजक नहीं हो सकते थे। लेकिन नई वाचा में सभी विश्वासी याजक है (1 पतरस 2:5; प्रकाशितवाक्य 1:6)। हालाँकि एक सैद्धांतिक रूप में तो सभी विश्वासी इस सत्य को मानते हैं, लेकिन व्यावहारिक रूप में बहुत कम विश्वास से इस पर चलते हैं। लगभग प्रत्येक मसीही समूह के अपने “याजक”, “पास्टर”, “प्रभु के सेवक”, या “पूर्णकालिक सेवक” है जो हूबहू पुराने समय के उन लेवियों की तरह है जो आराधना करने में परमेश्वर के लोगों की अगुवाई करते थे। सिर्फ़ ये “लेवी” ही नए विश्वासियों को बप्तिस्मा दे सकते हैं और यही प्रभु मेज़ की रोटी तोड़ सकते हैं। और परमेश्वर के लोगों के दसवांशों द्वारा इन “लेवियों” की आर्थिक देखभाल की जाती है। सभाओं में ये “लेवी” सारे सभा को अपने वश में रखते हैं, और एक “दैहिक”-सेवकाई को कोई मौक़ा नहीं देते। एक वक्ता वाला प्रदर्शन पुरानी मशक का काम था। नई वाचा में, प्रत्येक विश्वासी नए दाखरस में से पी सकता है, पवित्र आत्मा का अभिषेक पा सकता है और उसे आत्मा के दान वरदान मिल सकते हैं। दो या तीन नबी सभा का आरंभ कर सकते हैं, एक दो लोग अन्य भाषा में बोल सकते हैं (जिनमें प्रत्येक का अनुवाद होना चाहिए), और एक सभा में प्रत्येक विश्वासी नबुवत करने और कलीसिया को उन्नत करने के लिए आज़ाद है। यह नई मशक है (1 कुरिन्थियों 14:26-31)। नए दाखरस का 1 कुरिन्थियों के अध्याय 13 में वर्णन किया गया है – प्रेम का जीवन। और नई मशक का वर्णन 1 कुरिन्थियों 12 व 14 में किया गया है। लेकिन ऐसे कितने विश्वासी है जो परमेश्वर के तरीक़े से सब करना चाहते हैं? अफ़सोस, ऐसे लोग बहुत कम है। ज़्यादातर उनकी पुरानी मशकों और उनके वेतनभोगी “लेवियों” से ही संतुष्ट हैं।

दूसरी बात, यहूदियों के बीच में ऐसे नबी थे जो विभिन्न मामलों में उनके लिए परमेश्वर की इच्छा मालूम करते थे – क्योंकि सिर्फ़ नबियों के पास ही पवित्र आत्मा होता था। लेकिन नई वाचा में, नबियों का एक बिलकुल अलग काम है – मसीह की देह का निर्माण करना (इफिसियों 4:11,12)। अब क्योंकि प्रत्येक विश्वासी पवित्र आत्मा पा सकता है, इसलिए उन्हें अपने लिए परमेश्वर की इच्छा जानने के लिए किसी नबी के पास जाने की ज़रूरत नहीं है (इब्रानियों 8:11; 1 यूहन्ना 2:27)। फिर भी अनेक विश्वासी पुरानी मशक में ही रह रहे हैं कि आज भी परमेश्वर के किसी जन के पास जाकर यह पूछते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए, किस से विवाह करना चाहिए, आदि।

तीसरी बात, यहूदी जाति एक बड़ी संख्या वाला जन-समूह था जो एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था, लेकिन जिसका यरुशलेम में एक केंद्रीय मुख्यालय था और एक पार्थिव महायाजक उनका अगुआ था। लेकिन नई वाचा में, सिर्फ़ यीशु ही हमारा महायाजक है, और हमारा एक मात्र मुख्यालय परमेश्वर का सिंहासन है। यहूदियों का एक दीपदान होता था जिसकी मुख्य डंडी में से सात दीपकों की शाखाएं निकलती थी (निर्गमन 25:31,32)। यह पुरानी मशक थी।

नई वाचा में, प्रत्येक स्थानीय कलीसिया एक अलग दीपदान है – उसकी कोई शाखा नहीं है। यह प्रकाशितवाक्य 1:12-20 में आपको साफ़ नज़र आ जाएगा जहाँ एशिया माइनर की सात कलीसियाओं का प्रतिनिधित्व सात दीपदानों द्वारा किया गया है; यहूदी दीपदान ऐसा नहीं था। कलीसियाओं के मुखिया के रूप में, यीशु दीपदानों के बीच में चलता फिरता है। उन दिनों में, किसी मसीही मत का कोई पार्थिव पोप, महा-निरीक्षक या अध्यक्ष नहीं था। पृथ्वी पर ऐसा कोई मुख्य प्राचीन भी नहीं था कि जो किसी मामले में अंतिम फ़ैसला कर सकता था। प्रत्येक स्थानीय कलीसिया का संचालन स्थानीय प्राचीनों द्वारा किया जाता था। ये प्राचीन उनके शीर्ष के रूप में सीधे प्रभु के सामने जवाबदार थे। लेकिन हम अपने आस पास ऐसे अनेक मसीही समूह देखते हैं जो एक मसीही धार्मिक व्यवस्था का हिस्सा है (पुरानी मशक), चाहे उसका कोई नाम है या नहीं है – क्योंकि कुछ ऐसे मसीही मत भी है जो यह कहते तो है कि वे एक अलग मसीही मत नहीं है, लेकिन फिर भी उनमें एक धार्मिक मसीही मत के सारे लक्षण पाए जाते हैं। ये सब पुरानी मशकें हैं।

परमेश्वर ने स्थानीय कलीसिया की नई मशक को भ्रष्टाचार/बुराई के फैलाव को रोकने के लिए नियुक्त किया है। अगर एशिया माइनर की सभी कलीसियाए एक ही मसीही मत की अलग शाखाएं होती, तो बिलाम और निकुलईयों की भ्रष्ट शिक्षाएं और इज़ेबेल की झूठी नबुवते सभी सातों कलीसियाओं में फैल गई होती (प्रकाशितवाक्य 2:14-15 व 20)। लेकिन वे क्योंकि अलग अलग दीपदान थे, इसलिए स्मुरना और फ़िलदिलफ़िया की दो कलीसियाएं अपने आपको शुद्ध रख सकीं। इसलिए, अगर आप अपनी मंडली को शुद्ध रखना चाहते हैं, तो मसीही मतवाद की पुरानी मशक को अपने से दूर कर दें। प्रभु हमारे देश में ऐसे अनेक लोगों को खड़ा करें जो मनुष्यों की उन परंपराओं को, जिसने अनेक लोगों को बंधनों में जकड़ा हुआ है, बलपूर्वक मिटाने के लिए तैयार हो (मत्ती 11:12) और जो प्रत्येक स्थान में मसीह की देह की एक स्थानीय कलीसिया तैयार कर सके।