द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   कलीसिया
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कुलुस्सियों 2:2 में पौलुस कहता है, "ताकि उन के मनों में शान्ति हो और वे प्रेम से आपस में गठे रहें, और वे पूरी समझ का सारा धन प्राप्त करें, और परमेश्वर पिता के भेद को अर्थात मसीह को पहिचान लें”"रहस्य" शब्द नए नियम के कुछ भागों में मिलता है, और वह एक ऐसे सत्य के बारे में बताता है जिसे आप सिर्फ तभी जान सकते हैं जब परमेश्वर अपने पवित्र आत्मा द्वारा उसे आप पर प्रकट करता है। 1 कुरिन्थियों 2:8-10 कहता है, “कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं। परन्तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया”

सिर्फ दो ऐसे "रहस्य" हैं जिन्हें बाइबल में "महान्" रहस्य कहा गया है। एक रहस्य यह है कि परमेश्वर मानव देह में आया (1 तीमुथियुस 3:16) “भक्ति का भेद गम्भीर है; अर्थात वह जो शरीर में प्रगट हुआ”। यह ईश्वरीयता का या एक ईश्वरीय भक्ति का जीवन जीने का भेद है। दूसरा भेद - कलीसिया का एक देह और मसीह की दुल्हन के रूप में होना है। इफिसियों 5:32 कहता है: “वे दोनों एक तन होंगे। यह रहस्य तो महान् है, लेकिन मैं यह बात मसीह और कलीसिया के संदर्भ में कह रहा हूँ”। कलीसिया मसीह के साथ एक देह हो गई है यह दूसरा महान् रहस्य है।

हमें परमेश्वर के प्रकाशन की ज़रूरत होगी अगर हमें यह समझना है कि यीशु देहधारी होकर आया, हमारी ही तरह परखा गया, उसने सब प्रलोभनों/परीक्षाओं पर जय पाई, और अब हम कैसे उसके पदचिन्हों पर चल सकते हैं, पाप पर जय पा सकते हैं, और इस तरह, उन सबके साथ मिलकर मसीह की देह का निर्माण कर सकते हैं जो इसी मार्ग पर चल रहे हैं। मसीह की देह के रूप में कलीसिया का निर्माण करना एक व्यक्ति द्वारा पृथ्वी पर की जाने वाली सबसे बड़ी सेवा है। इससे बढ़कर और कुछ नहीं है। पौलुस ने उसका पूरा जीवन इस कलीसिया के निर्माण में खर्च किया था।

परमेश्वर के सबसे बड़े सेवक वे हैं जो मसीह के साथ मिलकर उसकी कलीसिया का निर्माण करते हैं। एक ईश्वरीय जीवन जीना महत्वपूर्ण है, लेकिन वह काफी नहीं है। हमें वह भी करना है जो पौलुस ने किया था – कलीसिया का निर्माण। पौलुस ने अपना जीवन समाज सेवा के काम करते हुए नहीं बिताया था। पृथ्वी से जुड़ी बातों में गरीबों की मदद करना अच्छा है, लेकिन उससे परमेश्वर का अनन्त उद्देश्य पूरा नहीं होगा। अगर आप लोगों को सिर्फ शिक्षा और चिकित्सा/उपचार देकर उनके जीवनों को आरामदायक बना देंगे, तो इससे आप बस इतना करेंगे कि उन्हें बड़े आराम से नर्क में पहुँचा देंगे। पहले वे एक ऊबड़-खाबड़ रास्ते से गुजर कर नर्क जा रहे थे, लेकिन आपने आकर उस रास्ते को थोड़ा आरामदायक बना दिया है। पौलुस को यह समझ आया था कि सारी सेवाओं में सबसे बढ़कर - लोगों को मसीह के पास लाना, उनकी ईश्वरीय जीवन जीने में अगुवाई करना, और फिर उन्हें एक देह में गठित करना था। यह सबसे बड़ी सेवकाई है जो हममें से कोई भी कभी भी कर सकता है।

हम उन सबका आदर करते हैं जो सामाजिक काम करते हैं और मसीह के नाम में गरीबों की सेवा करते हैं। परमेश्वर उन सबको आशिष दे जिन्हें उसने यह करने के लिए बुलाया है। लेकिन पौलुस के समय में भी जगत में बहुत सी सामाजिक ज़रूरतें थीं, लेकिन वह कभी उनमें शामिल नहीं हुआ था। जो ग़रीबों की मदद करते हैं, उन्हें पृथ्वी पर नोबैल शांति पुरस्कार जैसे सम्मान मिल सकते हैं। लेकिन यीशु और पौलुस को कभी नोबैल शांति पुरस्कार न मिला होता। कलीसिया का निर्माण करने वालों को कोई नोबैल पुरस्कार नहीं देता।

कुलुस्सियों 4:17 में, हम अर्खिप्पुस को पौलुस द्वारा दिया गया एक अद्भुत उपदेश पाते हैं: “जो सेवा प्रभु ने तुझे सौंपी है, उसे सावधानी से पूरा कर”। उन सेवकाइयों के बारे में सोच कर परेशान न हों जो परमेश्वर ने दूसरों को दी हैं। परमेश्वर ने आपको एक ख़ास सेवकाई दी है। उस पर ध्यान दें और किसी भी कीमत पर उसे पूरा करें। अर्खिप्पुस की जगह वहाँ अपना नाम रख कर इस वचन को अपने हृदय में बसा लें। जब मैं एक युवक था और मैंने इस वचन को पढ़ा था, तब मैंने अर्खिप्पुस की जगह वहाँ अपना नाम रखा और मैंने प्रभु को मुझे यह कहते हुए सुना, “जो सेवकाई मैंने तुझे सौंपी है उस पर ध्यान दे, और उसे पूरा कर। अपने मार्ग से भटक कर कुछ और न करना”। मैं आप सबसे यह कहना चाहता हूँ, अगर परमेश्वर ने आपको एक कलीसिया का निर्माण करने के लिए बुलाया है, तो मार्ग से भटक कर समाज सेवा के काम में न लग जाएं। अगर परमेश्वर ने आपको एक नबूवत की सेवकाई के लिए बुलाया है, तो किसी मसीही संस्था में डायरेक्टर (निर्देशक) का पद ग्रहण करके न बैठ जाएं। जो सेवकाई आपको परमेश्वर ने सौंपी है, उस पर ध्यान दें और उसे पूरा करें।