द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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प्रकाशित वाक्य 3:7-13 में प्रभु फिलादेल्फिया की कलीसिया के समक्ष खुद का वर्णन करते हुए कहता है कि वह अब कोई भी द्वार बन्द और खोल सकता हैं यदि हम जयवन्त हैं, तो हमें किसी भी समय बन्द द्वार के समय खोलने की ज़रूरत नहीं है, जब परमेश्वर की इच्छा है कि हम भीतर जाएं परंतु प्रभु भी हमारे लिए कुछ द्वारों को बन्द करता है, ताकि हम उन मार्गों में न जाएं जो उसने हमारे लिए नियुक्त नहीं किए हैं - वे मार्ग जिनके विषय में हम जानते हैं कि वे हमारे लिए लाभदायक नहीं होंगें विजयी होना सचमुच एक उत्साहपूर्ण जीवन हैं स्वयं प्रभु यह निश्चित करता है कि हमें कौनसे द्वारों से अंउर जाना चाहिए, और हमें कौनसे द्वारों पर खटखटाना बन्द करना चाहिएं

यहां फिलदेल्फिया में, हम दो सन्देशवाहकों में से और कलीसियाओं में से दूसरे को देखते हैं, जिन्होंने प्रभु की ओर कोई डांट नहीं मिलतीं पहली स्मरना की कलीसिया हैं ये दो उदाहरण हमें दर्शाते हैं कि जब प्रभु हमें जांचता है, तब उसके लिए ऐसा सन्देशवाहक बनना और ऐसी कलीसिया बनना जिसे प्रभु की ओर से बिल्कुल उलाहना नहीं मिलती, संभव हैं यह हम सभों के लिए चुनौती होनी चाहिएं यहां पर जो सन्देशवाहक और पवित्र जन हैं, वे निर्बल लोग थे (प्र. वाक्य 3:8)ं उनके पास बहुत कम मनुष्य प्रभाव और सामर्थ थी, परंतु उन्होंने परमेश्वर के वचन का पालन किया था और प्रभु के नाम को अंगीकार किया थां ये उन दिनों की जिनमें हम रहते हैं दो मुख्य शर्तें हैं - और इसीलिए उन्हें प्रकाशित वाक्य की पुस्तक में बार बार दोहरायागया है : परमेश्वर के वचन का पालन और यीशु मसीह की गवाही को थामे रहनां

उनकी विश्वासयोग्यता के कारण प्रभु कहता है कि उसने उनके सामने एक द्वार खुला रखा है ताकि उसकी गवाही दें कोई भी उस द्वार को बन्द नहीं कर पाएगा (प्र. वाक्य 3:8)ं उनकी गवाही को शैतान स्वाभाविक रूप से विरोध करेगा, परंतु नरक के फाटक इस कलीसिया के विरोध में प्रबल नहीं होंगे - क्योंकि यह विजयी कलीसिया है जिससे स्वयं शैतान भी डरता हैं शैतान की एक सभा इस कलीसिया का विरोध कर रही थी - उस कलीसिया के समान जो स्मरना में थी (प्र. वाक्य 3:9)ं ध्यान दें कि सात कलीसियाओं में से केवल दो कलीसियाओं ने शैतान की सभा का विरोध किया - वे ही दो कलीसिया हैं जिनकी प्रभु प्रशंसा करता हैं जो कलीसियाएं परमेश्वर के लिए संपूर्ण हृदय से समर्पित हैं, उन्हीं का शैतान सर्वाधिक विरोध करता है, और शेतान का विरोध मुख्य से धार्मिक लोगों की ओर से आता हैं

यीशु के शरीर में रहने के दिनों में न रोमियों ने, और न यूनानियों ने यीशु का विरोध किया, परंतु धार्मिक यहूदियों ने उसका विरोध किया जो प्रतिदिन बाइबल पढ़ते थे! मसीह की कलीसिया के लिए भी ऐसा ही होगां हमारा मुख्य विरोध उन लोगों की ओर से आएगा जो मसीही होने का दावा करते हैं, परंतु जो पाप की सामर्थ से छुटकारे का प्रचार नहीं करतें

प्रभु कहता है कि वह शैतान की सभा को प्रगट रूप से इस बात का एहसास दिलाएगा कि वह फिलदेल्फिया की कलीसिया के साथ हैं शैतान के अभिकर्ता कलीसिया के सामने झुकने पर मज़बूर हो जाएंगे (प्र. वाक्य 3:9)ं परमेश्वर ने यह ठहराया है कि शैतान कलीसिया के पांवों तले कुचला जाए (रोमियों 16:20)ं हमें यह बात कभी नहीं भूलना है कि परमेश्वर शैतान के विरोध में हमेशा हमारे पक्ष में हैं इसलिए हमें शैतान से और उसके अभिकर्ताओं से डरने की आवश्यकता नहीं हैं

यीशु ने प्रार्थना की कि संसार जाने कि पिता उसके शिष्यों से प्रेम करता है (यूहन्ना 17:23)ं इस प्रार्थना का उत्तर फिलदेल्फिया में मिलना थां यहूदियों की सभा को इस बात का एहसास दिलाया जाएगा कि प्रभु कलीसिया से प्रेम करता है और वह उनके पक्ष में खड़ा रहेगा (प्र. वाक्य 3:9)ं परमेश्वर के पास हमारे शत्रुओं को उलझन में डालने और उन्हें यह एहसास दिलाने के कई तरीके हैं कि हम उसके प्रेम और देखभाल के विषय हैं! फिलदेल्फिया की कलीसिया ने यीशु के धीरज के वचन को थाम रखा था (प्र. वाक्य 3:10)ं उन्होंने परमेश्वर के वचन का पालन किया था और आज्ञा मानते हुए अन्त तक धीरज धरां परीक्षा के समयों में विश्वासयोग्यता के साथ सहने के द्वारा हम सिद्ध हो जाते हैं, और हमें किसी बात की कमी नहीं होतीं

इस कलीसिया से प्रभु ने प्रतिज्ञा की, "मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूंगा, जो पृथ्वी पर रहनेवालों के परखने के लिए सारे संसार पर आनेवाला है" (प्र. वाक्य 3:10)ं यहां पर परमेश्वर उन्हें पहले ही उस परीक्षा समय के विषय में चेतावनी देता है जो उस समय सारे संसार पर आने वाला था (प्रथम सदी के अंत में या दूसरी सदी के आरंभ में)ं उस परीक्षा के समय में फिल्देल्फिया की कलीसिया से ईश्वरीय सुरक्षा की प्रतिज्ञा की गई थीं प्रभु ने "उस परीक्षा की घड़ी में उनकी कैसे रक्षा की"? उसे संसार से बाहर निकालकर नहीं नहीं परीक्षा के समय में उन्हें सुरक्षित रखा गया थां उनके क्लेश के समयों में प्रभु के सुरक्षा के हाथ को उन्होंने अनुभव कियां

ये हमारे लिए भी प्रोत्साहन के शब्द हैं - क्योंकि महाक्लेश के मध्य, ख्रीष्ट विरोधी के समय में प्रभु हमें भी इसी तरह बुराई से सुरक्षित रखेगां दूसरी सदि में जिस प्रकार उसने फिलदेल्फिया की कलीसिया को सुरक्षित रखा, उसी तरह वह हमें भी यहां पृथ्वी पर, बुराई से सुरक्षित रखेगा, भले ही हमें उसके नाम के खातिर दुख क्यों न उठाना पड़ें यीशु ने कहा है, "मेरी वजह से लोग तुमसे घृणा करेंगे... परंतु जो शरीर का नाश करते हैं, उनसे मत डरो... परंतु तुम्हारे सिर के बाल भी गिने हैं... तुम्हारे सिर का एक बाल भी बांका न होगा" (मत्ती 10:28,30; लूका 21:17-18)ं महाक्लेश के समय भी, प्रभु की अनुमति के बगैर हमारे सिर के एक बाल को भी कोई नहीं छू सकतां इसलिए हम निश्चिंत रहें