हमारी वित्तीय नीति


Our Financial Policy

परमेश्वर की खरी सेवकाई में पैसो का इस्तेमाल हो सकता है पर कभी भी सेवकाई पैसो पर निर्भर नहीं होती ।



वह केवल पवित्र आत्मा की सामर्थ पर ही निर्भर होती है । जहां कोई भी काम पैसो पर निर्भर होता है वह खरी



सेवकाई नहीं है । यीशु की सेवकाई केवल पवित्र आत्मा पर ही निर्भर थी । यीशु ने परमेश्वर के काम के लिए



अपने अनुयाई से भेंट स्वीकार की (लुक 8:2,3) । पर कभी भी यीशु ने किसी से पैसे नहीं मांगे, उसने पिता के



सिवाय और किसी के भी सामने अपनी आर्थिक जरूरत को जाहिर नहीं किया । इसी तरह से कोई भी सेवकाई



जो परमेश्वर का आदर करती हो, आज भी इसी तरह से कार्य करेगी ।



यीशु इस पृथ्वी पर सबसे प्रथम "मसीह की देह" थे । आज हम कलिसिया में एक "मसीह की देह" के रूप में



बुलाये गए है । सो इसलिए हम यीशु के उदाहरण का अनुसरण करने की कोशिश करते है जो यीशु ने आप ही



हमारे लिए आर्थिक बातों के बारे में नियुक्त किए है ।



इस कारण इन पिछले चार शतको में (1975 से), हमने किसी भी हमारी जरूरतों के लिए कभी पैसे नहीं मांगे



और हमारी जरूरतों की ओर संकेत करने के लिए हमने कभी प्रार्थना के पत्र किसी को नहीं भेजे । बेंगलोर की



कलिसिया में हमने कभी भी दान नहीं लिया, यहाँ तक किसी भी अन्य कलीसिया में भी नहीं जो प्रभु ने हमारे



द्वारा भारत भर में और विदेश में स्थापित की है । हम केवल एक दान का बक्सा हमारी सभाओं में रखते है



और जो लोग प्रभु के काम के लिए गुप्त में, आनंद से और स्वइच्छा से देना चाहते है । भारत भर में हमारे



होनेवाले 3 दिवसीय वार्षिक सम्मेलनों में हमने मुफ्त में लोगो को खाना और रहने की व्यवस्था दी है । हमारी



कलिसिया के सारे प्राचीन खुद का प्रबंध अपने पृथ्वी पर की कमाई द्वारा करते है (प्रेरित पौलूस की तरह) ।



इनमे से किस भी प्राचीन को कलिसिया आर्थिक तौर से सहायता नहीं करती । हमारे सारे पुस्तके, लेख,



ओडियो और वीडियो संदेश इंटरनेट पर विश्व के किसी भी व्यक्ति के लिए पढ़ने/ सुनने/ देखने हेतु मुफ्त में



उपलब्ध है । हमने सबकुछ प्रभु से मुफ्त मे पाया है और हम उसे मुफ्त में ही औरों के साथ बांटते है ।



इन सारी सेवकाई के लिए बहुत पैसो की जरूरत होती है और हमारे पास ऐसे कोई अमीर लोग नहीं है जो हमे



सहायता करे हमारे किसी भी कलिसिया के लिए । भारत एक गरीब देश हो सकता है परंतु हमने परमेश्वर के



राज्य को जिसने सर्वदा हमारी सारी जरूरतों को पूरा किया है खोजा है । और इस कारण से हम कभी भी किसी



कर्जे में नहीं रहे जबसे हमने इस सेवकाई को आरंभ किया । हमने कभी भी हमारे सभा खंड को बनाने के लिए



बैंक लोन नहीं लिया । और अन्य लोग जो हमसे भिन्न प्रकार से सेवकाई करते है हम उनका न्याय नहीं करते ।



परंतु परमेश्वर ने हमारी इसी तरह अगुवाई की है । हम यीशु को जो पृथ्वी पर प्रथम 'मसीह की देह' थी



अनुसरण करते है । और जब लोग पूछते है इस सेवकाई को मदद करने हेतु, तब हम उन्हे निम्नलिखित



सूची की ओर संकेत करते है ।



1. क्या आप परमेश्वर के नए जन्म पाये हुए संतान हो? इस पृथ्वी पर परमेश्वर के कार्य को मदद करना एक



महान आदर और सौभाग्य है, परंतु यह सौभाग्य केवल परमेश्वर के संतान को ही दिया गया है । (3 यूहन्ना 7)



2. क्या आपके परिवार की जरूरतों के लिए आपके पास पर्याप्त पैसे है? क्या आप निश्चिंत है कि आपके देने



के द्वारा आपके परिवार को किसी प्रकार की आर्थिक तकलीफ नहीं होगी ? आपको पहले आपके परिवार की



जरूरतों की देखभाल करनी चाहिए (मरकुस 7:9-13 और 1 तिमोथी 5:8) । हमारा स्वर्गीय पिता बहुत ही धनी



है (किसी भी पृथ्वी के पिता समान) जिसे पसंद नही कि कोई भी उसकी संतान उसके कार्य के लिए पैसे देने के



बाद आर्थिक तनाव महसूस करे ।



3. क्या आपके ऊपर बड़े कर्ज है भरपाई करने के लिए? उसे पहले आप भरपाई करे । परमेश्वर चाहते है कि हम



एक आरामदायक जीवन जिए जो हर कर्ज के बिना हो । इससे पहले की हम प्रभु को कुछ दे हमे पहले जो क़ैसर



का है उसे देना चाहिए । क्योंकि परमेश्वर नहीं चाहते की हम उसे क़ैसर या अन्य किस और के पैसे दे (मत्ती



22:21, रोमियो 13:8) । घर के लिया गया लोन कर्ज नहीं है । क्योंकि आपका घर एक संपति है जिसका मूल्य



आपके लोन के मूल्य समान है । इसी प्रकार आपके गाड़ी के हेतु लोन लेना भी कर्ज नहीं है केवल आपके गाड़ी



का बीमा मूल्य आपके लोन मूल्य जितना हो ।



4. क्या आपके पास शुद्ध विवेक है? क्या आपने जिन लोगो को ठेस पहुचाई है उनके साथ मेलमिलाप किया



है? परमेश्वर ऐसे किसी व्यक्ति की भेंट को स्वीकार नहीं करेगा जो किसी और को ठेस पहुचा कर और बिना



उसे माफी मांगे परमेश्वर को देता है (मत्ती 5:23,24)



5. क्या आप पूर्ण आज़ादी और आनंद के साथ दे रहे है- बिना किसी मनुष्य या आपके खुद के विवेक के दबाव



में? परमेश्वर आनंद से देनेवालों को चाहता है ना की असंतुष्ट मन से । परमेश्वर उनसे भेंट नहीं चाहता जो



किसी भी दबाव मे देते है या फिर वे किसी भी फर्ज को सिर्फ अदा करने हेतु दे रहे हो या फिर केवल अपने



विवेक को मनाने के लिए दे रहे हो या फिर परमेश्वर से कुछ प्रतिफल पाने की आशा से दे रहे हो (2 कुरंथिओ 9:7)



कृपया इन सूची को परखे । हम प्रभु यीशु की शिक्षा को अनुसरण करने के खोजी है ।

Christian Fellowship Church

#69-71, Paradise Enclave, Bellahalli

(Behind Supertech Micasa Apartment)

Kannur Post

Bangalore Urban

Bangalore - 562149

Karnataka

India