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प्रकाशितवाक्य 15: 3, 4 वे परमेश्वर के दास मूसा का गीत और मेमने का गीत यह कहते हुए गा रहे थे, 'हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे काम महान् और अद्भुत हैं। हे जाति-जाति के राजा, तेरे मार्ग धर्म-संगत और सच्चे हैं। हे प्रभु, कौन तेरा भय न मानेगा, और तेरे नाम की महिमा न करेगा? क्योंकि तू ही पवित्र है। सब जातियाँ आकर तेरी उपासना करेंगी क्योंकि तेरे न्याय के काम प्रकट हो गए हैं !

पुरानी वाचा में मूसा के दो गीतों का बयान किया गया है - एक निर्गमन 15:1-18 में, जब इस्राएलियों ने लाल सागर पार किया था और फ़िरौन और उसकी सेना वहाँ डूब गई थी। तब मूसा ने यह कहते हुए एक गीत गाया था, “मैं प्रभु के लिए गीत गाऊँगा क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; घोड़ों को सवार सहित उसने समुद्र में पटक दिया है।" हमने प्रकाशितवाक्य अध्याय 6 में यह देखा था कि मसीह-विरोधी को भी एक श्वेत घोड़े के घुड़सवार के रूप में दर्शाया गया है। यहाँ भी हम जय पाने वालों को घोड़े और उसके सवार को पटक देने के लिए परमेश्वर की स्तुति करता हुआ पाते हैं। हर-मगिदोन के अंतिम युद्ध में (प्रकाशितवाक्य 16:14,16), मसीह-विरोधी और उसकी सेनाएं इस्राएल की भूमि में आकर उस पर हमला करेंगी। उस समय में प्रभु यीशु मसीह अपने संतों के साथ आएगा। उसके पाँव जैतून पर्वत को छूएँगे, और वह मसीह-विरोधी की सेनाओं का नाश कर देगा। परमेश्वर के लोग देखेंगे और बिना कोई युद्ध किए उस जीत में सहभागी हो जाएंगे। और आज भी हमें हरेक युद्ध को इस तरह ही जीतना है। हम युद्ध को मानवीय हथियारों से नहीं जीतते। हम शांत खड़े रह कर प्रभु में भरोसा रखते हैं और प्रभु हमारे शत्रुओं का नाश करता है। इसलिए, जिनका इस बात में विश्वास है, वे आज भी मूसा का गीत गा सकते हैं! हम जीवन के संघर्षों में मूसा का गीत गा सकते हैं। हम "शांत खड़े" रह सकते हैं, और यह देख सकते है कि प्रभु हमारे शत्रुओं के साथ क्या करता है।

मूसा का दूसरा गीत व्यवस्थाविवरण 31:30 से 32:43 तक है। वहाँ भी वह यही गाता है, "हे जाति-जाति के सब लोगों, परमेश्वर की प्रजा के साथ आनन्द मनाओ, क्योंकि वह अपने दासों के लहू का बदला लेगा, और अपने विरोधियों को बदला देगा। और अपने देश और अपनी प्रजा के पाप के लिये प्रायश्चित देगा” (व्यवस्थाविवरण 32:43)। दोनों ही गीतों में हम एक सत्य पाते हैं: परमेश्वर के लोग अपने शत्रुओं से अपना बदला नहीं लेते। वे पीछे खड़े रहते हैं और परमेश्वर उनकी ओर से लड़ता है और बदला लेता है।

हमें यही गीत सीखने की ज़रूरत है कि एक दिन हम परमेश्वर की वीणा लेकर महिमा में यह गीत गा सकें। इस गीत को सीखने के लिए जीवन की दैनिक परिस्थितियाँ हमारे लिए गाना बजानेवालों के अभ्यास की तरह हैं। जय पाने वाले यह कहते हुए गाते हैं कि परमेश्वर के मार्ग सिद्ध हैं। स्वर्ग में हम यह गाएंगे, "यीशु ने सब कुछ भला ही किया है।" उस दिन जब हम मुड़ कर यह देखेंगे कि परमेश्वर ने पृथ्वी पर हमारी कैसी अगुवाई की थी, तो हम यह पाएंगे कि सब कुछ - हाँ, सब कुछ- हमारे सर्वश्रेष्ठ के लिए परमेश्वर द्वारा तय किया गया था। आज हम यह नहीं समझ पाते कि बहुत सी बातें क्यों होती हैं। लेकिन उस दिन हम सब कुछ एक सिद्ध रूप में समझेंगे। लेकिन विश्वास करने वाले एक व्यक्ति को उस दिन तक इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है। वह अभी और यहीं इन बातों को जानता है और विश्वास करता है। उसे उस दिन का इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं जब परमेश्वर पृथ्वी पर उसके साथ घटित हुई हरेक बात को उसे समझाएगा। वह अभी यह गाता है, “प्रभु, तेरे मार्ग सिद्ध है!”