द्वारा लिखित :   जैक पूनन
WFTW Body: 

यीशु ने एक बार एक बड़ी भीड़ को खिलाने के लिए 5 रोटियों का इस्तेमाल किया। उसने सबसे पहले रोटियों को आशीष दी। लेकिन 5 रोटिया अभी भी 5 रोटिया ही थी और भीड़ को खिलाया नहीं गया था। केवल जब रोटियां तोड़ी गई थीं तब ही भीड़ को खिलाया गया था। इसलिए पवित्र आत्मा द्वारा आशीषित (अभिषिक्‍त) होना पर्याप्त नहीं है। हमें प्रभु के द्वारा तोड़े जाने की जरूरत है। तब हम अपना चेहरा धूल में रखेंगे और परमेश्व की सामर्थ हमारे भीतर से बिना रुकावट प्रवाहित होगी।

निर्गमन 4 में मूसा और हारून को एक ही समय पर परमेश्वर के लोगों के अगुवे के रूप में नियुक्त किया गया था। हारून एक निपुण वक्ता था, लेकिन मूसा नहीं था (निर्गमन 4: 10, 14)। फिर भी परमेश्वर ने मूसा का इस्तेमाल किया और हारून का नहीं - क्योंकि मूसा एक टूटा हुआ व्यक्ति था, लेकिन हारून टूटा हुआ नहीं था। परमेश्वर मूसा को जंगल में 40 वर्ष के टूटने के समय से लेकर गया। परमेश्वर ने मूसा को महल में शासक होने से नीचे लाकर रेगिस्तान में एक चरवाहा बनाकर नम्र किया। और परमेश्वर ने मूसा को अपने ससुर के साथ 40 वर्षों तक रहने दिया और उसके लिए काम भी करवाया! वह उसे पूरी तरह से तोड़ने के लिए पर्याप्त था। हारून इस प्रकार कभी
नहीं टूटा था। यही वो बात थी जिसने उन दोनों के बीच में अंतर लाया।

हम निर्गमन 32 में इन दो व्यक्तियों की प्रभावशीलता के बीच अंतर देख सकते हैं। इस्राएल के लोगों ने प्रभु का अनुसरण किया जब तक कि यह टूटा हुआ व्यक्ति मूसा उनके बीच में था। लेकिन जब मूसा उनके पास से सिर्फ 40 दिनों के लिए चला गया, और हारून अस्थायी रूप से उनका अगुवा बना, तब वे मूर्तिपूजा में चले गए और तुरंत एक सोने के बछड़े की पूजा करने लगे। हारून एक निपुण वक्ता था। लेकिन वह परमेश्वर के लोगों को पवित्रता में संरक्षित नहीं कर पाया, क्योंकि उसने मनुष्यों को प्रसन्न करने की कोशिश की। जो प्राचीन टूटे हुए नहीं होते वो हमेशा अपने स्वयं के सम्मान की तलाश करते हैं और अपनी कलीसिया में लोगों को खुश करना चाहते हैं। यही कारण है कि उनके लोग प्रभु से दूर चले जाते हैं।

यह एक टूटा हुआ व्यक्ति मूसा था, जिसने जंगल में २० लाख लोगों को 40 वर्षों तक परमेश्वर के मार्गों में संरक्षित किया। कलीसिया के इतिहास में भी सदियों से ऐसा ही रहा है। परमेश्वर ने अपने मार्गों में अपनी कलीसिया को संरक्षित करने के लिए टूटे हुए मनुष्यों का उपयोग किया है।

परमेश्वर हमें अपने प्राचीनों के अधीन रहने के लिए कहकर हमें तोड़ता है। “एक ईश्वरीय व्यक्ति के अधीन रहना, न केवल हमें कई मूर्खतापूर्ण कार्य करने से बचाएगा, बल्कि हमें उनसे ज्ञान की कई बातें सीखने में सक्षम करेगा। वह हमें उन खतरों के बारे में आगाह कर सकेंगे जिनका उन्होंने स्वयं सामना किया है जिससे हम अनजान होते है। इसलिए आत्मिक अधिकार के अधीन होना हमारे लिए उतना ही सुरक्षित है, जितना कि बच्चों का अपने माता-पिता के अधीन होना।“ 1 पतरस 5: 5 में हम पढ़ते हैं कि जवान लोगों को अपने प्राचीनों के अधीन होना चाहिए, क्योंकि परमेश्‍वर अभिमानियों का विरोध करता है, लेकिन दीनों को अनुग्रह देता है। यहाँ हम परमेश्वर से आत्मिक अधिकार प्राप्त करने का एक महान रहस्य देखते हैं। मैं ऐसे बहुत से अच्छे भाइयों को जानता हूँ जिन्हें कभी भी केवल एक कारण से परमेश्वर द्वारा आत्मिक अधिकार नहीं दिया गया था - उन्होंने कभी भी अपने पूरे जीवन में किसी के अधीन रहना नहीं सीखा था। और इसलिए उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति कभी नहीं टूटी। एक बिना टूटे हुए व्यक्ति के हाथों में अधिकार एक बहुत खतरनाक चीज है। यदि प्रथम आप स्वयं नहीं टूटे हैं और आप लोगों पर अधिकार का प्रयोग करने की कोशिश करते हैं, तो आप उन्हें बर्बाद कर देंगे और आप इस प्रक्रिया में स्वयं को भी नष्ट कर देंगे। इससे पहले कि परमेश्वर हम में से किसी को आत्मिक अधिकार दे सके, उसे हमारे अभिमान की ताकत को तोड़ना होगा।

मैं आपको अपने स्वयं के अनुभव के बारे में संक्षेप में बताता हूं। मेरे जीवन में 20 साल से 30 साल के बीच 10 वर्षों तक, परमेश्वर ने मुझे नीचे धकेले जाने और सार्वजनिक रूप से एक से अधिक कलीसियाओं में उन प्राचीनों द्वारा अपमानित होने की अनुमति दी, जो मेरी सेवकाई से ईर्ष्या करते थे। उन सभी घटनाओं में, प्रभु ने मुझसे कहा कि मैं अपना मुंह बंद रखूं और उन प्राचीनो से प्रश्न पूछे बिना उनके अधीन रहूँ। और मैंने किया। मैंने उनके साथ एक अच्छा रिश्ता रखा जब मैं उनकी कलीसिया में था और उनकी कलीसिया छोड़ने के बाद भी। उन वर्षों में, मुझे कभी नहीं पता था कि भविष्य में परमेश्वर के पास मेरे लिए क्या सेवकाई थी। लेकिन परमेश्वर मुझे कई वर्षों के दौरान तोड़कर आत्मिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए तैयार कर रहा था। परमेश्वर द्वारा मुझे तोड़े जाने की प्रक्रिया अभी तक समाप्त नहीं हुई है। पिछले कुछ वर्षों में, परमेश्वर मुझे नई परीक्षाएँ से लेकर गया, जो मैंने पहले कभी अनुभव नहीं की थी - जैसे कि धार्मिक लोगों द्वारा अदालत में ले जाया जाना और वहां पर 10 वर्षों तक झूठा आरोप लगाया जाना। लेकिन मेरे जीवन में उसका उद्देश्य वही है कि वह मुझे और भी अधिक तोड़े, ताकि वह अपना जीवन और अपना अधिकार मुझे और अधिक सौंप सकें।

परमेश्वर हमारे अगुवों के द्वारा सुधार करके हमारे बल और हमारे घमंड को तोड़ता है। लगभग सभी विश्वासियों को सुधार प्राप्त करने में बहुत मुश्किल होती है। दो साल के बच्चे के लिए भी सुधार प्राप्त करना आसान नहीं होता - खासकर अगर यह सुधार सार्वजनिक रूप से दिया गया हो। पिछली बार कब आपने सार्वजनिक सुधार को आनंद से स्वीकार किया था? क्या आपने इसे अपने जीवन में एक बार भी स्वीकार किया है? यदि नहीं, तो यह आश्चर्य की बात नहीं है कि आपके पास आत्मिक अधिकार की कमी है। “बिना टूटे हुए लोग अकेले हो जाते हैं। वे कभी अपने आप को किसी के अधीनता में नहीं सौंपते। वे वहां जाते हैं जहां वे जाना चाहते हैं और वे वही करते है जो वे करना चाहते हैं। ऐसे बिना टूटे विश्वासी केवल उनके साथ ही काम कर सकते हैं जो उनकी बात मानते हैं और उनकी हर बात स्वीकार कर लेते हैं। परमेश्वर ऐसे “अकेले" व्यक्तियों को कभी भी आत्मिक अधिकार नहीं दे सकता हैं, क्योंकि वह एक देह का निर्माण कर रहा हैं और न की एक व्यक्तिवादी विश्वासियों के समूह का!"