द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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बाइबिल कहती है, ''परन्तु भला मनुष्य आप ही आप सन्तुष्ट होता है'' (नीतिवचन 14:14)।

मैं अपनी गवाही बताना चाहता हूं। आज मेरी आयु 72 वर्ष की है (नवम्बर 2011)। 52 वर्षों पहले मेरा नया जन्म हुआ और तब से मैं परमेश्वर की संतान हूँ। मैं ईमानदारीसे गवाही दे सकता हूँ कि मेरा मसीही जीवन सन्तुष्ट है। जीवन में मैने कई समस्याओं का सामना किया परन्तु मैंने उन दिनों में भी अद्भुत रीति से परमेश्वर को अनुभव किया है। मेरा विश्वास है कि मेरे लिये जो अधिक भलाई का है वह सामने है। परमेश्वर की सेवकाई करना और परमेश्वर के लिये जिना मेरे लिये आनन्दमय है। परमेश्वर की सेवकाई करना इस संसार में सर्वोत्तम बात है जो हम कर सकते है।

इस संसार में मेरी किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध शिकायत नहीं। आज तक मेरी हानि करने में कोई भी सफल नहीं हुआ। कई लोगों ने मेरी हानि करने की कोशीश की, मेरे सहयोगियोंने मेरा विश्वासघात किया और मेरे विरुद्ध खड़े हुए। कई मसीही लोगों ने मेरे विरुद्ध मासिकों में झूठी बाते छापी तथा इंटरनेटपर डाली। वे मेरे विरुद्ध न्यायालय में गए। परन्तु, मैं इन सब बातों को परमेश्वर के साथ दुखसहन समझता हूँ। ''सभी बातें मेरे लिये भलाई की होती है'' (रोमियों 8:28)। मैं इन सब बातों के लिये परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ क्योंकि परमेश्वर ने हर बुरी बातों को मेरे लिये भलाई की बनाया और इस कारण मैं मसीह के समान होता जा रहा हूँ। मेरे विरुद्ध घटी हर बुरी बातों ने मुझे मसीह के जैसा होने में मदद की है, यह सबसे महत्वपूर्ण बात है।

सबसे पहले हमे टूटना आवश्यक है, तब ही परमेश्वर हमारा उपयोग कर सकता है। परमेश्वर कई लोगों का उपयोग करके हमारे गर्व को तथा हमारे आत्मविश्वास को तोड़ता है। फिर हम समझते है कि हम लायक नहीं और कई गुना छोटे है।

जब मैं जवान था तब परमेश्वर ने मुझे तोड़ा और वह आज भी मुझे तोड़ रहा है। यह फलवन्त जीवन का मार्ग है। जितना अधिक हम टूटेंगे उतना अधिक हम औरों के लिये आशीष का कारण बनेंगे और परमेश्वर हमारा इस कार्य के लिये उपयोग करेगा। निर्गमन 17 में हम पढ़ते है कि जब चट्टान तोड़ी गई तब ही उसमें से पानी बहने लगा। पापी स्त्री यीशु को शुद्ध इत्र का अर्पण करने आयी तब उसने पात्र तोड़ा। तब ही उस घर में खुशबू फैल गई (मरकुस 14:3)। पाँच हजार लोगों को भोजन खिलाते समय परमेश्वर ने रोटी ली तथा उसपर आशीष मांगी। रोटी तोड़ने के बाद ही भोजन बाँटा गया। इन उदाहरणों द्वारा हमें क्या सीख मिलती है? यही की टूटना आशीष का मार्ग है। अणु जब टूटा जाता है तब ही पूरे शहर को बिजली प्राप्त

होती है। अणु इतना सुक्ष्म होता है कि वह माइक्रोस्कोप में से दिखाई नहीं देता। परन्तु, जब उसे तोड़ा जाता है तब उसमें से बड़ी शक्ति निकलती है। निसर्ग तथा बाइबिल में से हमें यह संदेश मिलता है कि जब टूटने पर ही सामर्थ निकलती है। इस नये वर्ष में यह संदेश हमारी पकड़ ले। 1963 में परमेश्वर ने इस संदेश द्वारा मुझे गिरफ्त में ले लिया। उस समय मैं मेरे जीवन तथा सेवकाई के लिये सामर्थ पाना चाह रहा था। उस समय नेवी से निवृत्त होने के पहले परमेश्वर ने मुझे दिखा दिया कि टूटना यह सामर्थ पाने का मार्ग है। यह बात मैं मेरे जीवन में भूलना नहीं चाहता। मैं जवानों को प्रोत्साहन देना चाहता हूँ कि वे जब जवान है तब ही यह सीख प्राप्त कर लें।

परमेश्वर हमसे और एक बात चाहता है कि हम उसके अभिवचन पर जीवित विश्वास करें।

जब इस्राएली लाके मिसर में थे तब परमेश्वर ने उन्हें दो अभिवचन दिये : ''मैं तुम्हें मिस्र से बाहर लाऊंगा ' आरै ''मैं तुम्हें कनान में ले जाऊंगा'' (निर्गमन 3:17)। परन्तु हम देखते हैं कि इन दो अभिवचनों में से उनके लिये केवल एक ही अभिवचन पूरा हुआ। वे बुजूर्ग लोग कनान में प्रवेश कर नहीं पाए। उनके लिये यह अभिवचन पूरा नहीं हुआ क्योंकि कनान में प्रवेश करने से पूर्व उन्होंने विश्वास नहीं किया कि वे कनान में प्रवेश कर पाएंगे। परमेश्वर के अभिवचन तथा हमारा विश्वास बिजली के दो तारों जैसा है। जब दोनों तारों से बिजली बहेगी तब ही काम बनेगा। आप परमेश्वर के अभिवचन सुनेंगे तथा समझ लेंगे; परन्तु, जब विश्वास करेंगे तब ही अभिवचन पूरा होंगा। अभिवचन पूरा होने के लिये आपका इस तरह कहना आवश्यक हैं, ''हाँ, मैं विश्वास करता हूँ कि मेरे जीवन में परमेश्वर का अभिवचन पूरा होगा ।'' कनान की सीमा पर केवल यहोशू तथा कालेब ने परमेश्वर के अभिवचन पर विश्वास किया और इसकारण वे कनान में प्रवेश कर पाएं। मैं प्रार्थना करता हूँ कि हम सभी विश्वास करें तथा इस नये वर्ष में विजयी स्थान में प्रवेश करके निवास कर पाएँ।

मैं आप सभी को नये वर्ष की बधाई देता हूँ कि इस वर्ष आप आशीषित हो। उसीप्रकार हम सब अधिकायत से टूटे और परमेश्वर के विश्वास में बढ़ते जाएँ।