द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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जैसा कि हम एक नए वर्ष का आरंभ करते हैं, तो आईए वह दौड़ जिसमें हमें दौड़ना है धीरज से दौड़े और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें (इब्रानियों 12:1,2)। हम परमेश्वर को देखते हैं और दौड़ते हैं। हम वही पर खड़े नहीं रहते। विश्वास की दौड़ एक ऐसी दौड़ है जिसमें आप एक ही जगह पर खड़े नहीं रह सकते। समय कम है और इसलिए आपको दौड़ना होगा। यदि आप नीचे गिर जाते हैं, तो उठें और दौड़ना जारी रखे। ऐसे कई दौड़वीर हैं जो दौड़ में नीचे गिर गए, लेकिन वे फिर उठे, दौड़ना जारी रखा और फिर भी प्रथम आए। तो निराश न हों यदि आप प्रभु के साथ चलते हुए कभी गिर जाएं। वहीं पर पड़े न रहें। उठ खड़े हो जाए, अपने पापों को स्वीकार करे और दौड़ना जारी रखें।

आपके जन्म से पहले ही परमेश्वर ने आपके जीवन के हर एक दिन के लिए योजना बनाई हैभजन 139: 16-18 (लिविंग बाइबल अनुवाद ) इस प्रकार कहता है: "प्रभु, तूने मुझे जन्म लेने से पहले ही देख लिया था और मेरे जीवन के प्रत्येक दिन को निर्धारित किया था इससे पहले कि मैं सांस लेना भी आरंभ करता। मेरा हर दिन तेरी पुस्तक में दर्ज किया गया। प्रभु कितना मूल्यवान है यह जानना कि तू मेरे बारे में लगातार सोचता रहता है। मैं यह गिन नहीं सकता कि दिन में कितनी बार तेरे विचार मेरी तरफ मुड़ते है। और जब मैं सुबह उठता हूं, तब भी तू मेरे बारे में सोच रहा होता हैं"

परमेश्वर के मन में आपके जीवन के हर दिन के लिए एक योजना है। परमेश्वर ने इस नए वर्ष में आपको एक उत्तम आत्मिक शिक्षण देने के लिए परीक्षाओं को निर्धारित किया है। परमेश्‍वर ने यह भी लिखा है कि वह कैसे इस वर्ष आपके द्वारा की गई गलतियों को आपकी भलाई में बदलेगा। परमेश्वर ने यह भी योजना बनाई है कि इस वर्ष के दौरान आपको क्या-क्या करना चाहिए। उस योजना को पूरे मन से खोजने की कोशिश करें।

जब यीशु पृथ्वी पर चला, तो लोगों ने स्वर्ग का जीवन उसमें देखा। यीशु की करुणा, दूसरों के लिए उसके विचार, उसकी शुद्धत्ता, उसका निस्वार्थ प्रेम और उसकी नम्रता - परमेश्वर के जीवन की सभी अभिव्यक्तिया थी। पवित्र आत्मा अब परमेश्वर के इस जीवन और स्वर्ग के वातावरण को हमारे हृदयों में लाने के लिए आया है। हमें इस स्वर्गीय जीवन को संसार के सामने प्रकट करने के लिए परमेश्वर द्वारा पृथ्वी पर रखा गया है। परमेश्वर चाहता हैं कि इस आने वाले वर्ष में आपके घर और कलीसिया में आप स्वर्ग का आनंद, शांति, प्रेम, पवित्रता और भलाई का स्वाद चखें।

यीशु ने इस पृथ्वी पर स्वर्गीय जीवन व्यतीत किया। यदि आप उस पर अपनी दृष्टि लगाते हैं और उसका अनुसरण करते हैं, तो इस वर्ष का प्रत्येक दिन आपके लिए पृथ्वी पर स्वर्ग के दिन जैसा होगा। यीशु सबसे आनंदित व्यक्ति था जो कभी इस धरती पर चला। उसका आनंद अपने पिता की इच्छा को पूरा करने से आया - न कि जीवन में एक आसान रास्ता पाकर। वह अपने पिता के सिद्ध प्रेम को जानता था और इसलिए वह आनंद के साथ उन सभी के अधीन रहा जिन्हें पिता ने उसके रास्ते में भेजा। यही उसके जीवन का रहस्य था। विश्वास करने का अर्थ उस परमेश्वर पर भरोसा करना है जो प्रेम में सिद्ध है और जिसकी सभी योजनाएं हमारी भलाई के लिए हैं।

भजन 16:8 कहता है, "मैंने परमेश्वर को निरंतर अपने सम्मुख रखा है इसलिए कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है, मैं कभी न डगमगाऊंगा”। इसी तरह यीशु ने जीवन जिया (प्रेरितों के काम 2:25)। वह कभी भी डगमगाया नहीं क्योंकि वह हमेशा अपने पिता की उपस्थिति में रहता था। और इसलिए, वह हमेशा आनंद से भरा हुआ रहता था (भजन 16: 11)। परमेश्वर चाहता है कि हम भी इसी प्रकार जीवन जिएं। यीशु को वह न्यूनतम बातें जिसकी पिता को आवश्यकता थी, की खोज करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। परंतु वह तो, अधिकतम जो वह अपने पिता के लिए कर सकता था, की खोज करता था।

हमारा स्वभाव भी यही होना चाहिए: "इस आने वाले वर्ष में परमेश्वर मेरे पार्थिव जीवन से अधिकतम क्या प्राप्त कर सकता है?" सच्ची आत्मिकता निरंतर प्रतिदिन हमारी अपनी इच्छा का इंकार करने और परमेश्वर की इच्छा का पालन करने के द्वारा आती है। यह प्रत्येक दिन पिता की इच्छा को पूरी करने की निरंतर आज्ञाकारिता ही थी जिसने यीशु को पिता को प्रसन्न करनेवाला बनाया। हम स्वयं भी परमेश्वर को प्रसन्न कर सकते है यदि इस नए वर्ष में हम इस मार्ग का चुनाव करते है।

परमेश्वर आपके सिर को तेल से अभिषेक करके इस तरह आशीष देना चाहता हैं कि आपका प्याला बहुतों को आशीष देने के लिए उमड़े। एलीशा के समय में, जब परमेश्वर ने एक गरीब विधवा के बर्तन को तेल से भर दिया, तो उसने उसे अपने पड़ोसियों के बर्तनों में उँड़ेला (2 राजा 4: 1-7)। इस वर्ष आपके रास्ते में आने वाले हर एक व्यक्ति को आशीष देने के लिए परमेश्वर के अभिषेक में आवश्यकता से भी अधिक सामर्थ और आशीष है। आप इस वर्ष अपने पड़ोसियों को आशीष दे सकते हैं जैसे कि उस विधवा ने किया। इसलिए दूसरों के जीवन में उंडेलते रहें। जो दूसरों की खेती सींचता है, उसकी खेती स्वयं परमेश्वर द्वारा सींची जाएंगी (नीतिवचन 11:25)

जब प्रेरित यूहन्ना "आत्मा में" था, तो उसने परमेश्वर की आवाज तुरही के एक बड़े शब्द के समान सुनी (प्रकाशितवाक्य 1: 10)। यदि आप आने वाले वर्ष के प्रत्येक दिन आत्मा में जीते हैं, तो आप भी हर दिन स्पष्ट रूप से परमेश्वर की आवाज को आपका मार्गदर्शन करते और आपको प्रोत्साहित करते हुए सुनेंगे। हर दिन पाप के प्रति संवेदनशील होकर और परमेश्वर के सामने नम्रता से चलने द्वारा अपने आप को आत्मा में बनाए रखें।

परमेश्वर आपको इस नए वर्ष में बहुतायत से आशीष दे।