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अगर एक विश्वसी परमेश्वर के सम्मुख नहीं रहेगा, तो वह बहुत आसानी से अपनी असली आत्मिक दशा से अनजान हो जाएगा। यह बात उस ताड़ना से स्पष्ट हो जाती है जो प्रकाशितवाक्य में प्रभु ने सात कलीसियाओं के दूतों को दी। लौदीकिया की कलीसिया के दूत (प्राचीन) से उसने कहा था, "तू नहीं जानता कि तू कितना अभागा, तुच्छ, दरिद्र, अंधा और नंगा है।"

परमेश्वर हमारे जीवनों में ऐसे बहुत से अलग-अलग हालात तैयार होने देता है जो हमारे हृदयों में छुपी बातों को उजागर कर देते हैं। गुज़रे सालों में, विभिन्न् लोगों के साथ हुए हमारे अनेक बुरे अनुभवों की वजह से हमने अपने हृदयों में अनेक अप्रिय यादें जमा कर ली हैं। वे हमारे हृदय की गहराई में रहती हैं, लेकिन हम यह कल्पना कर लेते हैं कि हमारे हृदय शुद्ध हैं। फिर परमेश्वर किसी ऐसी मामूली बात के होने की अनुमति देता है जिससे हमारे अन्दर भरा हुआ ऊपर आकर हमारे मन में भर जाता है। हमारे लिए अपने आपको शुद्ध करने का यही समय होता है कि हम उस बात से जुड़े लोगों को क्षमा करें और उनसे प्रेम करने का फैसला करें। अगर हम ऐसे मौकों को अपने हृदयों को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो वे हलचल के उन समयों के गुज़र जाने के बाद फिर से हमारे हृदयों की गहराई में चली जाएंगी। और तब हम ऐसी कल्पना कर सकते हैं कि सब ठीक है। लेकिन सब ठीक नहीं होता है। फिर से कोई मामूली घटना सारी बुराई को हमारे मन में ले आती है। इसलिए जैसे ही कुछ ऊपर/बाहर आता है, हमें अपने आपको उससे शुद्ध कर लेना चाहिए।

उड़ाऊ पुत्र के मामले में हम देखते हैं कि कैसे उसके बड़े भाई में अपने छोटे भाई के प्रति एक ग़लत मनोभाव था। फिर भी वह तभी प्रकट हुआ जब उसका भाई लौट कर आ गया था और उसके लिए एक भोज आयोजित किया गया था। तब हम यह देखते हैं कि कैसे उसने अपने भाई पर ऐसे अनेक काल्पनिक दोष लगाए जिनकी उसने कोई पुष्टि भी नहीं की थी (जैसे, कि उसके भाई ने “उसका धन वेश्याओं के पीछे उड़ा दिया था ")। जब हमारा किसी के साथ एक अच्छा रिश्ता नहीं होता, तब हम उनके बारे में सबसे बुरी बातों की कल्पना कर लेते हैं।

उसके पिता ने अपने बड़े पुत्र से कहा, "जो कुछ मेरा है, वह सब तेरा है।" जो कुछ उसके पिता ने उसे दिया था, उस पर ध्यान देने की बजाय बड़े भाई का ध्यान स्वयं उसकी अपनी उपलब्धियों पर ही लगा हुआ था: “मैंने कभी तेरी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया है। मैंने इन बीते सालों में तेरी सेवा की है।" उसका ध्यान अपने भाई की कमियों पर भी लगा हुआ था। “तेरे इस पुत्र ने तेरी सारी सम्पत्ति को बर्बाद किया है" (लूका 15:29-32)। उस पिता की तरह, परमेश्वर हमसे कहता है, "जो कुछ मेरा है, वह तेरा है।" जो कुछ यीशु में है, वह आपका है उसकी सारी शुद्धता, उसकी सारी अच्छाई, उसका - सारा धीरज, उसकी सारी नम्रता, आदि।

इस कहानी से जो पाठ हमारे सीखने के लिए है, वह बस यही है: अपना ध्यान हमेशा परमेश्वर के अनुग्रह के धन पर लगाए रहें - अपनी उपलब्धियों या अपने साथी-विश्वासियों की निष्फलताओं पर नहीं।

परमेश्वर हमारे जीवन में विभिन्न परिस्थितियों को उत्पन्न होने देता है जो हमारे हृदयों में छिपे झूठ को उजागर करेगा – और हमें हर बार कुछ सतह पर आने पर खुद को शुद्ध करना चाहिए।