द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   जवानी परमेश्वर को जानना चेले
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जब हम अपने खुदी के अंत में आ जाते है, सिर्फ तभी हम प्रभु यीशु के पास आने के लिए तैयार होते हैं। यीशु ने लोगों को यह कहते हुए आमंत्रित किया, "हे सब थके हुए और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ" (मत्ती 11:28)। यीशु सभी को अपने पास आने के लिए आमंत्रित नहीं करता है। यहाँ हम उसे केवल उन लोगों को आमंत्रित करते हुए देखते हैं जो अपने पाप से पराजित जीवन से थक चुके हैं। उड़ाऊ पुत्र अपने पिता के पास सिर्फ़ तभी लौटकर आया था जब "उसने अपना सब कुछ खर्च कर दिया था" और "उसे कोई कुछ भी नहीं देता था"। तभी वह अपने "होश में आया" (लूका.15:16-18)। हम आत्मिक रूप से तभी विकसित हो सकते हैं जब हम अपने जीवन में उस बिंदु पर आ जाते हैं जहां हम मनुष्यों के सम्मान की परवाह नहीं करते हैं, और लोगों और परिस्थितियों के बारे में शिकायत करना बंद कर देते है और अब केवल अपने ही पराजित जीवन से थक जाते हैं। यही सच्चा मन-फिराव है।

अन्यथा हम समय से पहले जन्मे बच्चों की तरह होंगे, जिन्हें लगातार ऊष्म-स्थान (इनक्यूबेटर) के अंदर रखने की जरूरत पड़ती है जहां उन्हें लगातार दूसरों द्वारा गर्म रखने और प्रोत्साहित करने की ज़रूरत रहती है। हमें अपनी सुरक्षा कलीसिया में भी नहीं, परन्तु केवल प्रभु में ही प्राप्त करनी चाहिए। यहेजकेल 36:25-30 उस भरपूर जीवन के बारे में नबुवत करता है जो यीशु हमें नई वाचा के अधीन देगा। पद 31 में यह कहा गया है कि जब हम उस जीवन में आएंगे, तो हम "अपने आप से उन सभी बुराईयों के लिए घृणा करेंगे जो हमने अपने पिछले दिनों में की थीं"। परमेश्वर के एक व्यक्ति के प्राथमिक लक्षणों में से एक यह है कि उसके भीतर हर समय यह पुकार होगी कि, "मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं। मैं कैसे सभी पापों से पूरी तरह से मुक्त होऊंगा?" (रोम 7:24 - भावानुवाद)। वह लगातार सभी अशुद्धियों और उसके शरीर में पाप की गंध से मुक्त होने की लालसा रखता है।

परमेश्वर चाहता है कि आप विपत्ति के दिन दृढ़ हों (नीतिवचन 24:10)। परन्तु यदि आप उस विपत्ति के दिन में दृढ़ रहना चाहते हो, तो आपको शान्ति के इस समय में प्रभु के विषय में अपना ज्ञान बढ़ाना होगा।

परमेश्वर के मार्ग और हमारे मार्ग एक-जैसे नहीं हैं। उसे पहले बहुत सी निराशाओं और नाकामियों द्वारा आपको तोड़ना पड़ता है, और इसलिए वह आपको उन जगहों में भेजता है जहाँ आप वह आत्मिक शिक्षा पा सकते हैं जिसकी उसने आपके लिए योजना बनाई है।

हममें से कोई भी मूसा को कभी जंगल में भेड़ चराने और 40 सालों तक उसके ससुर के घर में उसके अधीन रहते हुए अपमानित होने के लिए नहीं भेजता, कि फिर उसे इस्राएल का सबसे बड़ा अगुवा होने के लिए तैयार किया जा सकता। लेकिन यह परमेश्वर का तरीका है। परमेश्वर ने याकूब को भी बदल कर इस्राएल (परमेश्वर का राज्याधिकारी) बनाने से पहले उसके साथ ऐसा ही कुछ किया था। एक मनुष्य को तोड़ना परमेश्वर के लिए सबसे मुश्किल काम होता है। लेकिन जब परमेश्वर ऐसा करने में सफल हो जाता है, तो उस मनुष्य के द्वारा प्रवाहित होने वाली शक्ति अणु के टूटने पर उसमें से प्रवाहित होने वाली शक्ति से कहीं ज़्यादा होगी!

पौलुस ने अपने अनुभव के बारे में कहा था, “हम गिराए तो जाते हैं, पर हम उठकर फिर चल देते हैं" (2 कुरि. 4:9 - लिविंग)। परमेश्वर ऐसा होने देता है कि हम कभी यहाँ-वहाँ गिर जाएं। लेकिन हम दूसरों की तरह गिरने के बाद पड़े नहीं रहते। हम उठकर चल देते हैं। और इससे शैतान और भी ज़्यादा क्रोधित हो जाता है। परमेश्वर हमारे गिरने द्वारा हमें पवित्र किए जाने का भी पाठ पढ़ाता है, और इस तरह वह बात हमारी सर्वोच्च भलाई के लिए ही काम करती है। इसलिए, मैं जहाँ कहीं भी जाता हूँ, वहाँ मैं यीशु की जय और शैतान की पराजय का प्रचार करना जारी रखता हूँ। हालेलूयाह!