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काना का विवाह हमें उस आशिष की एक झलक दिखाता हैं, जो परमेश्वर को सम्मानित करने से आती है (यूहन्ना 2 : 1-11) । यह महत्वपूर्ण है कि विवाह के अवसर पर ही, प्रभु यीशु ने प्रथम बार अपनी महिमा प्रकट करने का निश्चय लिया। आज भी, वह प्रत्येक विवाह में अपनी महिमा प्रकट करने की इच्छा रखता है। प्रेम, यौन और विवाह, उसके दिए बहुमूल्य वरदानों में से एक है। यह वह साधन बन सकता है जिसके द्वारा वह अपनी महिमा न सिर्फ हम तक किन्तु हमारे द्वारा अन्यों तक भी प्रकट करे। यह तभी हो सकता है, जब हम उसे अवसर दें।

काना में दाखरस की कमी यह दर्शाती है कि समस्याएं और आवश्यकताएं प्रत्येक विवाह में अवश्य आएगी । ये समस्याएं अन्त में पति पत्नी दोनों को निराशा में डुबा देंगी । किन्तु जिस विवाह में प्रभु यीशु केा सर्वोपरि स्थान दिया जाता है, वहां वह शीघ्र ही समस्याओं का हल करता तथा आवश्यकताओं की पूर्ति करता है- जैसा उसने काना में किया था ।

इतना पर्याप्त नहीं कि प्रभु यीशु को घर में सिर्फ पाहुन करके निमंत्रित करें, उसे तो प्रभु या स्वामी बनाना चाहिए । यह पद लिखा हुआ दीवार पर टांग देना सिर्फ एक उपहास है कि मसीह इस घर का अगुवा है, जब कि यह सत्य है कि पति (अथवा पत्नी) ही उस घर के प्रमुख है । किन्तु जब भी मसीह को वास्तव में प्रभु और अगुवा समझा जाता है, वह उसी प्रकार अपनी महिमा प्रकट करता है जैसा उसने दो हजार वर्षो पूर्व काना में किया था (पद 11) ।

जो कुछ वह तुमसे कहे, वही करना- यह सलाह मरियम ने सेवकों को दी (पद 5 ) । उन्होने वह सलाह मानी और यीशु की आज्ञा का पालन निश्चयपूर्वक, उसी समय किया था और शीघ्र ही समस्या हल हो गई । यदि विवाहित जोडे (और विवाह पर ध्यान देनेवाले नौजवान भी) सिर्फ इसी सलाह को माने और परमेश्वर की आज्ञाओं का वैसे ही निश्चयपूर्वक तथा तत्काल पालन करें तो कितनी जल्दी उन्हें समस्याओं का हल मिल जाएगा ।

उस विवाह में जल दाखरस में परिवर्तित हो गया था जो कुछ निःस्वाद, रंगहीन और साधारण था, वह एक ही क्षण में स्वादिष्ट,रंगयुक्त और कीमती हो गया था । यह इस बात का संकेत है कि यदि परमेश्वर केा घर का पूर्ण नियंत्रण सौंपा जाए, तो वैवाहिक जीवन की साधारण बातें (प्रतिदिन होने वाली एक सी क्रियाएं) कितनी कान्तियुक्त हो सकती है । जिसे पहले साधारण समझकर तिरस्कृत किया गया था, उसी का अनन्त महत्व मालूम होने लगता है तथा जो अरुचिकर था वह रोचक बन जाता है ।

उस आश्चर्यकर्म के परिणामस्वरुप अनेक लोगों की आवश्यकताएं पूर्ण हुई थी । मसीही विवाह का अभिप्राय सिर्फ दोनों साथियों के लिए ही आनन्द प्रदान करने से कभी पूर्ण नहीं होता । परमेश्वर की इच्छा है कि विवाहित जोडों का प्याला निरन्तर उमड़ता रहें (भजन 23 : 5) । उन्हें, अन्य व्यक्तियों के लिए- वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति के लिए जिनसे भेंट करें, आशिष का कारण होना चाहिए । परमेश्वर ने एक बार अपने आज्ञाकारी सेवक से कहा- मैं तुझे आशिष दूंगा...... और तू आशिष का मूल होगा....... और भूमंडल के सारे कुल तेरे द्वारा आशिष पाएंगे (उत्पत्ति 12 : 2, 3) । गलतियों 3 : 14 के अनुसार परमेश्वर की यह आशिष हमारे लिए भी है । विवाह में इससे बडा लक्ष्य किसी का और क्या हो सकता है? लेकिन हम किस हद तक दूसरों के लिए आशीर्वाद बनते हैं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने दैनिक जीवन में किस हद तक परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं। “पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगीः क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है, -परमेश्वर ने अब्राहाम से यह कहा (उत्पत्ति 22 : 18) ।

काना के आश्चर्यकर्म में आशा का एक संदेश भी उन व्यक्तियों के लिए है, जिन्होने प्रेम, यौन और विवाह के क्षेत्र में गलती की है और असफल रहे हैं । जब काना में दाखरस समाप्त हो गया,तो उन्होने मसीह की शरण ली और प्रभु यीशु ने उनकी सुनी । यदि आप अपनी आवश्यकता लेकर उसकी ओर फिरेंगे तो वह आपको कभी निराश नहीं करेगा- चाहे आपकी असफलता कितनी भी गहरी रही हो । वह सिर्फ यही चाहता है कि आप ईमानदारीपूर्वक अपनी आवश्यकता (काना के लोगों के समान) पहचाने तथा अपनी असफलता के विषय में उसे बताएं । क्या आप अपनी मूर्खता से किसी युवती (अथवा युवक) के साथ अपने संबंधों में सीमा से अधिक बढ चुके है? क्या आपने सम्भवतः अज्ञानता के कारण प्रेम में भयंकर भूल की है? क्या आप, उसके कारण निराशा और लज्जा सह रहे है? क्या दूसरे लोग आपको गलत समझते और अपमानित करते- अथवा आप पर कलंक लगाते है? तो इसी समय प्रभु यीशु की ओर फिरिए । देरी न कीजिए । वह पापियों का मित्र है । वह न केवल आपके पापों को क्षमा करने के लिए बल्कि शैतान द्वारा आपके जीवन में की गई गंदगी को साफ़ करने के लिए भी प्रतीक्षा करता है। क्योंकि इन्हीं दो उद्देश्यों की पूर्ति करने वह इस संसार में आया (1 यूहन्ना 3 : 5,8) । निराशा को रास्ता मत दो, क्योंकि तुम्हारे लिए भी आशा है। प्रभु ने काना में उस विवाह की कमी को बहुत अधिक पूरा किया, और वह आपके जीवन की हर कमी को इससे भी अधिक पूरा कर सकता है। प्रभु ने काना में अपनी महिमा प्रकट की, और वह आपके मामले में भी ऐसा ही कर सकता हैं।

यदि आपको निराशा का सामना करना पड़ा है, तो इस तथ्य पर विश्वास करें कि मसीही जीवन में सच्चा आशीर्वाद त्याग के माध्यम से आता है, न कि स्वामित्व के माध्यम से (प्रेरितों 20:35)। परमेश्वर ऐसा कर सकता है कि सब बातें मिलकर आपके लिए भलाई उत्पन्न करें और अपूर्ण इच्छाओं के होते हुए भी अपनी महिमा के लिए पूर्णता का जीवन बिताने में आपकी सहायता करें ।