यीशु ने पहाड़ी उपदेश में अपने शिष्यों से कहा कि अगर कोई पुरुष एक स्त्री की तरफ देखते हुए उसकी कामुक लालसा करता है, तो वह उसके साथ व्यभिचार कर चुका है। फिर उसने यह भी कहा कि उस पुरुष के लिए यही अच्छा है कि वह अपनी उस आँख को निकाल फेंके बजाय इसके कि वह उसकी दोनों आँखों के साथ नर्क में फेंका जाए। इस तरह उसने यह सिखाया कि अगर हम अपनी आँखों से स्त्रियों की लगातार कामुक लालसा करते रहेंगे, तो यह एक पुरुष को अंततः नर्क में पहुँचा देने के लिए काफी होगा।
आज मनुष्य के हृदय में पाई जाने वाली कामुक लालसा नर्क की वही आग है जो आदम के समय से ही हरेक पुरुष के अन्दर धधक रही है। सिर्फ पवित्र आत्मा की आग ही इसे मिटा सकती है। आपका हृदय या तो पाप करने की लालसा से धधकता रहेगा, या फिर यीशु के प्रेम से धधकता रहेगा। आपको इन दोनों के बीच में से एक को चुनना होगा: या तो अभी शुद्ध करने वाले की आग, या फिर भविष्य में नर्क की आग। तीसरा कोई विकल्प नहीं है।
यहूदी लोगों का, जिनसे यीशु बात कर रहा था, व्यवस्था के द्वारा पहले ही उनका एक ऊँचा नैतिक मापदण्ड था। वे एक कठोर नैतिक स्तर के अनुसार अपना जीवन जीते थे जिसमें विवाह से बाहर, लैंगिक सम्बंध की सज़ा हमेशा मृत्यु-दण्ड होती थी। उन दिनों में कोई अश्लील पुस्तकें, या पत्रिकाएं या टी.वी. कार्यक्रम नहीं थे कि वे लोगों को अनैतिक जीवन के लिए प्रलोभित करते। समाज की हरेक स्त्री का पोशाक शालीन होता था, और पुरुष व स्त्रियाँ आपस में ज़्यादा बात नहीं करते थे। फिर भी, ऐसे समाज में भी, जहाँ इतने प्रतिबंध थे, प्रभु जानता था कि पुरुष स्त्रियों की कामुक लालसा करते रहते थे, इसलिए उसे अपने शिष्यों को इसके खिलाफ चेतावनी देनी पड़ी थी। अगर एक ऐसे सख्त समाज में ऐसा था, तो इस मामले में वह आज के युवाओं को और भी कितनी कठोर चेतावनी देता जो हमारे जैसे बुरे समाज में रहते हैं।
आज का समाज हमारे लैंगिक आवेगों को पोषित करने के लिए हमारे मनों में हर तरह की बातें डालता रहता है। इस वजह से ही हम सभी को हमारे इस समयकाल में ज्यादा सचेत रहने की ज़रूरत है। अगर आप इस कामुक लालसा की आग को मिटाने के प्रति गंभीर हैं, तो आपको इसे भड़काने वाले ईंधन की आपूर्ति को रोकने के प्रति भी गंभीर होना होगा। और आपको उस ईंधन के स्त्रोत को भी मिटाना होगा - निर्दयी होकर निर्ममता और कठोरता से। आँख निकाल फेंकने और हाथ काट डालने का यही अर्थ है। जो बात हमसे पाप कराती है, यीशु हमें उसे नष्ट करने की आज्ञा दे रहा था। यीशु सब मनुष्यों से बढ़कर पाप के ख़तरे और नर्क की आग की हकीकत को जानता था और यही वजह थी कि हमें पाप से बचाने के लिए उसने ऐसी कठोर आत्मिक शल्य-चिकित्सा (सर्जरी) का आग्रह किया था।
प्रभु की इस आज्ञा को आज हमारे लिए ऐसे लागू किया जा सकता है: “अगर आपका टी.वी. आपसे पाप करवाता है, तो उससे तुरन्त दूर हो जाएं।" टी.वी. के दृश्य पटल पर जो सितारे आपको नज़र आते हैं, उनके साथ नर्क में जाने की बजाय यह अच्छा है कि आप उन कार्यक्रमों को देखे बिना स्वर्ग में जाएं। या अगर कोई पत्रिकाएं या किसी ख़ास तरह का संगीत आपको उत्तेजित करते हैं और आपसे पाप करवाते हैं, तो उन पत्रिकाओं या टेपों के साथ भी यही करें। यकीनन, इस पृथ्वी पर आपके लिए कुछ भी ऐसा मूल्यवान नहीं हो सकता कि आप उसे जकड़े रहना चाहें इसके परिणाम स्वरूप आप - स्वर्ग जाने से चूक जाएं और नर्क में पहुँच जाएं।
यह पढ़ते समय भी, शैतान आपके कान में यह फुसफसाने में देर नहीं करेगा, "यकीनन, एक ऐसी मामूली बात के लिए आप कभी नहीं मरोगे (या नर्क में नहीं जाओगे)।" और वह बड़ी चतुराई से आपको बताएगा कि एक पत्रिका के किसी चित्र की या टी.वी. में किसी की कामुक लालसा करना वास्तव में व्यभिचार नहीं होता है। उसकी बात न सुनना - क्योंकि यीशु ने हमें चेतावनी दी है कि शैतान शुरू से ही झूठा है।
इस पाप के बारे में ऐसा न कहें, "मैं भविष्य में ध्यान रखूँगा", या "मैं इसे छोड़ने की कोशिश करूंगा।" बाइबल हमें बुराई की छाया से भी दूर रहने के लिए कहता है। यह विश्वास करें कि परमेश्वर आपकी हर तरह से मदद करेगा कि आप इस पाप को फौरन और हमेशा के लिए छोड़ दें। आज से ही इसमें संघर्ष शुरू कर दें, और तब तक हार न मानें जब तब कि आप इस गोलियत का सिर न काट दें जिसने आपको, जो जीवित परमेश्वर की सेना के एक सैनिक हैं, भ्रष्ट किया है।
1 कुरिन्थियों 7:1 हमें लड़कियों के साथ शारीरिक संपर्क बनाने के ख़िलाफ चेतावनी देता है। जब पवित्र आत्मा किसी बात के लिए कहता है कि वह "अच्छा नहीं है" (जैसा कि वह वहाँ कहता है), तब उस बात से पूरी तरह दूर रहने के लिए किसी भी शिष्य के लिए यह काफी होना चाहिए। विधिवादी अक्षर के अनुसार जीवन बिताते हैं, जबकि एक शिष्य आज्ञा की आत्मा के अनुसार जीते हैं। जैसेः यीशु यह जानता था कि किसी स्त्री की हृदय में लालसा करना व्यभिचार था क्योंकि उसने सातवीं आज्ञा की आत्मा को समझने के लिए मन लगाया था। इसी तरह, अगर आप भी पूरे हृदय से समर्पित होंगे, तो आप भी यह देख सकेंगे कि परमेश्वर की सभी आज्ञाओं की जड़ में क्या है। यह देखें कि पौलुस ने तीमुथियुस से क्या कहा था, "ऐसी हरेक अभिलाषा से भाग जो अक्सर जवानी में युवकों में पाई जाती है" (2 तीमु. 2:22 - लिविंग बाइबल)। ऐसी हरेक सम्भावना से दूर भागें जो आपको प्रलोभित कर सकती हो।
प्रभु एक बार फिर अपने मन्दिर को साफ कर रहा है। अब उसका मन्दिर आपकी देह है। उसे एक ही बार में इसमें पूरी तरह से काम करने दें।