पत्रियों में प्रतिज्ञाओं में से एक अंतिम यह है, कि परमेश्वर हमें ठोकर खाने से बचा सकते हैं (यहूदा 1:24)। यह सत्य है - निश्चय ही प्रभु हमें गिरने से बचा सकने में समर्थ हैं। परन्तु यदि हम खुद को पूरी तरह से उन्हें समर्पित नहीं करते तो वह हमें गिरने से नहीं बचा सकेंगें। वो अपनी इच्छा किसी पर थोपते नहीं हैं।
विश्वासियों होने के नाते, मसीह से हमारे संबंध की तुलना उस कुंवारी से की गई है जो सगाई के बाद अपने विवाह का इंतजार करती है (2 कुरिन्थियों 11:2; प्रकाशित वाक्य 19:7)। अगले वचन में (2 कुरिन्थियों 11:3), पौलुस कहता हैं कि वो डरता हैं कि जिस प्रकार शैतान ने हव्वा को धोखा दिया था वैसे की शैतान कहीं हमें धोखा देकर हमें मसीह, की भक्ति से दूर ना कर कर दे। स्वर्ग समान एक स्थान में रहने के वावजूद हव्वा, शैतान के धोखे में आ गई और परमेश्वर द्वारा स्वर्ग से बाहर निकाली गई। आज, हम जो मसीह के साथ सगाई के बंधन में हैं और स्वर्ग की राह पकड़ें हैं। परन्तु यदि हम शैतान को हमें धोखा देने की अनुमति देंगे, तो हम कभी स्वर्ग में प्रवेश न करेंगे।
यदि दुल्हन दुनिया और पाप के साथ वेश्या वृति करती है, तो दूल्हा उससे विवाह करने से इन्कार कर देगा। प्रकाशितवाक्य 17 में इसी वेश्या कलीसिया को बाबुल कह कर संदर्भित किया गया है अंत में प्रभु ने जिसका त्याग कर दिया था।
यदि आप प्रभु से प्रेम करते हैं, तो उसके लिए आप अपने आप को पवित्र रखेंगे, चाहे आप आसपास के अन्य विश्वासियों को दुनिया और पाप से वेश्यावृति करते भी देखें। यीशु ने हमें चेतावनी दी है कि अंत के दिनों में, "ज्यादातर लोगों का प्रेम ठंडा पड़ जाएगा (जाहिर है ये वाक्य विश्वासियों से संदर्भित है क्योंकि वे ही हैं जो प्रभु से प्रेम करते हैं)। लेकिन जो अंत तक धीरज धरे रहेंगें उन्हीं का उद्धार होगा"(मत्ती 24:11-13)।
शैतान हम सभी को धोखा देना चाहता है। पर बाइबिल हमें सावधान करती है कि यदि हम सत्य के प्रेम को ग्रहण ना करेंगे तो परमेश्वर विश्वासियों में भटका देने वाले सामर्थ को भेजेगा जिससे हम झूठ की प्रतीति करें (2 थिस्सलुनीकियों 2:10,11)।
यदि हम परमेश्वर के वचन में लिखे सत्य को स्वीकार करते हैं, और यदि हम पवित्र आत्मा द्वारा दिखाए गए अपने जीवन में उपस्थित पापों के सत्य का सामना करते हैं, और अगर हम उन सभी पापों से उद्धार पाने के लिए उत्सुक हैं, तो हमें कभी भी धोखा ना दिया जा सकेगा।
परन्तु परमेश्वर के वचन में स्पष्ट रूप से लिखे सत्य को यदि हम स्वीकार नहीं करते, या पाप से बचाए जाने की इच्छा हममें यदि ना हो, तब "परमेश्वर हममें भटका देने वाले सामर्थ को भेजेगा जिससे हम झूठ की प्रतीति करें" न केवल अनन्तकाल की सुरक्षा के इस मामले में, वरन अन्य क्षेत्रों में भी।
तो इस पूरे विषय का निष्कर्ष यह है:
हम प्रभु से प्रेम करते हैं, क्योंकि उसने पहले हमसे प्रेम किया और उसने हमारे सब पापों को क्षमा कर दिया। इसलिए, उसके अनुग्रह से हर समय हम अपने विवेक को साफ रखेंगे और उससे प्रेम करते जाएँगे और अंत तक उसके पीछे चलेंगे "और इस प्रकार हम सदा के लिए सुरक्षित हैं।
यीशु का अनुसरण करने वाला हर शिष्य सदा के लिए सुरक्षित है।
इसलिए जो समझता है, मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े (1 कुरिन्थियों 10:12)
जिसके कान हैं वह सुन ले।