द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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योना 3: 1 में लिखा गया है “फिर प्रभु का शब्द योना के पास दूसरी बार आया”। प्रभु की स्तुति हो कि हमारे एक बार निष्फल हो जाने के बाद वह हमें दूसरा मौका भी देता है। योना की पुस्तक मे से मिलनेवाले संदेशों में से हमें यह एक महान संदेश मिलता है। क्या आपने प्रभु को विफल किया है? परमेश्वर आपको दूसरा मौका देने का इंतजार कर रहा है। क्या आप दूसरी बार नाकाम हुए है? वह आपको तीसरी बार भी मौका देगा। वह सिर्फ दूसरे मौके का ही प्रभु नहीं है – क्योंकि हममें से ज़्यादातर हमारा दूसरा मौका बहुत पहले खो चुके है। आप चाहे कितनी भी बार नाकाम हुए हो, वह एक और मौका देने वाला प्रभु है! प्रभु आपको अभी भी पुनःस्थापित कर सकता है, और अगर आप सच्चे हृदय से मन फिरा ले तो वह आपको इस योग्य बना सकता है कि आप उसके लिए एक सेवकाई पूरी कर सके।

योना को उस विशाल शहर से गुजरने में तीन दिन लगे, हर गली में यह घोषणा करते हुए कि 40 दिनों में नीनवे नाश हो जाएगा। यह एक अद्भुत बात है कि नीनवे ने तुरंत दीन होकर अपने पापों का अंगीकार किया और मन फिरा लिया। विश्व के इतिहास में होने वाली यह सबसे बड़ी और सबसे तेजी से आई नव जागृति थी। एक बात जो मुझे बड़ी प्रोत्साहित करती है वह यह है कि जब नीनवे जैसे दुष्ट नगर ने अपना मन फिराया, तो परमेश्वर ने उस पर दया की। परमेश्वर जानता था कि कुछ वर्षो बाद वह नगर इतनी दुष्टता से भर जाएगा कि उसको उसे नष्ट करना पड़ेगा। लेकिन परमेश्वर हर एक के साथ उनकी वर्तमान दशा के अनुसार व्यवहार करता है – उनकी उस दशा के अनुसार नहीं जो उनकी बीते समय में थी या आनेवाले समय में होगी। उसका नाम “मैं जो हूँ सो हूँ” है, यह नहीं कि “मैं जो था” या “मैं जो होऊंगा”। परमेश्वर हमसे ज्यादा दयालु है।

जब परमेश्वर ने नीनवे पर दया की, तो कोई भी ऐसा विचार करेगा कि योना उत्साहित हुआ होगा। लेकिन इससे वह उत्साहित नहीं हुआ था। योना को एक पाठ सिखाने ने लिए परमेश्वर ने एक पौधे को उसके सिर पर छाया देने के लिए उगाया। योना उस पौधे के कारण बहुत आनंदित हुआ। लेकिन अगले दिन परमेश्वर ने एक कीड़ा भेजा, जिसने उस पौधे को ऐसा काटा कि वह सूख गया। योना को फिर से बहुत गुस्सा आया क्योंकि उसके सिर पर कड़ी धूप पड़ रही थी। तब उसने कहा, “मेरे लिए जीने से मरना भला है”। तब परमेश्वर ने योना से कहा कि, “उस पौधे पर तुझे इतना तरस आया जो एक ही रात में बढ़ा और फिर सूख गया। क्या मुझे इस महान शहर नीनवे पर दया नहीं करनी चाहिए, जिसमें 1,20,000 से अधिक लोग हैं, जो अपने दाहिने और बाएं हाथ के बीच अंतर तक नहीं जानते हैं, साथ ही कई जानवर भी हैं?" (योना 4: 10, 11)

योना 4:11 में हम पुरानी वाचा के अन्य किसी भी वचन से ज्यादा खोई हुई आत्माओं के लिए परमेश्वर की अपार करुणा को देख सकते है। परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि कोई नाश न हो। योना किसी तरह इस मामले में परमेश्‍वर के साथ संगति में नहीं आया। आज भी ऐसे बहुत से प्रचारक है जो प्रचार करते है और (योना की तरह) नव जागृतिया देखते है लेकिन योना की ही तरह उनकी परमेश्वर के करुणा से भरे हृदय के साथ कोई संगति नहीं होती। ऐसे प्रचारक अपनी सेवकाई उस तरह पूरी नहीं करते जैसा परमेश्वर चाहता है। आप प्रचार कर सकते है और लोग उद्धार पा सकते है, लेकिन सबकुछ पूरा हो जाने के बाद, योना की तरह, यह हो सकता है कि आपकी परमेश्वर के साथ कोई संगति न हो। एक सही सुसमाचारीय सेवकाई का आधार परमेश्वर के हृदय के साथ संगति होना है। परमेश्वर उन लोगों के लिए बड़ी करुणा रखता है जिनके पास ज्योति नहीं है। बाइबल बताती है कि परमेश्वर चाहता है कि सब मनुष्य अपना मन फिराएँ, उद्धार पाएँ और सत्य का ज्ञान प्राप्त करें। वह इसकी लालसा करता है। हम परमेश्वर के हृदय के साथ जितनी ज्यादा संगति करते है, हम उसके बोझ में उतने ज्यादा सहभागी होते है। अगर परमेश्वर ने आपको एक सुसमाचार-प्रचारक होने के लिए बुलाया है तो वह आपको खोई हुइ आत्माओं के लिए बोझ देगा। अगर परमेश्वर ने आपको शिक्षक होने के लिए बुलाया है, तो वह आपको ऐसे विश्वासियों के लिए तरस देगा जो अंधे और भ्रम में पड़े है और जो एक जयवंत जीवन में प्रवेश नहीं कर रहे हैं। अगर हमें अपनी सेवकाई एक प्रभावी रूप में पूरी करनी है, तो यह अनिवार्य है कि हम परमेश्वर के हृदय के साथ संगति करते हुए उसकी करुणा में सहभागी हो।