द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   परमेश्वर को जानना चेले
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प्रेरितों के 13 में, हम पहली बार उस महान मिशनरी आंदोलन के बारे में पढ़ते है जो अन्ताकिया से बाहर निकला था। बरनबास और शाऊल, जो अन्ताकिया से पैसों के साथ यरूशलेम में गए थे, वहाँ उन्होंने पतरस की अद्भुत रिहाई देखी और अधिक चुनौती पाया। वे यरूशलेम लोगों को भौतिक रूप से आशीष देने के लिए गए थे। लेकिन बदले में उन्होंने एक आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्त किया यह देखकर कि प्रार्थना क्या कर सकती थी। जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी (नीतिवचन 11:25)। जब वे अन्ताकिया में लौटकर आए, वहाँ उन्होंने प्राचीनों को प्रार्थना के बारे में सिखाया जो उन्होंने वहां सीखा था (प्रेरितों. 13:1,2)। और उन सभी ने यह निर्णय लिया कि वे उपवास और परमेश्वर की आराधना करेंगे। बिना कुछ मांगे वे परमेश्वर की आराधना कर रहे थे। इस प्रकार उपवास और केवल आराधना करना कितनी अनोखी बात है। परमेश्वर ने उनसे कहा, "मेरे निमित्त बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिए मैंने (पहले से ही) उन्हें बुलाया है" (प्रेरितों. 13:2)। यहां इसका उल्लेख नहीं किया गया है कि परमेश्वर ने उनसे कैसे बात की। यह उनकी आत्माओं में एक गहरी अभिशंसा के साथ हुई होगी कि परमेश्वर उनसे यह बात कह रहे है।

यह वह समय नहीं था जब परमेश्वर ने शाऊल और बरनबास को पहले बार बुलाया था। उन्होंने उन्हें पहले से ही बुलाया था। जब भी परमेश्वर किसी को बुलाते है, यह हमेशा व्यक्तिगत रूप से और निजी तौर पर होता है। सार्वजनिक रूप से बाद में इस बात की पुष्टि हो सकती है, जैसे यहाँ हुआ था। लेकिन आप कभी यह नहीं सोचे कि परमेश्वर यह कह रहे है जब कोई आकर आपसे ऐसी बाते कहता है कि, "परमेश्वर यों कहता है, 'वहाँ जा', या 'इस व्यक्ति से शादी कर'," आदि। आपको ऐसे शब्दों को कूड़े-दान में फेंक देना चाहिए, जिसके योग्य वह हैं। यदि परमेश्वर चाहते है कि आप कुछ करे, वे निजी तौर से आपसे बात करेंगे। सार्वजनिक रूप से अन्य प्राचीनों के माध्यम से उसकी पुष्टि वे कर सकते है। लेकिन यह हमेशा एक ऐसी बात होगी जिसे परमेश्वर ने पहले से ही आपको करने के लिए कहा होगा। शाऊल और बरनबास ने पहले से ही बुलावे को सुना था। वे इस बारे में सोच रहे थे, जब इस प्रार्थना बैठक में प्राचीनों ने परमेश्वर को कहते हुए सुना,"मेरे निमित्त बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिए मैंने (पहले से ही) उन्हें बुलाया है"। शाऊल और बरनबास धैर्य से इंतजार कर रहे थे, जब तक उनके साथी-प्राचीन भी परमेश्वर को इस विषय में सुने - और फिर वे बाहर चले गए, उनके साथी-प्राचीनों द्वारा आगे भेजे गए। यीशु के शरीर में नई वाचा के अंतगर्त सेवकाई ऐसी होती है - यह पुराने वाचे से भिन्न है जहां भविष्यवक्ताएं अपने में आगे गए, जहाँ उन्हें लगा कि परमेश्वर उनको भेज रहे थे।

प्रभु ने मुझे पूर्णकालिक मसीही काम के लिए 6 मई 1964 को बुलाया था। मैं भारतीय नौसेना में काम कर रहा था और छुट्टी पर था, एक सुसमाचार समूह के साथ बैठकों को कर रहा था। जैसे मैं शास्त्रों को पढ़ रहा था, परमेश्वर ने मुझे बहुत स्पष्ट रूप से यशायाह 49 से बुलाया। लेकिन मेरे पास बैठे हुए किसी ने भी उन बातों को नहीं सुना जिसे परमेश्वर ने मुझे बताया था। यह एक निजी और व्यक्तिगत बुलावा था। एक घंटे के बाद, जैसे मैं परमेश्वर के बुलावे पर ध्यान करने लगा और नौसेना से त्यागपत्र देने का विचार करने लगा, परमेश्वर का एक जन जो हमारे साथ यात्रा कर रहे थे, (और जिन्हें मैं भारत में किसी और से अधिक सम्मान देता था) वे मेरे पास आए और उन्होंने मुझसे पूछा, "तुम नौसेना छोड़ने के बारे में कब सोचोगे?" यह एक भविष्यवाणी शब्द था जिसने मुझे चकित किया। लेकिन यह परमेश्वर से पहले ही मेरे अंदर की गई बात की एक बाहरी पुष्टि थी। यदि परमेश्वर आपको बुलाते है तो वे आपको व्यक्तिगत रूप से पहले बुलाएंगे। फिर अन्य धर्मी पुरुषों से आपको एक संपुष्टि मिलेगी। लेकिन सबसे पहले आप स्वयं उस बुलावे को सुनेंगे। हम नए विधान में इसी मार्ग को देखते है।

प्रेरितों के 13:36 में हम यह पढ़ते है कि दाऊद तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा करके सो गया; हम सभी को परमेश्वर की इच्छा करके अपनी पीढ़ी में सेवा करने के लिए बुलाया गया है। तो सुनिश्चित करें कि इस धरती को छोड़ने से पहले आप परमेश्वर की सभी इच्छाओं को पूरा करें। ऐसा करने के लिए, आपको दाऊद के समान एक पुरुष होना है, जिनके बारे में परमेश्वर यह कह सकते हैं, "मुझे एक मनुष्य दाऊद, मेरे मन के अनुसार मिल गया है। वही मेरे सारी इच्छा पूरी करेगा" (प्रेरितों 13:22) ।