द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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भजन 23 चरवाहे का भजन है। जब प्रभु हमारा चरवाहा है, तब हमें कोई घटी नहीं होगी (पद 1)। वह हमें हरी हरी चराइयों में बैठाता है। वह हमारी अगुवाई करता है। वह हमारे जी में जी ले आता है। वह हमारा मार्गदर्शन करता है। हम अक्सर सोचते हैं कि हमें प्रभु के लिए क्या करना है। लेकिन यहाँ इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि प्रभु हमारे लिए क्या करता है। हम परमेश्वर के लिए तभी प्रभावी हो सकते है जब पहले हम उसे हमारे भीतर काम करने देते है। हम किसी हानि से नहीं डरेंगे क्योंकि वह हमारे साथ है। वह हमारे लिए मेज़ बिछाता है और हमारे सिर पर तेल उँडेलता है। फिर हमारा प्याला उमड़ने लगता है और जब तक कि हम अपने अनंत निवास में नहीं पहुँच जाते उसकी भलाई और करुणा हर जगह हमारे साथ साथ रहेगी।

भजन 34, प्रभु को धर्मी जन के सहायक के रूप में प्रस्तुत करता है। दाऊद ने यह भजन तब लिखा था जब प्रभु ने उसे उसकी निश्चित मृत्यु से छुड़ाया था जब उसने राजा अबीमेलेक के सामने पागल होने का दिखावा किया था। इसलिए वह कहता है, “मैं परमेश्वर को हर समय धन्य कहूंगा। इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया। परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है"। (पद 1, 6, 8)। दाऊद को यह बात समझ आ गई थीं कि "यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उन को बचाता है”। (पद 7)। उसने यह भी देखा कि “परमेश्वर की आंखें धर्मियों पर लगी रहती है और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं"। और यह कि “प्रभु टूटे मन वालों के समीप रहता है" (पद 15, 18)। दाऊद अपने अनुभवों में से कहता है, “धर्मी जन पर बहुत से संकट आते हैं” (पद 19)। ऐसा कभी न सोचे कि अगर आप एक धर्मी जन है तो आपके जीवन में कोई भी मुश्किलें नहीं आएँगी। आपकी मुश्किलें ज़्यादा होगी। लेकिन “प्रभु आपको उन सब से छुड़ाएगा” (पद 19)। और फिर वहाँ एक मसीही नबुवत है: “वह उसकी हड्डी हड्डी की रक्षा करता है और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाती” (पद 20) - जो क्रूस पर पूरी हुई थी।

भजन 66 में दाऊद यहाँ परमेश्वर की स्तुति करता है क्योंकि वह उसे एक आशीषित जगह पर ले आया। लेकिन यह बहुत सी परीक्षाओं में से गुज़रने के द्वारा हुआ। पद 10-12 में हम पढ़ते हैं कि इससे पहले कि परमेश्वर दाऊद को एक आत्मिक संपन्नता की जगह पर लाता, वह उसे बीमारी, आग, पानी और मनुष्यों द्वारा सताए जाने में से लेकर गया। जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद यहाँ “भरपुरी की जगह” किया गया है, वह पवित्र बाइबल में सिर्फ़ एक और जगह - भजन 23:5 में इस्तेमाल किया गया है, और वहाँ इसके अनुवाद में “छलकना” है। इस तरह, एक उमड़ने और छलकनेवाली भरपुर आशीषों का जीवन पीड़ाओं और परीक्षाओं द्वारा ही मिलता है। पद 18 भी एक महत्वपूर्ण पद है: “अगर मैं अपने मन में पाप संजोए रखता, तो प्रभु मेरी न सुनता”। प्रार्थना परमेश्वर के साथ फ़ोन पर बातचीत करने जैसा है। लेकिन यदि हमारे हृदय में ऐसे पाप होंगे जिन्हें हमने क़बूल नहीं किया है , तो परमेश्वर हमारी प्रार्थना सुनने के लिए फ़ोन नहीं उठाएगा।

भजन 91 एक ऐसे व्यक्ति के लिए आशीष और सुरक्षा की घोषणा करता है जो “सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाता है”। हमारे लिए वह जगह यीशु का ज़ख़्मी पक्ष है। “सर्वशक्तिमान की छाया में रहना” का अर्थ यह है कि वह हमारे आगे चल रहा है और हम उसकी छाया में चल रहे हैं (पद 1)। परमेश्वर की सिद्ध इच्छा का केंद्र ही पूरे विश्व में सबसे सुरक्षित जगह है। प्रभु हमें हमारे दोनों शत्रुओं से छुड़ाने की प्रतिज्ञा करता है - शैतान (जाल बिछाने वाला), और पाप (घातक बीमारी) (पद 3)। वह हमें प्रत्यक्ष पापों (दिन के उड़ते तीर) से और भरमाने वाले पापों (अंधेरे में फैलने वाली महामारी) से बचाएगा (पद 5, 6)। अगर हमारे आसपास 10,000 मसीही भी एक विजयी जीवन में विश्वास न करते हो, फिर भी वह हमें पाप में गिरने से बचाएगा (पद 7)। यह हो सकता है हमें बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उन सब में से, कोई बुराई हम तक नहीं पहुँच पाएगी (पद 10)। जब तक हम उसकी इच्छा में चलते हैं, तब तक उसने हमारी देखभाल के लिए स्वर्गदूत नियुक्त किए हैं। शैतान (सिंह और साँप) हमेशा हमारे पैरों तले कुचला जाएगा (पद 13)। परमेश्वर हमारी प्रार्थना का उत्तर देगा, हमें ऊँचे स्थान पर सुरक्षित रखेगा, हमें लंबी आयु देगा कि जब तक हमारे लिए रखा नियुक्त काम पूरा न हो जाए तब तक हमारी मृत्यु न हो (पद 15, 16)