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हमें हर समय प्रभु में यह भरोसा करना चाहिए कि वही है जो इन बातों में हमारी मदद करेगा:

1. हमारे शरीर की हरेक लालसा पर जय पाने के लिए
2. हमारी हरेक परीक्षा में हमारे लिए परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा करने के लिए
3. हरेक स्थिति जय पाने के लिए, और
4. हरेक बुराई के सामने मसीह के गुणों को प्रकट करने के लिए
तब हम कभी निरुत्साहित नहीं होंगे।

हमें एक अविश्वासी पीढ़ी और (पाप से) समझौता करने वाले मसीही जगत के सामने एक ऐसा जीवित साक्षी होना है कि स्वर्ग में हमारा एक ऐसा प्रेमी पिता है जो हमारे लिए चमत्कार करता है। परमेश्वर के पास आपके लिए एक योजना है। आप दिन-प्रतिदिन जैसे-जैसे उसका आदर करेंगे, वैसे-वैसे आप उस योजना को जान सकेंगे। एक सही समय पर, वह हरेक क्षेत्र में आपके लिए सही द्वार खोलेगा – संगति के लिए, काम-धंधे के लिए, रहने के लिए, विवाह के लिए (जब इनके लिए समय आता है)। जो उसका आदर करते हैं, वे इन क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ पाते हैं - फिर चाहे उन्हें कॉलेज की पढ़ाई में कितने भी अंक क्यों न मिले हों, चाहे उनमें प्रभाव या आर्थिक संसाधनों की कितनी भी कमी क्यों न हो, या किसी देश में कितनी भी मंदी क्यों न हो।

उनकी किशोरावस्था और युवावस्था में मूर्खता बहुत प्रचलित है। सिर्फ परमेश्वर की कृपा ही आपको ऐसी गंभीर गलतियों से बचा सकती है जिनके नतीजे फिर जीवन-भर भुगतने पड़ते हैं। इसलिए तुम्हें हर समय परमेश्वर के भय में और बड़ी सावधानी के साथ रहना चाहिए।

अपने जीवन के लिए परमेश्वर की योजना से न चूकना । मैंने साढ़े 19 साल की उम्र में पूरे हृदय से अपना जीवन प्रभु को दे दिया था। अब, बहुत साल गुज़र जाने के बाद, मैं इस बात में आनन्द मनाता हूँ कि परमेश्वर ने मेरे जीवन में उससे बहुत बढ़कर किया है जो मैं खुद उन बातों को करने द्वारा अपने लिए करता जो "मेरी अपनी नज़र में मुझे सही नज़र आतीं।" ऐसा नहीं है कि मैंने कभी कोई पाप नहीं किया है, या कोई मूर्खता का काम नहीं किया है, या इन सालों में कभी कोई गलती नहीं की है। मैंने यह सब किया है और अब जब मैं अपने नए जीवन को देखता हूँ, तो मैं इन भूलों और गलतियों पर बहुत लज्जित होता हूँ। लेकिन परमेश्वर मेरे प्रति दयावंत रहा और उसने मेरे जीवन में से ये सब मिटाया और मुझे लेकर आगे चलता रहा। मेरा विचार है कि उसने यह देखा कि मेरी सारी गलतियों के बावजूद, मैंने पूरी ईमानदारी से उसकी इच्छा पूरी करनी चाही है। वह ऐसे सभी लोगों को उनका प्रतिफल देता है जो उसे यत्न से खोजते हैं, फिर चाहे उन्होंने बहुत सी गलतियाँ भी क्यों न की हों। मुझे यकीन है कि परमेश्वर की वही भलाई और दया आपके पूरे जीवन भर आपके भी साथ रहेगी ( भजन. 23 : 6 )।

जब आप परमेश्वर का आदर करना चाहते हैं, तब आपके रास्ते में चकित करने वाली बड़ी मनोहर बातें रखी होती हैं, क्योंकि “परमेश्वर हमेशा अपने प्रेम में आपके लिए ख़ामोशी से काम करता रहता है" ( सपन्याह 3:17 भावानुवाद) । इसमें आपके भविष्य की हरेक बात शामिल है पार्थिव और आत्मिक दोनों। अगर आप अपने जीवन में प्रतिदिन परमेश्वर का आदर करने का संकल्प करेंगे, तो आप परमेश्वर का सर्वश्रेष्ठ पा सकेंगे। हम सांसारिक लोगों की तरह अपने भविष्य की योजना नहीं बनाते। परमेश्वर हमारी तरफ से काम करता है, और काम-धंधे आदि जैसे मामलों में भी वह हमें ऐसे अतिरिक्त लाभ देता रहता है जिसके हम योग्य नहीं होते। इसलिए हम भविष्य के बारे में बिलकुल कोई चिंता नहीं करते। जैसे यीशु ने हमें सिखाया है, हम एक समय में एक एक दिन करके जीते हैं, चिंता और तनाव से मुक्त, हवा के पक्षियों की तरह। प्रभु की स्तुति हो!

पौलुस की नज़र में उसकी अपनी जान की भी कोई कीमत नहीं थी बशर्ते वह अपनी दौड़ (प्रभु से उसे मिली हुई सेवा) को आनन्दपूर्वक पूरी कर लेता (प्रेरितों के काम 20:24 - के. जे.वी.)। जब एक माता-पिता अपने छोटे बच्चे को स्कूल में डालते हैं, तो वे उस दिन की राह देखते हैं जब वह अपनी पढ़ाई पूरी करके उसमें से बाहर निकलेगा। परमेश्वर के साथ भी ऐसा है। उसने भी हमारे जीवन के लिए एक पाठ्यक्रम रखा हुआ है। हमें परमेश्वर द्वारा हमारे लिए पृथ्वी पर तैयार किए गए इस पाठ्यक्रम को पूरा करना होगा। हमारे पार्थिव जीवन में, हम भूल और ग़लतियाँ कर सकते है। और कभी-कभी तो मूर्खतापूर्वक अपना समय भी नष्ट करते हैं। लेकिन परमेश्वर का धन्यवाद हो कि वे सिर्फ ऐसी ही ग़लतियाँ होंगी जो हमारे स्कूल में गणित के किसी प्रश्न को हल करते समय हमसे हो जाती हैं। हमारे लिए परमेश्वर के पास एक सिद्ध योजना है - हमारे काम-धंधे, विवाह आदि हरेक छोटे-बड़े मामले में। लेकिन ये सब तभी पूरी होती है जब हम पवित्रता के क्षेत्र में उसकी इच्छा को पूरा करना चाहते हैं। अगर हम पूरे हृदय से पवित्रता के खोजी होंगे, तो परमेश्वर यह सुनिश्चित करेगा कि फिर पृथ्वी के बाकी सभी मामलों में हमारे जीवनों के लिए उसकी योजना पूरी हो।