द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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परमेश्वर के घराने की विशिष्ठ विशेषता स्वयं अपना न्याय करना है (1 पतरस 4:17) – स्वयं का न्याय करना जोकि परमेश्वर के मुख के सम्मुख रहने के परिणाम स्वरूप होता है। यशायाह, अय्यूब और यूहन्ना ने जब परमेश्वर को देखा, तो उन्हें अपनी शून्यता और पाप के अलावा और कुछ नज़र नहीं आया (देखें यशायाह 6:5; अय्यूब 42:5,6; प्रकाशितवाक्य 1:17)

जब आदम और हव्वा ने परमेश्वर की पवित्रता का उल्लंघन किया, तो उन्हें अदन की वाटिका में से निकाल दिया गया। तब परमेश्वर ने जीवन के वृक्ष की सुरक्षा के लिए उसके चारों तरफ़ जलती हुई एक तलवार को नियुक्त कर दिया। यह जीवन का वृक्ष उस अनंत जीवन (दिव्य स्वभाव) का प्रतीक है जो यीशु हमें देने के लिए आया। लेकिन इससे पहले कि हम उस ईश्वरीय स्वभाव में सहभागी हो सके, यह ज़रूरी है कि वह तलवार, जो क्रूस का प्रतीक है, हमारे स्वयं के जीवन को ख़त्म करे। यह सच है कि वह तलवार पहले यीशु पर गिरी थी। लेकिन हम भी उसके साथ क्रूस पर मारे गए (गलातियों 2:20)“और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है”। (गलातियों 5:24)

करुबों की तरह, कलीसिया के अगुवों को इस तलवार को घुमाते रहना चाहिए और यह ऐलान करते रहना चाहिए कि दिव्य जीवन पाने का एकमात्र मार्ग स्वयं की मृत्यु द्वारा ही है। परमेश्वर के साथ फिर से सहभागिता करने का रास्ता उस तलवार के द्वारा ही है। क्योंकि यह तलवार चलाई नहीं जा रही है, इसलिए आज अधिकांश कलीसियाए समझौता करनेवाले लोगों से भरी हुई हैं जो अब मसीह की देह की अभिव्यक्ति बनना बंद हो चुके है।

गिनती 25:1 में हम उस समय के बारे में पढ़ते हैं जब इस्राएली “मोआबी लड़कियों के संग कुकर्म करने लगे”। एक इस्राएली तो एक मोआबी लड़की को अपने तंबू में भी ले आया (गिनती 25: 6)। लेकिन उस दिन एक याजक – पीनहास ने पूरी इस्राएली जाति को नाश होने से बचा लिया। उसके अंदर परमेश्वर की महिमा के लिए ऐसी धुन थी, कि उसने फ़ौरन एक भाला लिया और उस इस्राएली के तंबू में जाकर उसे और स्त्री दोनों को मार डाला (गिनती 25: 7, 8)। तब परमेश्वर ने उनके बीच में फैल रहीं महामारी को रोका (गिनती 25: 8,9)। लेकिन तब तक 24,000 लोग मारे जा चुके थे। वह महामारी इतनी तेज़ी से फैल रही थी कि उस दिन अगर “तलवार चलाने वाला एक करुब” न होता तो महामारी पूरे इस्राएल का नाश कर देती।

क्या आप देख सकते हैं कि प्रत्येक कलीसिया में “तलवार चलाने वाले एक करुब” का होना कितना ज़रूरी है?

मसीही जगत में आज महामारी बहुत तेज़ी से फैल रही है क्योंकि उसमें इतने पीनहास नहीं है जो तलवार चलाना जानते हो। ऐसे अगुवों और प्रचारकों की भरमार हो गई है जो मनुष्य को प्रसन्न करने वाले हैं और जो लगातार हमसे “मिद्यानीयों से प्रेम करने” का आग्रह करते रहते हैं। शैतान हमें ऐसे सैकड़ों तर्क-वितर्क देता रहेगा कि हमें क्यों कलीसिया में तलवार नहीं चलानी चाहिए। वह अपनी बात को सही ठहराने के लिए हमारे सामने पवित्र-शास्त्रों में से वचन का भी उल्लेख करेगा - जैसा उसने यीशु के सामने किया था।

तलवार चलाने से पीनहास को व्यक्तिगत रूप से क्या लाभ होने वाला था? कुछ भी नहीं। दूसरी तरफ़, उसके पास खोने के लिए बहुत कुछ था – ख़ास तौर पर एक दयालु और सौम्य व्यक्ति होने की अपनी प्रतिष्ठा खोने का। इसके अलावा, उसने जिस व्यक्ति को मारा था उसे उसके परिवार और संबंधियों के क्रोध का और उनके द्वारा उसकी पीठ पीछे की जाने वाली बुराई का भी सामना करना था। लेकिन यह परमेश्वर के नाम की महिमा और आदर था जिसने पीनहास को प्रेरित किया। परमेश्वर ने पीनहास की सेवकाई पर अपने समर्थन की यह कहते हुए मुहर लगाई, “उसे मेरी सी जलन हुई” (गिनती 25:11)। आख़िरी जाँच में, सिर्फ़ परमेश्वर के समर्थन की मुहर ही केवल एक चीज है जो मायने रखती है। फिर प्रभु ने पीनहास के बारे में यह भी कहा, “उसे क्योंकि अपने परमेश्वर के लिए जलन हुई इसलिए मैं उसके साथ शांति की वाचा बांधता हूँ” (गिनती 25:12,13)। आज अनेक कलीसियाओं में इसलिए शांति नहीं हैं क्योंकि वे परमेश्वर की तलवार चलाने द्वारा नहीं बल्कि मानवीय तरीको से शांति को खोजते हैं। इसका नतीजा उनके बीच में झगड़े और वाद विवाद होता है। मसीह की शांति तलवार से ख़रीदी जाती है (जो स्वयं के जीवन को ख़त्म करता है) – घर और कलीसिया दोनों में।

वे जो कलीसियाओं में अगुवे हैं, अगर उन्हें कलीसिया में शुद्धता बनाए रखनी है तो उनमें परमेश्वर के नाम के सम्मान के लिए एक जलन होनी चाहिए। उन्हें एक दयालु और सौम्य व्यक्ति होने की अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने की बात को छोड़ देना होगा और सिर्फ़ परमेश्वर के नाम की महिमा में दिलचस्पी रखने वाला होना होगा।

परमेश्वर के नाम की महिमा की इसी धुन ने यीशु को पैसों का लेन-देन करने वालों और कबूतर बेचने वालों को मंदिर में से निकाल बाहर करने के लिए प्रेरित किया। “तेरे घर की धुन मुझे खा जाएगी” (यूहन्ना 2:17)। मसीह समान होने का यह एक प्रमुख भाग है। लेकिन कौन है जो मसीह के समान बनने में दिलचस्पी रखता है, भले ही उसे अलोकप्रिय और लोगों द्वारा गलत समझा जाए?