द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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कनान के लोगों का नाश करने की परमेश्वर ने आज्ञा दी। परमेश्वर ने इसी प्रकार सदोम तथा गमोर के लोगों का न्याय किया था और उसी प्रकार नूह के दिनों में पापी संसार का न्याय किया था। नूह के दिनों में सम्पूर्ण संसार लैंगिक पापों के कारण भ्रष्ट हुआ था (उत्पत्ति 6:11)। अब कनान के लोग भी लैंगिक पाप तथा मूर्तिपूजा कर रहे थे। इसकारण, ''वह देश अपने निवासियों को उगल देता है'' (लैव्यव्यवस्था 18:24,25)। परमेश्वर ने क्योंकर कनानी लोगों का नाश किया इसका स्पष्ट कारण हम व्यवस्थाविवरण 9:4 तथा 18:10-12 में पढ़ते है। जिस देश में तथा भूमि पर भ्रष्टता का प्रभाव होता है वह अशुद्ध तथा भ्रष्ट हो जाती है। भ्रष्ट लोगों को दण्ड देने के लिये उन्हें उस भूमि से बाहर कर देना ही उचित न्याय है। अन्यथा, उस भूमि के अन्य लोग भी भ्रष्ट हो जायेंगे।

प्रेम करनेवाले परमेश्वर भी डॉक्टर की नाई अपना कार्य करते है। वे मरीज़ के सड़े हुए पैर को काटकर अलग कर देते है ताकि सम्पूर्ण शरीर सड़कर नाश न हो जाए। क्या आपने ऐसा मरीज़ देखा है। आप सोचेंगे कि डॉक्टर ने कठारे दिल से यह काम किया है; परन्तु ऐसा नहीं है। डॉक्टर को मरीज़ की चिन्ता होने के कारण डॉक्टर ने उसका सड़ा हुआ पैर काटकर अलग कर दिया। डॉक्टर ने यह प्रेममय दिल से किया होता है। परमेश्वर ने भी संसार से प्रेम किया है इस कारण वह नहीं चाहता कि सम्पूर्ण संसार अशुद्ध हो जाए। इसकारण परमेश्वर संसार को भ्रष्ट लोगों से अलग कर देता है। नूह के समय महाजलप्रलय भेजकर परमेश्वर ने अपना प्रेम प्रकट किया, ताकि यह संसार पूर्ण रीति से शैतान के नियंत्रण में न आए (उत्पत्ति 6:2 में हम 'परमेश्वर के पुत्रों ने' यह वाक्प्रचार देखते है। यहां पर परमेश्वर द्वारा निर्मित दूतों के विषय में कहा गया हैं जो शैतान के साथ भ्रष्ट हो गए)। एक घटना में हम पढ़ते हैं कि पौलुस ने एक व्यक्ति को अन्धा कर दिया क्योंकि वह अन्य लोगों को गलत मार्ग पर ले जा रहा था (प्रेरितों के काम 13:8-12)। मैने सुना है कि परमेश्वर ने उन लोगों को मार डाला जिन्होंने बेदारी का विरोध किया। इस कारण हम यहोशू में कनानी लोगों के विषय में जो पढ़ते है वह खून नहीं वरन् इस जगत की शस्त्रक्रिया है।

कई वर्षों पहले जब इब्राहीम कनान में रहता था तब वहां कनानी लोग थे। उस समय परमेश्वर ने उनका नाश नहीं किया। परमेश्वर 400 वर्ष बाट जोहते रहा क्योंकि उसने इब्राहीम से कहा था कि कनानी लोगों का पाप अभी पूरा नहीं हुआ है। उनका पाप पका नहीं था (उत्पत्ति 15:16)। जब आम पक जाते है तब हम उन्हें तोड़ते है। परमेश्वर भी पाप पकने की बाट जोहता है ताकि फिर न्याय करे। सदोम तथा गमोरियों का पाप पकने के बाद परमेश्वर ने उनका न्याय किया। इसीतरह परमेश्वर ने कनानी लोगों का न्याय किया।

इस्राएली लोगों ने 700 वर्ष तक कनान भूमि पर वास्तव किया तब वे भी कनानी लोगों के नाई पाप करने लगे। परमेश्वर ने उन्हें उस भूमि से बाहर कर दिया। अश्शूरी लोगों ने कनान हासिल कर लिया। 125 वर्ष बाद दक्षिण राज्य यहूदा ने भविष्यद्वक्ताओं का संदेश स्वीकार नहीं किया तब परमेश्वर ने उनका न्याय किया। परमेश्वर ने उनपर बाबुल को भेजा और उनका न्याय किया। परमेश्वर भेदभाव नहीं करता। कनानी लोग हो, इस्राएली लोग हो या यहूदा के लोग हो परमेश्वर के आदर्शों का स्तर समान होता है। यदि उसके लोग भ्रष्ट होकर भविष्यद्वक्ताओं का विरोध करेंगे तो परमेश्वर उस भूमि की अवश्य शस्त्रक्रिया करेगा। परमेश्वर हमसे भी ऐसा ही व्यवहार करेगा। परमेश्वर हमसे प्रेम करता है इसलिये वह हमारे पापों को अनदेखा नहीं करता। क्या कोई पिता अपने बच्चों के बीमारी को अनदेखा करता है? यदि कोई पिता ऐसा करे तो हम कहेंगे कि वह अपने बच्चों से प्रेम नहीं करता।