द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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जैसे हम इस साल के अंत में आते हैं, हमारे लिए यह अच्छा होगा है कि हम अपने जीवन की जाँच करें और देखें कि यह वर्ष कैसे बीता। हाग्गै नबी ने अपने समय में लोगों को "अपने जीवन के चाल-चलन पर विचार करने" के लिए प्रेरित किया। यह हाग्गै 1: 5,6 में लिखा है: अब इसलिए, इस प्रकार सेनाओं का परमेश्वर कहता हैं, "अपनी अपनी चाल-चलन पर ध्यान करो।तुम ने बहुत बोया परन्तु थोड़ा काटा; तुम खाते हो, परन्तु पेट नहीं भरता; तुम पीते हो, परन्तु प्यास नहीं बुझती; तुम कपड़े पहनते हो, परन्तु गरमाते नहीं; और जो मजदूरी कमाता है, वह अपनी मजदूरी की कमाई को छेदवाली थैली में रखता है"। हम उपरोक्त प्रश्नों को इस तरह से स्वयं पर लागू कर सकते हैं: प्रभु हमें यह कहते हुए चुनौती देता हैं, "सोच-विचार करें कि आपके जीवन में चीजें कैसी चल रही हैं"

क्या आपका जीवन आत्मिक रीति से फलवंत रहा है? आपने बहुत कुछ बोया है, लेकिन बहुत कम फसल काटी है। आप कई सभाओं में गए हैं, कई मसीही किताबें पढ़ी हैं और कई मसीही टेपों को सुना है, लेकिन क्या आपका घर आज एक ईश्वरीय और शांति का घर है? क्या आपने अपनी पत्नी / पति पर चिल्लाने जैसी एक साधारण बात पर भी जय पाई है? यदि नहीं, तो यद्यपि आपने बहुत कुछ बोया है, परंतु आपने बहुत कम फसल काटी है। आप कपड़े पहनते हैं, लेकिन आप अभी भी गर्म नहीं हैं। आप बहुत पैसा कमाते हैं, लेकिन आपकी जेब में छेद हैं और इसलिए इसमें से अधिकांश बर्बाद हो जाता है।

परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। यहाँ तक की हमारे बार-बार और बुरी तरह से निष्फल होने के पश्चात भी वह हमको अपनी सिद्ध इच्छा में ला सकता है। केवल हमारा अविश्वास ही उसे रोक सकता है। यदि आप कहते हैं, “परंतु मैंने बहुत बार सब-कुछ बिगाड़ दिया है। अब परमेश्वर के लिए असंभव है मुझे उसकी सिद्ध योजना में ले आना”, तब तो यह परमेश्वर के लिए असंभव है क्योंकि आप विश्वास नहीं करते कि वह आपके लिए क्या कुछ कर सकता है। परंतु यीशु ने कहा कि परमेश्वर के लिए हमारे लिए कुछ भी करना असंभव नहीं - यदि केवल हम विश्वास करें।

“तुम्हारे विश्वास के अनुसार तुम्हारे लिए हो” - हर बात में यह परमेश्वर का नियम है (मत्ती 9:29)। हमारा जिसके लिए विश्वास है वही हम प्राप्त करेंगे। यदि हमारा विश्वास है कि परमेश्वर के लिए असंभव है कि वह कोई बात हमारे लिए करें, तो वह हमारे जीवन में कभी पूरा नहीं होगा। दूसरी तरफ़ आप यीशु के न्याय-सिंहासन पर पाएंगे कि एक विश्वासी जिसने आपकी तुलना में अपने जीवन को अधिक बिगाड़ दिया था, इसके बावजूद भी उसने अपने जीवन में परमेश्वर की सिद्ध योजना को पूरा किया, बस इसलिए कि उसने विश्वास किया कि परमेश्वर उसके जीवन के टूटे हुए टुकड़ों को लेकर कुछ “बहुत अच्छा” बना सकता है। अपने जीवन में उस दिन आपको कितना पछतावा होगा जिस दिन आप जानेंगे कि यह आपकी निष्फलता नहीं थी (यधपी वे बहुत रही होगी) जिसने आपके जीवन में परमेश्वर की योजना को रोका, परंतु वह आपका अविश्वास था!

“और परमेश्वर का पुत्र इस कारण प्रगट हुआ कि शैतान के कामों का नाश करें” (1 यूहन्ना 3:8)। इस वचन का वास्तविक अर्थ है कि यीशु हमारे जीवन में शैतान के सारे बंधनों को खोलने आया। इसका चित्रण इस प्रकार कर सकते हैं कि जब हम पैदा हुए तो परमेश्वर ने सुतली की एक गेंद हमको दी, जैसे हम प्रतिदिन जीवन जीने लगे हम उसे खोलने लगे और हमने उसमें गाँठ लगाना (पाप करना) आरंभ कर दिया। आज सुतली खोलते खोलते वर्षों व्यतीत हो जाने पर भी, हम निराश हैं क्योंकि हम देखते हैं कि उसमें हज़ारों गाँठें लगी हुई है। परंतु यीशु “शैतान के समस्त बंधनों को खोलने आया”। अतः उनके लिए भी आज आशा है जिनकी सुतली में बहुत गाँठे (पाप) भरी पड़ी है।

परमेश्वर प्रत्येक गाँठ को खोल सकता है और आपके हाथों में एक बार फिर एक सिद्ध/नया गोला दे सकता है। यह सुसमाचार का संदेश है: आप एक नई शुरुआत कर सकते हैं। यदि आप कहते हैं, “यह असंभव है”। तब आपके लिए आपके विश्वास के अनुसार ही होगा। आपके मामले में यह असंभव होगा। परंतु मैंने कुछ लोगों को, जिनके जीवन आप से भी अधिक बुरे है, ऐसा कहते सुना है, “हाँ, मुझे विश्वास है कि परमेश्वर मेरे जीवन में ऐसा करेगा”। उसके लिए भी उसके विश्वास के अनुसार हो जाएगा। उसके जीवन में परमेश्वर की सिद्ध योजना पूरी हो जाएगी।

यदि आपकी सारी निष्फलताओं के लिए आपके जीवन में कोई ईश्वरीय खेद है, तब चाहे आपके पाप अर्गवानी रंग के हो या लाल रंग के हो, तो न केवल वे हिम के समान श्वेत हो जाएंगे – पुराने नियम के वायदे के अनुसार (यशायाह 1:18) – परंतु इससे भी अधिक नए नियम अनुसार परमेश्वर प्रतिज्ञा देता है “और तुम्हारे पापों को फिर स्मरण न करूँगा (इब्रानियों 8:12)। आपकी गलतियां या असफलताएं चाहे कुछ भी रही हो, लेकिन आप परमेश्वर के साथ एक नई शुरुआत कर सकते हैं। और चाहे अपने भूतकाल में आपने 1000 शुरुआत की हों और असफल हो गए हो, परंतु आज भी आप 1001 वीं नई शुरुआत कर सकते हैं। परमेश्वर अब भी आपके जीवन से कुछ महिमामय बना सकता है। जब तक जीवन है तब तक आशा है। अतः परमेश्वर पर भरोसा रखना न छोड़े। वह अपने बहुत से बच्चों के लिए अपने महान कार्य प्रगट नहीं कर सकता, इसलिए नहीं कि उन्होंने बीते समय में परमेश्वर को असफल किया है, परंतु इसलिए कि वे अब उस पर भरोसा नहीं रखते हैं। आइए हम “विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा करें” (रोमियों 4:20), और आने वाले दिनों में जिन चीज़ों को अब तक हमने असंभव समझा, उनके लिए परमेश्वर पर भरोसा रखें। सारे लोग चाहें जवान और बूढ़े आशा रख सकते हैं, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वे अतीत में कितने भी असफल क्यों न हुए हों, केवल इतना हो कि वे अपनी निष्फलताओं को स्वीकार करें, नम्र बने और परमेश्वर पर भरोसा रखें।