द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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यूहन्ना 16:33 में यीशु ने कहा "संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है”। उसने ऐसी कोई प्रतिज्ञा नहीं की कि हम क्लेश से बच जाएंगे - चाहे छोटे या बड़े क्लेश। लेकिन उसने यह ज़रूर कहा कि हम वैसे ही जय पा सकते हैं जैसे उसने जय पाई थी। परमेश्वर की दिलचस्पी हमें क्लेशों में से बचाने से ज़्यादा हमें जयवंत बनाने में है, क्योंकि उसकी दिलचस्पी हमारे सुख-आराम से कही अधिक हमारा चरित्र निर्माण करने में है। और यीशु ने यह भी कभी नहीं कहा, जैसा कुछ लोग सिखाते हैं कि हमारी विश्वासयोग्यता का प्रतिफल यह होगा कि हम महाक्लेश से बचा लिए जाएँगे। इसके विपरीत, उसने यह कहा कि जिन्होंने उसके पीछे चलने के लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया, उन्हें उन लोगों से ज़्यादा क्लेश सहना पड़ेगा जो उसके पीछे नहीं चलते (मरकुस 10:30)। जब यीशु ने अपने पिता से अपने शिष्यों के लिए प्रार्थना की, तब उसने कहा, “मैं यह विनती नहीं करता, कि तू उन्हें जगत से उठा ले परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख” (यूहन्ना 17:15)। उसने यह नहीं चाहा था कि उसके शिष्य संसार में से उठा लिए जाए, क्योंकि उन्हें आगे क्लेश का सामना करना था।

तीसरी शताब्दी में जब मसीही लोगों को रोमी अखाड़ों में शेरों के आगे फेंका जा रहा था और रोमी साम्राज्य के विभिन्न भागों में ज़िंदा जलाया जा रहा था, तब प्रभु ने उन्हें उनके क्लेशों में से उन्हें नहीं बचाया। दानिय्येल के समय में जिस परमेश्वर ने शेरों के मुख को बंद कर दिया था और आग की भट्टी की शक्ति को मिटा दिया था, उसने अपने इन शिष्यों के लिए ऐसे चमत्कार नहीं किए - क्योंकि ये नई वाचा के मसीही थी जो अपनी मृत्यु के द्वारा परमेश्वर की महिमा करने वाले थे। अपने स्वामी यीशु की तरह, उन्होंने भी न तो ऐसी प्रार्थना की और न ही ऐसी अपेक्षा रखी कि स्वर्गदूतों के बारह सैन्यदल आकर उनके शत्रुओं से उन्हें बचा ले। स्वर्ग से परमेश्वर ने अपने पुत्र की दुल्हन को शेरों द्वारा फाड़कर टुकड़े-टुकड़े करते हुए और आग में जल कर राख होते हुए देखा; और उनकी साक्षी में उसकी महिमा हुई, क्योंकि ये वे हैं, “जो मेम्ने के पीछे-पीछे वहाँ जाते हैं, जहाँ वह जाता है” - एक हिंसक शारीरिक मृत्यु में भी (प्रकाशितवाक्य 14:4)। प्रभु ने उनसे सिर्फ़ यह कहा, “प्राण देने तक विश्वासयोग्य रह, तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूँगा” (प्रकाशितवाक्य 2:10)। और आज भी, जब बहुत से देशों में यीशु के शिष्यों को उसके नाम के ख़ातिर यातनाएं देकर सताया जाता है, तो प्रभु उन्हें पृथ्वी पर से नहीं उठा लेता। और वह महाक्लेश से पहले भी हमें पृथ्वी पर से नहीं उठा लेगा। वह कुछ इससे भी बेहतर करेगा। वह हमें महाक्लेशों के बीच में जय पाने वाले बना देगा।

यीशु की दिलचस्पी हमें महाक्लेशों में से बचाने से ज़्यादा बुराई से बचाने में है। वह हमें क्लेशों में से गुज़रने देता है क्योंकि वह जानता है कि हमें आत्मिक रूप से बलवंत करने का सिर्फ़ यही तरीक़ा है।

ऐसा संदेश वास्तव में मसीही जगत में पाए जाने वाले सुख-सुविधा प्रेमियों के लिए एक विचित्र शिक्षा है क्योंकि अनेक वर्षों से हर एक रविवार को उनके कानों की खुजली मिटाने वाले प्रचारक उन्हें बहलाते-फुसलाते रहे हैं। लेकिन प्रेरितों द्वारा आरंभिक कलीसियाओं को यही संदेश प्रचार किया गया था। “उन्होंने (प्रेरित पौलुस और बरनाबास ने) चेलों के मनो को स्थिर किया और विश्वास में स्थिर बने रहने के लिए यह कहकर प्रोत्साहित किया कि हमें बड़े क्लेश उठाकर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना है” (प्रेरितों 14:22)

अपने घरों व काम की जगह में हम जिन छोटी परीक्षाओं में से गुज़रते हैं, वे हमें आने वाले दिनों की बड़ी परीक्षाओं में से गुज़रने के लिए तैयार करती है। इस वजह से ही हमारा अभी विश्वासयोग्य रहना ज़रूरी है। क्योंकि परमेश्वर कहता है, “तू जो प्यादों ही के संग दौड़कर थक गया है तो घोड़ों के संग कैसे बराबरी कर सकेगा?” (यिर्मयाह 12:5)प्रकाशितवाक्य 1: 9, 10 में यूहन्ना ने अपने विषय में यह भी कहा कि वह “उस क्लेश में भी सहभागी है जो मसीह में है”। यीशु के प्रति पूरे ह्रदय से समर्पित हर एक शिष्य को, जब तक वह इस संसार में है, “उस क्लेश में से जो यीशु में है” सहभागी होने के लिए तैयार रहना होगा। यूहन्ना को आराम में रहते हुए यह प्रकाशन नहीं मिला। उसने यह प्रकाशन पतमुस टापू में क्लेश का अनुभव करते हुए पाया था, क्योंकि वह "परमेश्वर के वचन और यीशु की साक्षी के प्रति विश्वासयोग्य रहा था” (प्रकाशितवाक्य 1:9)। अंतिम दिनों में मसीही विरोधी के हाथों महाक्लेश सहने वाले संतों को लिखने की योग्यता पाने से पहले, यह ज़रूरी था कि वह स्वयं उस क्लेश को पहले सहता। क्लेशों का सामना कर रहे लोगों के बीच एक सेवकाई सौंपने से पहले, परमेश्वर हमें परीक्षाओं और पीड़ाओं में से लेकर चलता है। धीरज एक महान गुण है जिसे संपूर्ण नए नियम में जोर दिया गया है। स्वयं यीशु ने कहा था, “वे क्लेश देने के लिए तुम्हें पकड़वाएँगे परन्तु जो अंत तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा” (मत्ती 24:9,13)