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जगत में सबसे बड़ी बात परमेश्वर को जानना है। क्योंकि जब हम परमेश्वर को जान लेंगे, तो हमें पता चल जाएगा कि हमारे सामने आने वाली हर स्थिति में हमें क्या करना है। हम जीवन का सामना करने के लिए भी निडर होंगे, भले ही पूरा संसार हमारे खिलाफ हो, क्योंकि हम जानते हैं कि हम ठोस चट्टान पर खड़े हैं। परमेश्वर को जानने में समय लगता है। इसलिए आपके लिए यह अच्छा है कि आप अभी से युवावस्था में शुरुआत करें। परमेश्वर को जानने के लिए, आपको इस संसार की हर बात को कूड़ा-करकट समझने के लिए तैयार रहना चाहिए। यानी जिन बातों को सांसारिक लोग महान समझते हैं, उनके लिए आपको ना सिर्फ़ कोई आकर्षण नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें कूड़े के रूप में देखा जाना चाहिए! पौलुस के लिए भी ऐसा ही था (फिलिप्पियों 3:8 देखें)।

अगर हम इस संसार में धन या सुख या सम्मान या महानता का पीछा करते हैं, तो हम एक दिन, अनंत काल के स्पष्ट प्रकाश में पाएंगे कि हमारे हाथ कूड़े से भरे हुए हैं। तब हमें पता चलेगा कि हमने अपना सांसारिक जीवन कूड़ा-करकट से चिपके रहने में बिताया, जबकी परमेश्वर हर समय हमें उसकी भरपूरी से स्मृद्ध होने के लिए बुला रहा था। इसलिए बुद्धिमान बनो - और पृथ्वी की बातों को बस इस्तेमाल करें (क्योंकि यहाँ जीने के लिए हमें इनकी जरूरत है) लेकिन इनमे से किसी चीज के मोह में न पड़े ,कही ऐसा न हो कि आप दलिया के कटोरे के लिए अपना जन्मसिद्ध अधिकार बेच दें।

यदि परमेश्वर देखता है कि आप अपने मसीह जीवन के बारे में गंभीर हैं, तो वह आपके जीवन में वह सब कुछ हिला देगा जो हिलाए जाने लायक होगा, कि फिर आप उसके साथ अपने सम्बन्ध के बारे में किसी तरह का धोखा न खाएं। वह आपकी आत्मा के लिए बड़ी जलन रखता है। वह चाहता है कि आप उसे व्यक्तिगत रूप से जानें, न कि किसी पुस्तक (बाइबल) में या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से।

परमेश्वर के प्रेम के लिए उसकी स्तुति करें क्योंकि वह हमें हमारी असली दशा दिखाता है, इस कारण फिर हम अभी ऐसी हर एक बात को सही कर ले जिसे सही किए जाने की जरूरत है। यह पर्याप्त नहीं है कि हम पाप से घृणा करें और अपने आप को शुद्ध रखें। नहीं। हमें प्रभु यीशु के साथ एक गहरे व्यक्तिगत संबंध में आना चाहिए। अन्यथा हमारी सारी सफाई स्वयं एक 'नैतिक आत्म-सुधार कार्यक्रम' बनकर रह जाएगी। प्रभु के साथ एक नजदीकी रिश्ता बनाने के लिए आपको सबसे पहले यह करना होगा कि जैसे ही आपको अपने किसी पाप की जानकारी मिले आप उसके लिए शोक करें और उसका अंगीकार करें और इस तरह अपने विवेक को शुद्ध रखने के मामले में पूरी तरह सतर्क और सावधान रहें। फिर आपको दिन में अक्सर प्रभु से बात करने की आदत डालनी चाहिए। और केवल इसी प्रकार आप स्थिर खड़े हो सकेंगे, जब आपके आस-पास का सब कुछ टूट कर बिखर जाएगा।

मेरी यही सबसे बड़ी लालसा है कि मैं प्रभु को जान सकूँ, क्योंकि अनन्त जीवन केवल यही है (यूहन्ना 17:3)। यह अकेले प्रभु का ज्ञान है जिसने मुझे भारत और विदेशों में मसीही समूहों और पास्टरो द्वारा विरोध और बदनाम किए जाने पर, बिना किसी बाधा के, और पूर्ण विश्राम से, और सबसे बढ़कर, प्रेम में खड़े होने में मदद की है। मेरी लालसा है कि तुम में से हर एक प्रभु को उसी तरह से जानेंगे - और उससे भी बेहतर तरीके से जैसे मैंने परमेश्वर को जाना है।