द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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जैसा कि हम इस वर्ष के अंत में आते हैं, शायद कुछ लोग ऐसे होंगे जो यह महसूस करते है कि क्योंकि उन्होने अपने जीवन के बीते समय में परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया और परमेश्वर को निष्फल किया, इसलिए अब वे अपने जीवन के लिए परमेश्वर की सिद्ध योजना को पूरा नहीं कर सकते।

आइए हम देखें कि इस विषय पर परमेश्वर का वचन क्या कहता है और हमारी समझ या तर्क पर निर्भर न रहें। सबसे पहले देखें कि बाइबल कैसे आरंभ होती है। आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की (उत्पत्ति 1: 1)। और आकाश और पृथ्वी परिपूर्ण रहे होंगे जब परमेश्वर ने उन्हें बनाया था क्योंकि कुछ भी अपूर्ण तथा अधूरा उसके हाथों से कदापि नहीं बन सकता। लेकिन कुछ स्वर्गदूत, जिनकी सृष्टि उसने की थी, गिर गए और यह हमारे लिए यशायाह 14:11-15 और यहेजकेल 28: 13-18 में वर्णित किया गया है। तत्पश्चात पृथ्वी उस स्थिति में आ गयी जैसा उत्पत्ति 1:2 में लिखा है, “बेडौल और सुनसान और अंधकार युक्त”। उत्पत्ति अध्याय 1 का शेष भाग दिखाता है कि किस प्रकार परमेश्वर ने बेडौल और सुनसान और अंधकार युक्त पृथ्वी पर कार्य किया और इसमें से कुछ इतना सुंदर बनाया कि परमेश्वर ने स्वयं घोषित किया “बहुत अच्छा” (उत्पत्ति 1:31)। हम उत्पत्ति 1:2, 3 वचन में पढ़ते है कि परमेश्वर का आत्मा पृथ्वी पर मंडराया और परमेश्वर ने वचन बोला। और इसी बात से तब वहाँ पर अंतर लाया। आज हमारे लिए इसमें क्या संदेश है? बस यह कि हम चाहे कितने भी असफल हो गए हों या हमने हमारे जीवन को कितना अधिक बिगाड़ कर रख दिया हो, परमेश्वर अपनी आत्मा और वचन के द्वारा अभी भी हमारे जीवन से कुछ महिमामय बना सकता हैं। परमेश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी के लिए एक सिद्ध योजना बनाई थी जब उसने उन्हें बनाया था। लेकिन इस योजना को लूसीफर की असफलता के कारण छोड़ देना पड़ा था। लेकिन परमेश्वर ने पुनः स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया और उस बिगड़ी अवस्था से कुछ “बहुत अच्छा” बनाया।

अब आगे देखते है क्या होता है। परमेश्वर ने आदम और हव्वा को बनाया और फिर से आरंभ किया। परमेश्वर के पास उनके लिए भी एक सिद्ध योजना रही होगी, जिसमें जाहिर तौर पर उनके भले और बुरे के ज्ञान के पेड़ के फल को खाने द्वारा किया गया पाप शामिल नहीं था। लेकिन उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी और इस तरह उनके लिए परमेश्वर की मूल योजना को विफल कर दिया – चाहे वो योजना जो भी रही हो। तर्क बताएगा कि वे संभवतः अब आगे परमेश्वर की सिद्ध योजना को पूरा नहीं कर सकते। तौभी हम देखते हैं कि जब परमेश्वर उन से बाटिका में मिलने आया, वह उन्हें यह नहीं बताता कि अब उन्हें अपने शेष जीवन में उसकी दूसरी उत्तम योजना के अंतर्गत जीना होगा। नहीं। वह उनसे प्रतिज्ञा करता है (उत्पत्ति 3:15) कि नारी का वंश सर्प के सिर को कुचलेगा। और वह प्रतिज्ञा मसीह का संसार के पापों के लिए मरना और कलवरी क्रूस पर शैतान पर विजय पाने की थी।

अब आप इस वास्तविकता को सोचिए और देखिए कि क्या आप यह तर्क दे सकते हैं। हम जानते हैं कि मसीह की मृत्यु अनंत काल से परमेश्वर की सिद्ध योजना का भाग थी। “मेमना जो जगत की उत्पत्ति के समय से घात हुआ” (प्रकाशितवाक्य 13:8)। और हम यह भी जानते हैं कि मसीह इस कारण मरा क्योंकि आदम और हव्वा ने पाप किया और परमेश्वर को असफल किया। इसलिए तार्किक रूप से, हम कह सकते हैं कि संसार के पापों के लिए मसीह को मरने के लिए भेजने की परमेश्वर की सिद्ध योजना आदम की विफलता के बावजूद नहीं, बल्कि आदम की विफलता के कारण पूरी हुई! हम कलवरी के क्रूस पर परमेश्वर के प्रेम को नहीं जान पाते, क्या यह आदम के पाप के कारण नहीं था।

तब क्या संदेश है जो परमेश्वर बाइबल के शुरुआती पन्नों से ही हमें प्रदान करना चाहता है? बस यह कि वह एक ऐसे मनुष्य को लेकर जो असफल हो चुका है, उसके जीवन से कुछ ऐसा महिमामय बना देता है कि उसके जीवन से परमेश्वर की सिद्ध योजना पूरी हो सकें। यही मनुष्य के लिए परमेश्वर का संदेश है और हमें कदापि इसे भूलना नहीं चाहिए: परमेश्वर ऐसे व्यक्ति को लेकर जो बार-बार असफल हुआ है, अब भी उसे अपनी सिद्ध योजना पूर्ण करने के योग्य बना सकता है – परमेश्वर की दूसरी उत्तम नहीं परंतु परमेश्वर की सबसे उत्तम योजना। ऐसा इसलिए है क्योंकि असफलता भी उसे कुछ अविस्मरणीय पाठ सिखाने की परमेश्वर की सिद्ध योजना का हिस्सा हो सकती है।

आपकी भूल और असफलता चाहे कुछ भी रही हो लेकिन आप परमेश्वर के साथ एक नया शुभ आरंभ कर सकते हैं। परमेश्वर अभी भी आपके जीवन से कुछ महिमामय बना सकता है। आइए हम "विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा करें" (रोमियों 4:20), आने वाले दिनों में उन चीजों के लिए उस पर भरोसा करें जिन्हें हम अब तक असंभव समझते थे। सभी लोग - युवा और बूढ़े - आशा रख सकते हैं, चाहे वे अतीत में कितने भी असफल रहे हों, यदि वे केवल अपनी विफलताओं को स्वीकार करे, नम्र बनें और परमेश्वर पर भरोसा करें। इस प्रकार हम सभी अपनी असफलताओं से सीख सकते हैं और अपने जीवन के लिए परमेश्वर की सिद्ध योजना को पूरा करने के लिए आगे बढ़ सकते हैं। और आने वाले युग में, परमेश्वर हमें दूसरों के सामने उदाहरण के रूप में दिखा सकता है कि वह उन लोगों के साथ क्या कर सकता है जिनका जीवन पूरी तरह से असफल हो गया था। उस दिन वह दिखाएगा कि वह हम में क्या कर सकता है, "अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह के असीम धन के द्वारा” (इफिसियों 2:7)। हालेलूयाह!