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यह मेरे नीतिवचनों में से एक है: “एक समझदार व्यक्ति दूसरों की ग़लतियों से सीखता है; एक मामूली व्यक्ति अपनी गलतियों से सीखता है। लेकिन एक मूर्ख अपनी गलतियों से भी नहीं सीखता ।"

एक पिता के रूप में, मैं उन गलतियों से सीखना चाहता हूँ जो मैं दूसरे पिताओं में देखता हूँ। और मैंने खुद से पूछा कि मैंने अपने बेटों के लिए किस तरह का उदाहरण स्थापित किया है, ताकि वे उसका अनुसरण करें। मेरी आशा है कि वह उदाहरण यह हो: पहले परमेश्वर के राज्य की खोज करना, और अपने जीवनों के अंत तक सभी लोगों के लिए एक बुद्धिमानी-भरे प्रेम में बने रहना ।

बुद्धिमानी का अर्थ परेशान करने वाले लोगों से एक अच्छी दूरी बनाए रखना है। और आपके प्रेम का संचालन भी बुद्धि से होना चाहिए। आपकी पैट्रोल की टंकी (हृदय) में प्रेम भरा होना चाहिए, लेकिन गाड़ी के चालक के रूप में बुद्धि आगे बैठी होनी चाहिए। वर्ना मानवीय प्रेम बहुत से मूर्खता के काम कर सकता है। आपका प्रेम सच्ची परख और पूरी समझ (बुद्धि) में बढ़ना चाहिए (फिल. 1:9)। कभी किसी से घृणा न करें और बुरा बर्ताव न करें। जो आपका अभिवादन नहीं करते, उनका अभिवादन करें। सभी मनुष्यों का हर समय आदर करें (1 पत. 2:17)जो आपके साथ बुराई करें उनके साथ आप भलाई करें।

जब फरीसियों ने यीशु को "बालज़बूल" कहा, तो उसने उन्हें क्षमा कर दिया (मत्ती 12:24,32)। जब वे उसे अदालत में घसीट ले गए और वहाँ उस झूठे दोष लगाए, तो उसने उन्हें धमकी नहीं दी, बल्कि अपना मामला पिता के हाथों में सौंप दिया (1 पत. 2:23)। हमें यीशु के पदचिन्हों में चलना चाहिए।

इसलिए अगर कोई फरीसी आप पर दोष लगाए (या आपको एक दिन अदालत में भी ले जाए), तो याद रखें कि यीशु ने क्या कहा था, " वे तुमसे घृणा करेंगे तुम्हें कचहरियों में सौपेंगे... लेकिन साँप की तरह भोले और कबूतर की तरह भोले बने रहना... उस समय तुम्हें बोलने के लिए शब्द दिए जाएंगे (तो आप वहाँ ख़ामोश नहीं रहेंगे!)... मनुष्यों से भयभीत न हो क्योंकि ऐसा कुछ ढाँपा हुआ नहीं है जो उघाड़ा नहीं किया जाएगा... लेकिन जो अंत तक (लोगों से प्रेम करने में) धीरज रखेगा, वही उद्धार पाएगा... वह समय आ रहा है कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा, वह यही समझेगा कि वह परमेश्वर की सेवा कर रहा है" (मत्ती 10:16-30; मत्ती 24:9-13; यूहन्ना 16:2)। इसलिए, हमेशाः

1. पहले परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज करें; और
2. हमेशा दूसरों के लिए एक बुद्धिमानी-भरे प्रेम में जड़ पकड़े रहें।

मसीही जगत का हरेक समूह अपनी बाइबल लेकर यही कहता है, "हम सही हैं। परमेश्वर हमारे साथ है।" उनमें से कौन सही है? मुझे प्रभु से एक स्पष्ट जवाब मिला: “ परमेश्वर उनके साथ है जो हमेशा सच बोलते हैं (चाहे उसमें उनका नुकसान भी क्यों न हो या लोग उनका विरोध करें), और जो दूसरों के प्रति हमेशा एक बुद्धिमानी-भरे प्रेम में बने रहते हैं (अर्थात्, जो दूसरों का कभी बुरा नहीं चाहते और बुरा नहीं करते)।"

ऐसा हो कि आप अपने जीवन हमेशा पहले स्वर्ग के राज्य की खोज में ख़र्च करें। आपके लिए, अभी, इसका अर्थ अपनी पढ़ाई-लिखाई (या काम) में अच्छा प्रदर्शन करना है - और सबको यह दिखाना कि मसीही सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ कर सकते हैं - खरे जीवन जीने में, और दूसरों के प्रति निःस्वार्थ रखने में।

मेरे पास आपके लिए कुछ सलाह है कि जब कोई किसी भी मामले में आपकी आलोचना करे तो क्या करना चाहिए। अपने बचाव में कुछ मत कहो. यशायाह 54:17 के अनुसार प्रभु स्वयं आपकी रक्षा करें: "'तुम्हारे विरुद्ध बनाया गया कोई भी हथियार सफल नहीं होगा; और न्याय में जो कोई तुम पर दोष लगाता है, वह दोषी ठहराया जाएगा। उनका छुटकारा मेरी ओर से है,'प्रभु की यही वाणी है"। अधिकांश लोगों के साथ मामले को स्पष्ट करने का प्रयास करना व्यर्थ है। परमेश्वर सर्वशक्तिमान है और उसकी सच्चाई आग की तरह है जिसे हम जैसे छोटे या मामूली लोगों से बचाव की आवश्यकता नहीं है।