द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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पवित्र आत्मा की सेवकाई त्रिएकता में सभी सेवकाईयों की तुलना में सर्वाधिक अद्रश्य है। वह प्रोत्साहित करता है और अपने काम के लिए कोई श्रेय या प्रतिफल न चाहते हुए गुप्त और अदृश्य तरीके से मदद करता है। वह इसमें संतुष्ट है कि लोग केवल पिता और पुत्र की ही स्तुति करें और वह स्वयं चित्र से ओझल हो जाता है। कैसी सुन्दर सेवकाई है यह। इस तरह के आत्मा से भरे जाने का क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि हम उसके जैसे होंगे, उसकी तरह एक सेवकाई होने से संतुष्ट – गुप्त, अदृश्य और बिना श्रेय लिए, और दूसरों को श्रेय जाने से संतुष्ट। क्या हम सचमुच में इस आत्मा से भरे हुए हैं? बहुत से जो आज "पवित्र आत्मा से भरे" होने का दावा करते हैं वे आज मसीही मंच पर अपने दानों के प्रयोग के माध्यम से खुद के लिए इस तरह के प्रमुखता की तलाश करते हैं, स्वयं को बढ़ावा देते हैं, और खुद के लिए पैसो की तलाश करते हैं। यह कुछ और ही है परन्तु यह पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है। यह सब पवित्र आत्मा की नकल करने वाली किसी अन्य आत्मा का काम है, और कलिसिया में इस तरह की नकल और धोखे का पर्दाफाश करना हमारा कर्तव्य है।

प्रकाशितवाक्य 4:10 में स्वर्ग के पहलुओं में से एक देखा जाता है। वहां हमने पढ़ा कि प्राचीनों ने "परमेश्वर के सामने अपने मुकुट डाले"। किसी के भी नहीं परन्तु केवल यीशु के सिर पर स्वर्ग में मुकुट होगा। बाकी हम सब वहाँ पर साधारण भाई और बहन होंगे। स्वर्ग में कोई विशेष भाई या बहन नहीं हैं। जो लोग कलीसिया में विशेष भाई या बहन बनना चाहते हैं वे कलीसिया में नरक का वातावरण लाते हैं। जब हम पिता के सामने खड़े हों तो हम कभी भी किसी भी चीज पर घमंड नहीं करेंगे। हमारे पास जो कुछ भी है, हम उसके सामने डाल देंगे। स्वर्ग में कोई भी कभी भी "यह मेरा है”नहीं कहेगा किसी भी चीज के लिए जो उसके पास है (यहाँ तक कि उस मुकुट के लिए भी नहीं जो उन्हें प्राप्त हुआ है)।

जब स्वर्ग का वातावरण हमारी कलीसिया में फैलना आरम्भ कर देता है, तब हम भी किसी वस्तु के विषय में जो हमारी है यह नहीं कहेंगे कि "यह मेरी है"। सब कुछ परमेश्वर का माना जाएगा और इसलिए पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य के प्रसार के लिए मुफ्त (सेंतमेंत) में उपलब्ध होगा।

हर कंजूस और हर स्वार्थी व्यक्ति जो स्वयं और स्वयं के फायदे के लिए जीता है वह शैतान के नियंत्रण में है। यह परमेश्वर के ह्रदय में एक बड़ा दुख यह है कि धरती पर उसके लाखों बच्चों के बीच कोई संगति नहीं है। और इन बहुतो के ह्रदय में दूसरों के खिलाफ कड़वाहट है। अन्य स्व-धार्मिक फरीसी हैं जो कल्पना करते हैं कि परमेश्वर ने केवल उन्हें चुना है न कि दूसरों को। परमेश्वर अपने बच्चों के इन दोनों समूहों से निराश है - क्योंकि वे सभी कलीसिया के लिए उसके उद्देश्य को विफल कर रहे हैं।

किसी भी कलीसिया में सबसे मूल्यवान भाई और बहन वह है जो स्वर्ग के वातावरण को एक कलीसिया में ला सकता है और जो उस कलीसिया में भाइयों और बहनों के बीच सहभागिता ला सकता है। और यह जरूरी नहीं कि वह प्राचीन हों। हम सभी के पास ऐसे मूल्यवान भाई या बहन बनने का अवसर है।

सोचे कि कलीसिया में एक ऐसे भाई या बहन हो जिनका कभी भी एक सभा या घर में प्रवेश करना मानो स्वर्ग से एक शुद्ध हवा कमरे में बहने के समान हो। ऐसे भाई / बहन कितने मूल्यवान व्यक्ति है! यहां तक कि अगर वह आपके पास केवल पांच मिनट तक रुके तो आप ताज़ा महसूस करते हैं। आपको लगता है जैसे स्वर्ग आपके घर में पांच मिनट के लिए आया हो! उसने आपको वचन से कोई उपदेश या यहां तक कि वचन के प्रकाशन का एक शब्द भी नहीं दिया होगा। लेकिन वह इतना शुद्ध था। वह बदमिजाज़ या उदास नहीं था और उसके पास किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं थी। ऐसा भाई किसी सभा में पहले कभी बात नहीं करेगा (जैसा कि कई लोगों को करने की लालसा होती है)। वह शायद हर सभा में पंद्रहवे क्रम पर बोलता हो और वह भी सिर्फ तीन मिनट के लिए। लेकिन सभा में वे स्वर्ग के तीन मिनट होंगे!

क्योंकि दुनिया शिकायतकर्ताओं और कुड्कूड़ानेवालों से भरी है, इसलिए इस तरह के एक भाई से मिलना बहुत ताज़ा करने जैसा है। यह एक गर्म और चिपचिपाहट भरे दिन में स्नान करने जैसा है! इस तरह के भाई / बहन बनने की हम सभी को इच्छा करनी चाहिए। यीशु ऐसा ही था और वह हमें भी ऐसा ही बनाना चाहता है।