द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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लूका 1: 34, 35 में हम यह पढ़ते है कि जब जिब्राईल स्वर्गदूत मरियम के पास आया, तो उसने प्राकृतिक रूप में यह पूछा “यह कैसे हो सकता है? मैं तो कुँवारी हूँ। एक कुँवारी एक बच्चे को कैसे जन्म दे सकती है?” स्वर्गदूत ने उससे कहा, “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी”। पवित्र आत्मा हमारे पास हमेशा परमेश्वर की सामर्थ्य लाता है (देखे प्रेरितों 1:8; 10:38)। जैसे मरियम के अंदर परमेश्वर की आत्मा ने आकर यीशु को पैदा किया, वैसे ही पवित्र आत्मा मुख्य तौर पर हमारे भीतर मसीह को पैदा करने आता है। हमारे जीवन में और प्रभु के लिए हमारी सेवा में, पवित्र आत्मा की सेवकाई को समझने के लिए यह सब से स्पष्ट निर्देश है। जैसे उस शरीर को मरियम के गर्भ में तैयार होने में समय लगा, वैसे ही मसीह को हमारे जीवनों में प्रकट होने में भी समय लगेगा।

लूका 1:37 में, हम एक सुंदर प्रतिज्ञा पाते हैं, “परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है”(“परमेश्वर द्वारा बोला गया कोई भी शब्द सामर्थ्य रहित नहीं होगा”)। अगर परमेश्वर ने कोई वचन बोला है, तो आप यक़ीन कर सकते हैं कि उसमें सामर्थ्य है। जब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो” तो कुछ हुआ था। उत्पत्ति अध्याय 1 में हम यही होता हुआ देखते हैं। परमेश्वर का कोई शब्द सामर्थ्य बिना नहीं होता। इसलिए यह ज़रूरी है कि हम परमेश्वर के वचन का अध्ययन करे और उसकी प्रतिज्ञाओं पर अपने अधिकार का दावा करे। यहाँ एक सामर्थी प्रतिज्ञा है: “पाप तुम पर प्रभुता न करने पाएगा” (रोमियों 6:14)। अगर आप इस वचन पर विश्वास करेंगे, तो यह आपके जीवन में एक सत्य बन जाएगा क्योंकि परमेश्वर का कोई भी वचन सामर्थ्य रहित नहीं होता।

परमेश्वर यह चाहता है कि हम यह विश्वास करें कि उसके लिए सब कुछ संभव है। इसलिए उसने इसे पुरानी और नई दोनों ही वाचाओं के आरंभ में कहा है (देखें उत्पत्ति 18:14, लूका 1:37)। यह हो सकता है कि हमारा मसीही जीवन आरम्भ करते समय, हमारा यह विश्वास अंधा हो कि बाइबल परमेश्वर का वचन है। लेकिन उसे अंधा विश्वास नहीं बने रहना चाहिए। अगर हम पवित्र शास्त्र की प्रतिज्ञाओं पर हमारा अधिकार होने का दावा करेंगे, तो हम अपने जीवन में यह साबित कर सकेंगे कि परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। तब हमारा यह विश्वास, कि बाइबल परमेश्वर का वचन है, परखा और खरा साबित हुआ विश्वास होगा, क्योंकि तब हमने स्वयं परखकर यह अनुभव कर लिया होगा कि परमेश्वर का कोई भी वचन सामर्थ्यहीन नहीं होता। यीशु ने पुरानी वाचा पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया। उसने कभी यह परवाह नहीं की कि सभी आलोचक और धर्मज्ञानी क्या कहते है। उसने वचन में विश्वास किया और उसकी सामर्थ्य का अनुभव पाया। आज शैतान बहुत लोगों को इस सहज विश्वास से दूर ले जा रहा है। परमेश्वर के वचन पर विश्वास करने और उसकी सामर्थ्य का अनुभव करने की बजाए, वे जाकर अपनी चतुराई का इस्तेमाल करते हैं, वचन का तर्कपूर्ण विश्लेषण करने की कोशिश करते हैं, और एक बार भी परमेश्वर की सामर्थ्य का अनुभव किए बिना अपने पूरे जीवन को बर्बाद कर देते हैं। आप कैसे जीना चाहते हैं? क्या आप वचन का तर्कपूर्ण विश्लेषण करते हुए जीना चाहते हैं या वचन के द्वारा परमेश्वर की सामर्थ्य का अनुभव पाना चाहते हैं? इसमें चुनाव आपका है।

मरियम ने अपने आपको परमेश्वर के वचन के अधीन किया और कहा, “तेरे वचन के अनुसार ही मेरे साथ हो” (लूका 1:38)। हालाँकि मैं रोमन कैथलिक नहीं हूँ, फिर भी मैं मरियम का बड़ा प्रशंसक हूँ क्योंकि वह एक बहुत ईश्वरीय युवती थी। परमेश्वर ने पूरे इस्राएल पर नज़र डाल कर यह देखना चाहा कि उसमें उसे एक ईश्वरीय भक्ति से पूर्ण जवान लड़की नज़र आए, और उसे मरियम नज़र आई जो उस समय शायद 18 साल की रही होगी। लूका अध्याय 1:46-55 पढ़ कर देखें कि वह कितनी परिपक्व थी और उसके गीत की पवित्र शास्त्र में कितनी गहरी जड़ें थी। यह वास्तव में एक अद्भुत बात है कि 18 साल की उम्र में भी एक व्यक्ति इतना परिपक्व हो सकता है, अगर वह व्यक्ति परमेश्वर का भय मानने वाला हो। परमेश्वर जिन्हें अपने लिए चुनता है, उनके चुनाव में वह कोई गलती नहीं करता। मरियम जानती थी कि नासरत में जब सब को यह मालूम पड़ेगा कि वह गर्भवती है, तो सभी उसे कलंकित करने वाली बातें फैलाएंगे। यह कोई नहीं मानेगा कि यह पवित्र आत्मा का काम था। लेकिन वह यीशु की देह को अपनी देह में से पैदा करने द्वारा होने वाली उसकी बदनामी को सहने के लिए तैयार थी। अब इस बात को अपने जीवन में लागू करके देखें। क्या आप अपने शहर में मसीह की देह तैयार करना चाहते हैं? क्या आप इसके लिए आदर पाना चाहते हैं या “मसीह की निंदा”की पीड़ा सहना चाहते हैं? परमेश्वर ऐसे लोगों का साथ नहीं देता है जो उसका काम करने के बदले में अपने लिए सम्मान चाहते हैं। ऐसे लोग सिर्फ़ एक मंडली तैयार करेंगे, मसीह की देह नहीं। मसीह की देह तैयार करने में हमेशा वैसी ही बदनामी, ग़लतफ़हमी, लोकनिंदा और पीठ पीछे बुराई सहनी पड़ती है, जैसी मरियम ने नासरत में सही थी। परंतु इन सब बातों ने उसे परेशान नहीं किया। उसने फिर भी मसीह की देह तैयार की। और आज भी ऐसा ही है। मसीह की देह वहाँ तैयार होगी जहाँ लोग स्वेच्छा से “उसकी निंदा अपने ऊपर उठाए हुए धर्म-मतीय मसीहियत के धार्मिक शिविर के बाहर निकल जाते हैं” (इब्रानियों 13:13)