द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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दानिय्येल की पुस्तक में, हम बेबीलोन से यरूशलेम तक परमेश्वर के लोगों के आंदोलन की शुरुआत को देखते हैं। यह एक प्रकार है जिसे हम आज परमेश्वर का भय मानने वाले लोगों में देखते हैं जो कि समझौता करनेवाले ईसाई जगत से परमेश्वर की नई वाचा की कलीसिया की ओर बढ़ रहे है अर्थात परमेश्वर की बुलाहट को उत्तर देते हुए, “बेबीलोन से निकल आओ, मेरे लोगों” (प्रकाशितवाक्य 18:4)

बेबीलोन से यरुशलेम की ओर जाने की हलचल एक समझौता न करनेवाले व्यक्ति - दानिय्येल से शुरू हुई। वह परमेश्वर के उद्देश्यों के बारे में चिंतित था और उसने उनके पूरा होने के लिए उपवास और प्रार्थना की। किसी भी स्थान पर परमेश्वर के लिए एक शुद्ध कलीसिया का निर्माण आमतौर पर एक व्यक्ति के साथ शुरू होता है, जिसके पास परमेश्वर के सामने प्रार्थना का बोझ होता है और जो कहता है, "परमेश्वर, मैं आपके लिए इस जगह में एक शुद्ध कलीसिया चाहता हूं, और मैं इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूँ”। इस बात की पूर्ति देखने से पहले आपको लंबे समय तक इस बोझ को ढोना पड़ सकता है। हमें अपने हृदय में इस बोझ को वैसे ही ढोना है, जैसे एक माँ अपने गर्भ में बच्चे को लेकर चलती है। इसी तरह से दानिय्येल ने यह बोझ उठाया।

दानिय्येल के जीवन की एक उत्कृष्ट विशेषता यह थी: "उसने अपने मन में यह निश्चय कर लिया कि वह अपने आपको अपवित्र नहीं करेगा” (दानिय्येल 1:8)। वह संपूर्ण रूप से किसी भी प्रकार का समझौता न करनेवाला था, भले ही वह परमेश्वर की वचन की सबसे छोटी से छोटी आज्ञा का पालन करना ही क्यों न हो। यीशु ने कहा, “जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा, परंतु जो कोई उन आज्ञाओं का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा” (मत्ती 5:19)। परमेश्वर नई वाचा की कलीसिया का निर्माण करने के लिए ऐसे लोगों का उपयोग करेगा, जो दूसरों को न सिर्फ प्रभु की प्रमुख आज्ञाओं का पालन करना सिखाएंगे, जैसे कि क्रोध और यौन अशुद्धता को छोड़ना (मत्ती 5: 22, 28), बल्कि साथ ही साथ प्रभु की छोटी से छोटी आज्ञा का पालन करना - जैसे कि सभाओं में प्रार्थना और भविष्यद्वाणी करते समय स्त्रियो का सिर ढाँकना सिखाएँगे (1 कुरिन्थियों 11: 1-16)

शुरुआत में दानिय्येल को अकेले खड़े रहना पड़ा, जबकि अन्य सभी यहूदियों ने समझौता किया। लेकिन जब हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह (शद्रक, मेशक और अबेद-नगो जो अपने बेबीलोनी नामों से बेहतर जाने जाते हैं) ने दानिय्येल को परमेश्वर के लिए खड़े होते हुए देखा, तब उन्होंने हिम्मत जुटाई और उसके साथ खड़े हुए (दानिय्येल 1:11)

मेरा मानना है कि आज भी कई जगहों पर हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह जैसे कई लोग हैं, जो अपने इलाके में प्रभु के लिए एक शुद्ध गवाही बनाने की इच्छा रखते हैं। लेकिन वे अपने स्वयं की हिम्मत पर खड़े रहने का साहस नहीं रखते। उन्हें नेतृत्व करने के लिए एक दानिय्येल की जरूरत है। और जब कोई दानिय्येल उनके गांव या शहर में खड़ा होता है, तो वे उसके साथ खड़े रहने के लिए तैयार हो जाते है।

बेबीलोन में पूर्ण हृदय से समर्पित चार जवान परमेश्वर के लिए वहाँ के हजारों समझौता करने वाले यहूदियों की तुलना में, जिन्होंने राजा को खुश करना चाहा, अधिक शक्तिशाली गवाह थे। दानिय्येल और उसके तीन मित्र जो परमेश्वर के लिए खड़े रहे, उनके समय के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र (बेबीलोन) और उसके शासकों को प्रभावित करनेवाले हुए।

अर्ध हृदय से समर्पित हजारों लोग किसी भी शहर या राष्ट्र में प्रभु के लिए ज्योति नहीं बन सकते। परमेश्वर को पूर्ण हृदय से समर्पित विश्वासियों की जरूरत है - "परमेश्वर अपना काम मनुष्य के बल या संख्या द्वारा नहीं करता है, लेकिन अपनी आत्मा के द्वारा करता है”। (देखें जकर्याह 4: 6)

परमेश्वर आज उन मनुष्यों की तलाश कर रहा हैं जो अपने इलाके में एक नई वाचा की कलीसिया का निर्माण करने के लिए बोझ रखते है - और जो कभी भी समझौता नहीं करेंगे, चाहे कोई भी कीमत क्यों न हो।