द्वारा लिखित :   जैक पूनन
WFTW Body: 

सभी विश्वासियों को भविष्यवक्ता होने के लिए नहीं बुलाया गया। लेकिन सभी विश्वासियों को भविष्यद्वाणी करने की धुन में रहने की आज्ञा दी गई है (1 कुरिन्थियों 14: 1)। यह नई वाचा के युग में पवित्र आत्मा के उंडेले जाने के परिणामों में से एक है (प्रेरितों के काम 2:17, 18)। भविष्यवाणी (नई वाचा में इसके अर्थ में) लोगों को प्रोत्साहित करने, उन्हें चुनौती देने और उनका निर्माण करने के लिए बोलना है (1 कुरिन्थियों14: 3)। सभी आत्मा से भरे विश्वासी कलीसिया की बैठकों में संक्षिप्त रूप से भविष्यवाणी कर सकते हैं (1 कुरिन्थियों 14: 31)। अन्य विश्वासियों को चाहिए कि जो बोला गया था उसे जाँचे, और यह परखे कि यह परमेश्वर की ओर से कितना था और कितना मानवीय था - वचन के साथ सारी बातों को जाँचना (1 कुरिन्थियों 14: 29)

परमेश्वर ने कलीसिया में कुछ लोगों को भविष्यवक्ता के रूप में नियुक्त किया है। ये वे लोग हैं जिन्हें परमेश्वर ने कलीसिया को वरदान के रूप में मसीह की देह का निर्माण करने के लिए दिया है। भविष्यद्वक्ता विश्वासियों को चुनौती देने और उन्हें मजबूत करने के लिए लंबे संदेश बोलेंगे। हम पढ़ते हैं कि "और यहूदा और सीलास ने जो आप भी भविष्यद्वक्ता थे, बहुत बातों से भाइयों को उपदेश देकर स्थिर किया”। (प्रेरितों के काम 15:32)। लेकिन बहुत कम विश्वासियों को कलीसिया में भविष्यवक्ता होने के लिए बुलाया गया है (1 कुरिन्थियों 12: 28; इफिसियों 4: 11) - और हर एक को इसे याद रखना चाहिए।

कलीसिया की सभा में भविष्यवाणी करने वाले किसी व्यक्ति को सुनना, एक केला खाने जैसा है। हमें छिलके को (जो मानवीय है) फेंक देना चाहिए और छिलके के अंदर जो है (जो परमेश्वर की ओर से है) उसे ही खाना चाहिए। एक युवा विश्वासी में छिलका बहुत मोटा होगा और उसके भीतर ऐसा बहुत कम होगा जो परमेश्वर की ओर से है। लेकिन हम उस छोटे भाग को भी लेकर खुश हैं। हालांकि अधिक परिपक्व विश्वासी में, छिलका पतला होगा और उसके भीतर ऐसा बहुत ज़्यादा होगा जो परमेश्वर की ओर से है। बहनें भी भविष्यवाणी कर सकती हैं (प्रेरितों 2:17, 18)। लेकिन पिन्तेकुस्त के दिन नई वाचा की शुरुआत होने के बाद हमें कोई महिला भविष्यवक्ता के रूप में नहीं दिखती है। कोई भी महिला प्रेरित नहीं हैं।

जिस को भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह उसके विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे (रोमियो 12: 6)। इसीलिए भविष्यवाणी करते हुए पौलुस “परमेश्वर यह कहता हैं" इस शब्द का उपयोग करने से डरता था। इसके बजाय पौलुस यह कहता कि, "मुझे लगता है कि परमेश्वर का आत्मा मुझ में भी है" (1 कुरिन्थियों 7: 40)। जब हम भविष्यवाणी करे, तो हमें "प्रभु यह कहता हैं" शब्द का उपयोग कभी नहीं करना चाहिए, जब तक कि हम पवित्रशास्त्र से कुछ वचन का उपयोग/ हवाला नहीं दे रहे हैं। यिर्मयाह हमें इस तरह के शब्दों का उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी देता है (यिर्मयाह 23: 31)। इसके अलावा, जब भी हम भविष्यवाणी करते हैं, तो हमें दूसरे विश्वासियों को परखने और यह तय करने की अनुमति देनी चाहिए कि हमारा संदेश प्रभु से है या नहीं।

हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि किसी भी नई वाचा के नबी ने कभी भी दूसरों को निर्देश नहीं दिया कि उन्हें किसी विशेष स्थिति में क्या करना चाहिए (जैसा कि पुरानी-वाचा के भविष्यवक्ताओं ने किया था)। प्रेरितों के काम ११:२८, में, हम देखते हैं कि अगबुस ने आने वाले अकाल की भविष्यवाणी की थी, लेकिन उसने कभी एक शब्द भी नहीं कहा कि इसके बारे में किसी को क्या करना चाहिए। उसी तरह, प्रेरितों के काम 21:11 में, उसने पौलुस से कहा कि अगर वह यरूशलेम गया तो उसे बंदी बना लिया जाएगा, लेकिन उसने पौलुस को यह नहीं बताया कि वहाँ उसे जाना है या नहीं। इसका कारण यह है कि प्रत्येक विश्वासी के पास अब पवित्र आत्मा है - और आत्मा ही है जो प्रत्येक विश्वासी को बताएगा कि उन्हें क्या करना है। हालाँकि पुरानी वाचा के तहत, लोगों के पास उनका मार्गदर्शन करने के लिए पवित्र आत्मा उनके भीतर नहीं था। और इसलिए जो नबी जिसके ऊपर पवित्र आत्मा थी, वह लोगों को यह बताता था कि प्रभु उनसे क्या करवाना चाहता हैं।

लेकिन इन चेतावनियों के बावजूद, कई अपरिपक्व विश्वासी हैं जो पुरानी वाचा के भविष्यवक्ताओं की तरह काम करते हैं और विश्वासियों को आज भी बताते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए। जैसे सूर में कुछ अभिमानी, अपरिपक्व विश्वासी थे, जिन्होंने प्रेरित पौलुस के लिए भी “भविष्यद्वाणी” की, “अपनी स्वयं की आत्मा से” और उससे कहा कि वह “यरूशलेम न जाए” (प्रेरितों के काम 21: 4)। लेकिन पौलुस ने उनके निर्देश को नजरअंदाज किया और चला गया (प्रेरितों के काम 21:13)। बाद में, प्रभु ने पौलुस को यह निश्चित किया की यह वास्तव में उसकी इच्छा थी कि वह यरूशलेम जाए (प्रेरितों के काम 23:11)। इसलिए सीरिया में जो विश्वासी थे, वे अपने तथाकथित "भविष्यवाणी" में पूरी तरह से गलत थे। वह प्रभु की ओर से नहीं था। हमें अपनी कलीसियाओं में विश्वासियों को चेतावनी देनी चाहिए कि वे किसी भी "निदेशात्मक भविष्यवाणी" (तथाकथित) को न सुनें जो उन्हें बताता है कि क्या करना है या क्या नहीं करना है - ऐसा न हो कि वे धोखा खाए।

नई वाचा की भविष्यवाणी का मुख्य उद्देश्य (1) परमेश्वर के लोगों को उनके पापों से बचाना और (2) कलीसिया का निर्माण करना है। यही हमें अपनी कलिसियाओं की सभी बैठकों में घोषित करना चाहिए - क्योंकि यीशु इन दो उद्देश्यों के लिए आया: (1) अपने लोगों को सभी पापों से उद्धार देने के लिए (नए नियम में पहली प्रतिज्ञा - मत्ती 1: 21); और (2) उसकी कलीसिया का निर्माण करने के लिए (मत्ती 16: 18)

दूसरी ओर, यदि आप मसीह की देह में पाप से मुक्ति और संबंधों के निर्माण की तुलना में आत्मा के वरदानों का प्रयोग करने के बारे में अधिक प्रचार करते हैं, तो आपकी कलीसिया जल्द ही कुरिन्थयों के कलीसिया की तरह बन जाएगी - आत्मा के सभी वरदानो का उपयोग करते हुए (1 कुरिन्थियों 1: 7), लेकिन शारीरिक और अपरिपक्व और अंदरूनी लड़ाई से भरी हुई और आपकी कलीसिया का भी लौदीकिया की कलीसिया की तरह अंत हो सकता है - अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा, और नंगा और यहाँ तक कि इन बातों के विषय में अज्ञान (प्रकाशितवाक्य 3: 17)। यह एक आपदा होगी।

यदि आप एक नई वाचा की कलीसिया का निर्माण करना चाहते हैं, तो आपके प्रचार में जोर हमेशा वैसा ही होना चाहिए जैसा कि यीशु और प्रेरितों की शिक्षाओं में था और न कि वैसा जैसा आज जो हम अधिकतर मसीही कलिसियाओं में सुनते हैं।