द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   परमेश्वर को जानना चेले
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मैं चाहता हूँ कि आप यह जान लें कि किसी बात के लिए परमेश्वर की इच्छा जानते समय उलझन में पड़ जाना एक बिलकुल सामान्य बात है। यह परमेश्वर का वह तरीका है जिसके द्वारा वह हमें विश्वास से चलना सिखाता है – क्योंकि निश्चितता रूप देखकर चलना भी हो सकता है।

प्रेरित पौलुस भी बहुत बार परमेश्वर की इच्छा को जानने के बारे में उलझन में पड़ जाता था। वह कहता है, कि “हम उलझन में पड़े हैं क्योंकि हम नहीं जानते कि जो होता है वह क्यों होता है। लेकिन हम निराश नहीं होते और हार नहीं मानते" (2 कुरि. 4:8 - लिविंग बाइबल)।

हमें उलझन में पड़ने और नाकाम होने की अनुमति देने के पीछे परमेश्वर की एक वजह यह होती है कि “कोई मनुष्य उसके आगे घमण्ड न कर सके" (1 कुरि. 1:29)। अनन्त में कोई यह न कह सकेगा कि क्योंकि उसने सब कुछ सही किया था, इसलिए उसने परमेश्वर की सिद्ध इच्छा को पूरा किया है। अनन्त में हमारी महिमा सिर्फ यही होगी - कि हालांकि हमने बहुत भूलें की हैं और बहुत बड़ी ग़लतियाँ भी की हैं, फिर भी परमेश्वर ने हममें उसकी सिद्ध इच्छा को पूरा किया है। यकीनन यही मेरी साक्षी है। इस तरह सिर्फ परमेश्वर को ही सारी महिमा मिलेगी, और हमें कुछ नहीं मिलेगा। अनेक विश्वासियों ने क्योंकि परमेश्वर के इस अंतिम उद्देश्य को नहीं देखा है, इसलिए जब वे नाकाम होते हैं या जब वे परमेश्वर के तरीके और उसकी इच्छा के बारे में उलझन में आ जाते हैं तो वे निराशा महसूस करते हैं। परमेश्वर के मार्ग हमारे मार्ग नहीं हैं। वे एक दूसरे से इतने ही भिन्न् हैं जितना पृथ्वी से आकाश भिन्न् है (यशा 55:8-9)।

ईश्वरीय समझ होना एक महान् बात है। समझ का एक पहलू वह योग्यता है जिसमें हम अपनी प्राथमिकताओं को सही तरह क्रमांकित करते हैं - अपनी पढ़ाई-लिखाई में, परमेश्वर के वचन में, काम में, सोने में आराम करने आदि में कितना समय खर्च करना है। ज्यादातर विश्वासियों की नाकामी उनकी प्राथमिकताओं को सही तरह क्रमांकित करने में ही होती है, ख़ास तौर पर तब जब उनके विवाह हो जाते हैं और उनका एक अपना परिवार हो जाता है। इसलिए, जबकि आप अभी जवान और अविवाहित हैं, तो कुछ इस तरह की समझ को अभी हासिल कर लेना अच्छा है। याकूब ने कहा कि अगर आप में बुद्धि की कमी है (और हम सभी में इसकी कमी है), तो आप परमेश्वर से माँगें, और वह आपको उदारता से देगा। इसलिए माँगें !

मैं आप सभी को मेरी पुस्तक ‘परमेश्वर की इच्छा को जानना’ का अध्याय 6 पढ़ने के लिए उत्साहित करना चाहता हूँ। उसमें मैंने अनिश्चय से छुटकारा पाने, भूतकाल में किए गए फैसलों पर पछतावे से छुटकारा पाने, और गलतियाँ करने के डर से छुटकारा पाने के बारे में बात की है।

ऐसा व्यक्ति जो कभी कोई गलती नहीं करता, वह ऐसा व्यक्ति होता है जो कभी कुछ नहीं करता। स्वयं यीशु के अलावा, ऐसा कभी कोई व्यक्ति नहीं हुआ जिसने कोई गलती किए बिना परमेश्वर की सिद्ध इच्छा में चलना सीखा हो। “धर्मी मनुष्यों के क़दम प्रभु दृढ़ करता है... अगर वह गिरते हैं, तो भी वह उनके लिए घातक नहीं होगा, क्योंकि स्वयं प्रभु उनका हाथ थामे रहता है" (भज. 37:23,24 - लिविंग)। इसलिए गलतियाँ करने से न डरें। परमेश्वर आपको बड़ी गलतियाँ करने से बचाएगा।