द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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हम प्रकाशितवाक्य 9:1-11 में पढ़ते हैं : और जब पांचवे स्वर्गदूत ने तुरही फंकूी, तो मैंने स्वर्ग से पृथ्वी पर एक तारा गिरता हुआ दख्, और उसे अथाह कुण्ड की कुंजी दी गई। और उसने अथाह कुण्ड को खोला, और कुण्ड में से बड़ी भट्टी का सा धुआं उठा, और कुण्ड के धुएं से सूर्य और वायु अन्धयारी हो गई। और उस धुएं में से पृथ्वी पर टिड्डियां निकलीं, और उन्हें पृथ्वी के बिच्छुओं की सी शक्ति दी गई। और उनसे कहा गया, कि न पृथ्वी की घास को, न किसी हरियाली को, न किसी पेड़ को हानि पहुंचाओं, केवल उन मनुष्यों को जिनके माथे पर परमेश्वर की मुहर नहीं है। और उन्हें मार डालने का तो नहीं, पर पांच महीने तक लोगों को पीड़ा देने का अधिकार दिया गया; और उनकी पीड़ा एसेी थी, जैसे बिच्छू के डंक मारने से मनुष्य को हातेी है। उन दिनों में मनुष्य मृत्यु को ढंढूगे, और न पाएंगे और मरने की लालसा करेंगे, और मृत्यु उनसे भागेगी। और उन टिड्डियों के आकार लड़ाई के लिए तैयार किए हुए घोड़ों के से थे, और उनके सिरों पर मानों सोने के मुकुट थे; और उनके मुंह मनुष्यों के से थे। और उनके बाल स्त्रियों के से, और दांत सिंहों के से थे। और वे लोहे की सी झिलम पहने थे, और उनके पंखों का शब्द ऐसा था जैसा रथों और बहुत से घोड़ों का जो लड़ाई में दौड़ते हों। और उनकी पंछू बिच्छुओं की सी थीं, और उनमें डंक थे और उन्हें पांच महीने तक मनुष्यों को दुख पहुंचाने की जो सामर्थ थी, वह उनकी पूछं में थी। अथाह कुण्ड का दूत उन पर राजा था, उसका नाम इब्रानी में अबद्दोन, और यूनानी में अपुल्लयोन है।

यह तारा स्पष्टतः पतित दूत है अति संभवतः शैतान है। इस पतित दूत को अथाह कुण्ड की कुँजी दी गई थी जहाँ कुछ दुष्टआत्माओं को परमेश्वर के द्वारा बंदी बनाकर रखा गया है (जैसा की हम 1 पतरस 3:19 में पढ़ते है)। सभी दुष्टआत्माएँ वहाँ नहीं हैं। अधिकांश दुष्टआत्माओं को पृथ्वीभर में घूमने की स्वतंत्रता दी गई है। क्या आपको वह मनुष्य याद है जिसमे दुष्टआत्माओं की सेना थी जिससे यीशु मिला था? उस मनुष्य में बसने वाली दुष्ट आत्माओं ने यीशु से आग्रह किया कि वह उन्हें अथाह कुण्ड में न भेजे। यीशु ने उनकी विनती को सुन लिया और उन्हें 2000 सुअरों में जाने की आज्ञा दिया जो समुद्र में जा डूबे। परंतु एक दिन अथाह कुण्ड खोला जाएगा, और वे दुष्ट आत्माएँ जो वहाँ बंदी हैं वे पृथ्वी पर छोड़ी जाएँगी।

यह दंड का एक भाग है जिसकी परमेश्वर पृथ्वी पर अनुमति देने वाला है। जैसा कि वह उसके लोगों से कहेगा, ''तुम शैतान की सलाह पर चलना चाहते थे। तुम मेरे शब्दों की बजाए शैतान की बातें मानना चाहते थे। ठीक है। ये तुम्हारे वे मित्र हैं जो तुमसे मिलने आएँगे, वे सब अथाह कुण्ड से हैं।'' आप यहाँ इसी बात को देखते हैं।

कुण्ड का धुआँ अशुद्ध आत्माओं की गंदगी है। टिड्डियाँ दुष्टआत्माएँ हैं जिन्हें शक्ति दी गई है कि वे मनुष्यों के विचारों को जहरीला बनाएँ और उसी तरह से पीड़ित करें जैसे पृथ्वी के बिच्छुओं को मनुष्यों के शरीरों को जहरीला बनाने की शक्ति दी गई है। इन दुष्टआत्माओं के द्वारा दी जाने वाली पीड़ा इतनी बुरी होगी कि लोग मरना चाहेंगे। परंतु वे आत्महत्या नहीं कर पाएँगे।

दुष्टआत्माओं का वर्णन डरावना है - डरावने चेहरे, पागल स्त्री के उड़ते बालों के समान बाल और सिंह के दाँत - ये सब चित्रण हमें बताते हैं कि उनके लिये यह कितनी भयानक बात होगी जो इन दुष्टआत्माओं के द्वारा पीड़ित किये जाएँगे। परंतु, उन्हें केवल मनुष्यों को ही पीड़ित करने की अनुमति दी गई है कि वे उन्हें पाँच महिनों के लिये ही क्यों? क्योंकि परमेश्वर दयालु है।

मत्ती 18:23-35 में यीशु ने एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताया जिसका एक राजा के द्वारा 40 मिलियन रुपयों का कर्ज माफ किया गया, और जिसने अपने एक दास का मात्र 40 रुपयों का कर्ज माफ नहीं किया। इस क्रूर व्यक्ति ने अपने संगी दास का गला पकड़ कर कहा, ''मेरा कर्ज अदा कर।'' और जब राजा ने यह बात सुना तो वह क्रोधित हो गया और उसने उस क्रूर दास को दंडित करने वालों के हांथों कर दिया। वे पीड़ित करने वाले लोग उन दुष्टआत्माओं के प्रतीक हैं जिन्हें आज क्रूर विश्वासियों को पीड़ित करने की अनुमति दी गई है। क्योंकि यीशु ने कहा, "इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को हृदय से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है, तुमसे भी वैसा ही करेगा'' (पद 35)।