द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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गिनती 13 में हम देखते है कि जिस कनान देश को देने की प्रतिज्ञा परमेश्वर ने इस्राएलियों से की थी, वे उसकी सीमा पर कादेशबर्ने नामक स्थान में पहुंचे। उन्हें मिस्र छोड़े अब 2 साल हो चुके थे (व्यवस्थाविवरण 2:14)। और परमेश्वर ने उनसे कहा कि वे जाकर उस भूमि को अपने वश में कर ले। इस्राएलियों ने देश का भेद लेने के लिए 12 जासूसों को भेजा।

सभी 12 लोगों ने आकर यह कहा कि वह देश वास्तव में बहुत अद्भुत देश था। लेकिन उनमे से 10 ने यह कहा, “उस देश में बड़े डील-डौल वाले लोग रहते है, और हम उन पर विजयी नहीं हो सकते” (गिनती 13: 27,28,29)

लेकिन उनमें से दो – कालेब और यहोशू ने यह कहते हुए उत्तर दिया, “हम जिस भूमि से जासूसी करके गुजरे है वह बहुत ही अच्छी भूमि है। यदि प्रभु हमसे प्रसन्न हो तो हमको उस देश में, जिसमें दूध और मधु की धाराएँ बहती है, पहुँचाकर उसे हमें दे देगा”। प्रभु उन भीमकाय लोगों पर जय पाने में हमारी मदद करेगा (गिनती 14:6-9)। लेकिन 600,000 इस्राएली पुरुषों ने बहुमत की बात सुनी।

हम इससे क्या सीखते है? सबसे पहले यही कि बहुमत के साथ होना खतरनाक हो सकता है – क्योंकि बहुमत का चुनाव गलत ही होता है। यीशु ने कहा, “जीवन का मार्ग बहुत संकरा है, और थोड़े ही है जो उसे पाते है”। बहुमत फिर भी विनाश के चौड़े मार्ग में आगे बढ़ता रहेगा। इसलिए यदि आप बहुमत का अनुसरण करते हैं तो आप निश्चित रूप से विनाश के व्यापक रास्ते पर उनके साथ होंगे। कभी मत सोचो कि एक बड़ी कलीसिया एक आत्मिक कलीसिया है। यीशु की कलीसिया में केवल 11 सदस्य थे। जब दस अगुवे एक बात कहते हैं और दो उनसे विपरीत कहते हैं, तो आप किसका पक्ष लेंगे? परमेश्वर यहाँ इन दो लोगों की ओर थे - यहोशू और कालेब।

अविश्वास और शैतान बाकी के 10 लोगों की तरफ थे। लेकिन इस्राएलियों ने मूर्खतापूर्वक बहुमत का साथ दिया, और इस वजह से उन्हें अगले 38 साल तक और जंगल में भटकना पड़ा था। उनमें यह परखने की क्षमता नहीं थी कि परमेश्वर किसके साथ था! एक व्यक्ति और उसके साथ परमेश्वर मिलकर सबसे बड़े बहुमत से भी बढ़कर होते है – इसलिए मैं तो हमेशा परमेश्वर की ओर रहना ही पसंद करूंगा। निर्गमन 32 में हमने देखा था कि परमेश्वर एक मनुष्य, मूसा की तरफ था, जबकि पूरा इस्राइल सोने के बछड़े की आराधना कर रहा था। लेकिन बाकी सभी गोत्रों मे से सिर्फ लेवी का गोत्र यह देख सका। और जब कि परमेश्वर कालेब और यहोशू की ओर था तो लेवी का गोत्र भी यह नहीं देख सका था!

इस सब बातों में आज हमारे सीखने के लिए कुछ पाठ रखे है। सामान्य रूप में मसीहियत समझौते व सांसारिकता से भरी हुई है। परमेश्वर यहाँ-वहाँ कुछ लोगों को खड़ा करता है जो कोई समझौते किए बिना परमेश्वर के वचन के सत्य के लिए खड़े रहते है। अगर आप में परख का आत्मा है, तो आप जान लेंगे कि परमेश्वर उन थोड़े से लोगों के साथ है, और फिर आप बहुमत के खिलाफ होकर उनके साथ खड़े रहेंगे। और आप उनके साथ प्रतिज्ञा के देश में प्रवेश करने पाएंगे।

आप उस मनुष्य को कैसे पहचानेगे जिसके साथ परमेश्वर खड़ा है? वह व्यक्ति विश्वास की भाषा बोलेगा। यहोशू और कालेब ने विश्वास की भाषा बोली : “हम जय पाएंगे”। हम क्रोध, लैंगिक वासना, ईर्ष्या, कुड्कूड़ाहट, धन के प्रेम इत्यादि भीमकाय शत्रुओं पर जय पा सकते है। हम शैतान पर जय पा सकते है। परमेश्वर शैतान को हमारे पैरों तले कर देगा – यह उस मनुष्य की भाषा है जिसके पास परमेश्वर खड़ा है।