द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   चेले
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आत्मिक उन्नति:
इफिसियों 4 :3,13 में पौलूस शरीर में एकता की आवश्यकता के बारे में बताता है। वह कहता है कि
विश्वासियों के रूप में, हम सभी को “जब तक हम विश्वास की एकता प्राप्त नहीं कर लेते तब तक आत्मा की एकता रखने का यत्न करें”। ऐसे कई क्षेत्र हो सकते है जहां विश्वासी एक समान नहीं देख पाते है। आप मेरे विचार से सहमत नहीं होंगे कि मसीह द्वारा कलीसिया को अपने लिए ले जाने से पहले कलीसिया सताव से गुज़रेगी। आप सोच सकते है कि मसीह विपत्ति से पहले आएगा। इस तरह राय में अन्य मतभेद हो सकते है। हमने विश्वास के सभी मामलों में एकता प्राप्त नहीं की है। लेकिन जब तक हम ऐसा नहीं कर पाते है, तब तक हमें आत्मा में एकजुट होना हैं। हमें आत्मा में एकजुट होने के लिए, विश्वास के सभी मामलों में एकजुट होने तक का इंतजार नहीं करना है।

हम धीरे-धीरे “और एक सिद्ध मनुष्य बन जाए और मसीह के पूरे डील-डौल तक बढ़ जाए” (इफिसियों 4:13)। हमारा लक्ष्य खुद को बढ़ाना और दूसरों की इस पूर्णता में बढ़ने में मदद करना होना चाहिए। हमें बच्चों के समान नहीं रहना चाहिए “जो मनुष्यों की ढग-विध्या और चतुराई से, उन के भ्रम की युक्तियों के और उपदेश के हर एक झोंके से उछाले और इधर उधर घुमाए जाते हों” (इफिसियों 4:14)।

परमेश्वर हमें धोखाधड़ी और झूठी शिक्षा के संपर्क में आने की अनुमति देता है ताकि हम परख में बढ़ सकें। अन्यथा हमारी परख की समझ विकसित नहीं होगी। यही कारण है कि परमेश्वर इतने सारे धोखेबाज और झूठे भविष्यवक्ताओं को ईसाईजगत में घूमने के लिए अनुमति देता है। इस प्रकार हम यह परखने में सक्षम होंगे कि किसकी आत्मा सही है और किसकी नहीं है। हमें दूसरों का न्याय नहीं करना है। लेकिन हमें परखना चाहिए। तब हमारी आत्मिक इंद्रियों का प्रयोग होगा। इफिसियों 4:15 में, हमें “प्रेम में सच्चाई से चलते हुए मसीह में बढ़ते जाने” का आग्रह किया गया है। यहाँ पर सच्चाई और प्रेम के बीच संतुलन पर ध्यान दे। क्या हमें सच बोलना चाहिए? हाँ। हमेशा। लेकिन क्या हमें इसे किसी भी तरह से बोलने की अनुमति है? नहीं। हमें प्रेम में सच बोलना चाहिए। यदि आप प्रेम में सच्चाई नहीं बोल सकते हैं, तो आपको तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि आप लोगों के लिए सच बोलने के लिए पर्याप्त प्रेम प्राप्त न करें। प्रेम वह बोर्ड है जिस पर आप सच्चाई की कलम का उपयोग कर सकते है। यदि आप सत्य को बिना बोर्ड के लिखने का प्रयास करते हैं, तो आप केवल पतली हवा में लिखेंगे। तब आप जो लिख रहे हैं उसे कोई भी समझ नहीं पाएगा। इस तरह पुलपीट और हमारे निजी बातचीत में हमेशा प्रेम में सच्चाई बोलने द्वारा हम “"उन सभी बातों उसमें, जो सिर है अर्थात मसीह में बढ़ते जाए”’।

संगति:
इफिसियों 4:16 में, पौलूस सारे देह के बारे में बताता है,“जिससे सारी देह, हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर और एक साथ गठकर, उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक अंग के ठीक-ठीक कार्य करने के द्वारा उस में होता है”। यहाँ जोड़े संगति को दर्शाता है। गौर करें कि आपके पास केवल एक हाथ में कितने जोड़ हैं। कंधे पर एक जोड़, कलाई पर एक, और फिर प्रत्येक उंगली में तीन – कम से कम 17। यह जोडे है जो आपकी बांह को स्वतंत्र रूप से काम करने देती है। यदि आपके पास एक मजबूत ऊपरी भुजा और एक मजबूत निचली बांह है, लेकिन यदि आपकी कोहनी कठोर है, तो आप उस हाथ से क्या कर सकते हो? कुछ भी तो नहीं। यह केवल ताकत नहीं है जो आपकी बांह को उपयोगी बनाती है। यह जोड़ों द्वारा काम कर रहा है। इस पर अब मसीह की देह से जोड़ कर विचार करें। यहाँ एक अच्छा भाई है, जो एक मजबूत ऊपरी भुजा है और यहाँ एक और अच्छा भाई है, जो कि एक मजबूत निचली बांह है। लेकिन वे एक दूसरे के साथ मिलकर संगति नहीं कर सकते है। आज मसीह की देह में यह त्रासदी है। मानव शरीर में इसे आर्थराईटीस (गठिया) कहा जाता है जो कि बहुत दर्दनाक है। बहुत से स्थानीय कलीसियाओं में आर्थराईटीस है। जब हमारे जोड़ ठीक से काम करते हैं, तो कोई शोर नहीं होता है। लेकिन जब एक शरीर में आर्थराईटीस होता है, तो यह एक दूसरे से घिसता है और हर कदम एक अस्वास्थ्यकर शोर पैदा करता है। जो कुछ विश्वासियों के बीच “संगति” कहलाता है, वही यह है। यह एक दूसरे के साथ घिसता है। लेकिन जब जोड़ अच्छी तरह से काम करते हैं, तो कोई शोर नहीं होता है। एक दूसरे के साथ हमारी संगति इस तरह होनी चाहिए। यदि यह आपके साथ ऐसा नहीं हैं, तो आपको आर्थराईटीस के लिए कुछ दवाई लेने की आवश्यकता है: अपने “आत्म-जीवन” में मर जाए। तब आप चंगे हो जाएँगे और दूसरों के साथ आपकी सहभागिता महिमामय होगी। यही मसीह के देह में परमेश्वर की इच्छा है।