द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   परमेश्वर को जानना चेले
WFTW Body: 

जब हमारा बपतिस्मा होता है, तब हमें यह भरोसा होता है कि हमें पानी में डुबकी देने वाला व्यक्ति हमें डुबाएगा नहीं बल्कि हमें पानी में से बाहर भी निकाल लेगा। हमारे जीवन के सभी हालातों में हमें परमेश्वर में भी ऐसा ही विश्वास (भरोसा) होना चाहिए। जब वह कोई ऐसी हालात तैयार करता है जिसमें हमें अपनी खुदी में मरना होता है, या जिसमें हम दूसरों द्वारा “क्रूसित" किए जा रहे हों, तो उसके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मानवीय पात्रों से आगे देखते हुए हमें स्वयं परमेश्वर को देखना चाहिए।

जिनके हृदय शुद्ध हैं, यीशु ने कहा, वे किसी मानवीय पात्र को नहीं बल्कि सिर्फ परमेश्वर को ही देखते हैं (मत्ती 5:8)। जब हम सिर्फ उन लोगों को देखते हैं जो हमें क्रूसित करते हैं, तो यह इस बात का संकेत होता है कि हमारे हृदय शुद्ध नहीं हैं। तब हम उन लोगों के खिलाफ शिकायत करेंगे।

लेकिन जब हमारे हृदय शुद्ध होंगे, तब हम सिर्फ परमेश्वर को ही देखेंगे, और तब (पानी के बपतिस्मे की ही तरह) हमें यह भरोसा होगा कि जो हमें मृत्यु में डूबने देता है वह हमें जिलाएगा भी। "अगर हम उसके साथ मर चुके हैं, तो उसके साथ जीएंगे भी" (2 तीमु. 2:11)। फिर हम विश्वास में (परमेश्वर में भरोसे में) मर जाते हैं। तब हम एक महिमामय जी-उठे जीवन में प्रवेश पा लेते हैं। वर्ना हम हमेशा हारे हुए उसी आदम के जीवन में जीते रहेंगे जिसमें हम आरंभ से जीते आए हैं। जब हम अपनी खुदी में मरने से इनकार कर देते हैं, तब यह इस बात का संकेत होता है कि हममें परमेश्वर में विश्वास (भरोसा) नहीं है।

विश्वास वाले व्यक्ति का मन एक लक्षी होता है, जैसा कि हम याकूब 1: 6-8 में पढ़ते हैं। ऐसे व्यक्ति का उसके जीवन में सिर्फ एक ही लक्ष्य होता है परमेश्वर को प्रसन्न करना और उसकी महिमा करना। सिर्फ ऐसे व्यक्ति के लिए ही यह कहा जा सकता है कि वह विश्वास से जीने वाला व्यक्ति है क्योंकि वह इस सच्चाई के अहसास में जीता है कि सिर्फ अनदेखी बातें ही वे बातें हैं जिनका अनन्त मूल्य है। दूसरे शब्दों में, जो परमेश्वर का वचन कहता है, वह उन बातों पर विश्वास करता है।

अनेक "विश्वासी" यीशु में सिर्फ इसलिए विश्वास करते हैं क्योंकि वे नर्क में नहीं जाना चाहते। लेकिन वे विश्वास से नहीं जीते। वे इस बात से आश्वस्त नहीं होते कि परमेश्वर ने जो कुछ उसके वचन में कहा है, वह सच है। वे यह विश्वास नहीं करते कि उनके जीवनों में उन्होंने जो कुछ किया और बोला है, उन्हें परमेश्वर को उसका लेखा देना होगा। वे यह विश्वास नहीं करते कि अगर वे अपने आपको प्रसन्न करने के लिए जीएंगे, और इस संसार के भोग-विलास का आनन्द उठाएंगे और धन के पीछे भागेंगे, तो इस संसार को छोड़ने के बाद उन्हें अनन्त में पछताते रहना पड़ेगा।

वह धनवान जो मर कर अधोलोक में चला गया था (जिसके बारे में यीशु ने बताया था), मरते ही पछताने लगा था, और यह चाहने लगा था कि कोई जाकर उसके भाइयों को चेतावनी दे दे कि उसने पृथ्वी पर प्रतिदिन मन-फिराव का जीवन न बिताने की जो ग़लती की थी, उसके भाई भी वही गलती न करें (लूका 16:28. 30)। हम सभी इस पृथ्वी पर एक परखे जाने के समय में हैं, और परमेश्वर यह देखने के लिए हमें परख रहा है कि क्या हम, जानवरों की तरह, इस पृथ्वी की धूल (मिट जाने वाली बातों) के लिए जीएंगे, या फिर परमेश्वर के पुत्रों के रूप में उन बातों के लिए जीएंगे जो अनन्त के लिए है और जिस जीवन के विशिष्ट लक्षण भलाई, प्रेम, पूर्ण शुद्धता, नम्रता आदि होते हैं।

ऐसा हो कि प्रभु आपको वह अनुग्रह दे कि आप अनन्त की बातों के लिए अपना जीवन बिताएं।