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शैतान की पहली युक्ति हव्वा को इस बात में भरमाने में थी कि परमेश्वर वह नहीं करेगा जो उसने करने के लिए कहा है (उत्पत्ति 3:1-6 )। उसने उससे कहा, "तुम निश्चय नहीं मरोगे।" वह हव्वा को इस तरह ही पाप के मार्ग में ले जाने में सफल हुआ था। वह आज भी यही तरीका इस्तेमाल करता है। परमेश्वर का वचन कहता है कि वे विश्वासी “जो शरीर के अनुसार जीवन बिताते हैं, उन्हें अवश्य ही मरना है" (रोमियों 8:13)। लेकिन शैतान कहता है, “तुम निश्चय नहीं मरोगे।" और ज़्यादातर विश्वासी उसकी बात मानते हैं और अपना जीवन पाप में बिताते रहते हैं।

कितने लोग वास्तव में यह विश्वास करते हैं कि एक स्त्री की तरफ कामुक दृष्टि से देखने की बजाय यह ज्यादा अच्छा है कि अपनी आँख निकाल कर अंधे हो जाएं; और यह कि कोई लैंगिक पाप करने की बजाय यह ज्यादा अच्छा है कि अपना दाहिना हाथ काट दिया जाए।

कितने लोग वास्तव में यह विश्वास करते हैं कि जो क्रोध करने को और लैगिक पाप को गंभीर पाप नहीं मानते, वे अंततः नर्क में चले जाएंगे (मत्ती 5:22-30)?

कितने लोग यह मानते हैं कि परमेश्वर के वचन का पालन न करना और एक अविश्वासी से विवाह कर लेना परमेश्वर को चुनौती देने के समान है (2 कुरि. 6:14)?

ऐसे कितने लोग हैं जिनका यह विश्वास है कि जिनके हृदय शुद्ध हैं सिर्फ वे ही परमेश्वर को देखेंगे (मत्ती 5:8)?

कितने लोग यह मानते हैं कि अगर वे सब लोगों के साथ मेलमिलाप नहीं रखेंगे और पवित्रता के खोजी नहीं होंगे तो प्रभु को नहीं देख सकेंगे (इब्रा. 12:14)?

ऐसे लोग कितने हैं जो यह विश्वास करते हैं कि जो भी निकम्मी बात वे अपने मुख से बोलेंगे, न्याय के दिन वे उसका लेखा देंगे (मत्ती 12:36,37)? जगत में ऐसे बहुत ही कम विश्वासी हैं जो परमेश्वर के इन वचनों पर विश्वास करते हैं। शैतान ने मसीही जगत में उसका भरमाने का ऐसा काम कर रखा है। इसका नतीजा यह हुआ है कि ज़्यादातर विश्वासियों में से परमेश्वर का भय और परमेश्वर की चेतावनियाओं का भय लुप्त हो गया हैं। वे पाप के साथ तब तक मूर्खतापूर्वक व्यवहार करते रहते हैं जब तक कि शैतान उन्हें पूरी तरह नाश नहीं कर देता है।

परमेश्वर ऐसे लोगों पर दृष्टि करता है जो आत्मा में दीन हैं और परमेश्वर के वचन आगे थरथराते हैं (यशायाह 66:1,2)। हमें परमेश्वर के वचन में दी गई हरेक चेतावनी के आगे थरथराना चाहिए। यही इस बात का सबूत होगा कि हममें वास्तव में परमेश्वर का भय है। सिर्फ वे लोग ही अंत में मसीह की देह का हिस्सा होंगे जो परमेश्वर के भय में पवित्रता को सिद्ध कर रहे हैं (2 कुरिन्थियों 7:1)। सिर्फ जय पाने वाले ही दूसरी मृत्यु (आग की झील) से बचाए जाएंगे, और उनके पास यह अधिकार होगा कि वे जीवन के वृक्ष में से खा सकें (प्रका. 2:7, 11)। पवित्र आत्मा सभी कलीसियाओं से यही कह रहा है। लेकिन जिनके सुनने के कान हैं, उन लोगों की संख्या बहुत ही कम है।