द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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हमारे भूतकाल के पापों की क्षमा हमारी सबसे पहली और निरंतर आवश्यकता है। हमारे पापों के दोष को परमेश्वर द्वारा पापों के दंड का पूर्ण भुगतान किए बिना किसी और तरीके से हटाया नहीं जा सकता था। "बिना लहू बहाए पापों की क्षमा नहीं। (इब्रानियों 9:22)।

जब मसीह ने कलवरी क्रूस पर अपना लहू बहाया, तो उसने किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए हर पाप की माफी मोल ली। लेकिन यह क्षमा केवल तभी हमारी बन पाती है जब हम इसे ग्रहण करते हैं। मसीह के लहू के द्वारा अब हमारे पास सभी पापों की क्षमा है, अगर हम ईमानदारी से हमारे पापों (मन फिराकर) से मुड़ते हैं, उस पर भरोसा करते हैं, और वह क्षमा प्राप्त करते हैं जो परमेश्वर प्रदान करता है।

मसीह का लहू हमें धर्मी भी ठहरता है (रोमियों 5: 9)। यह सिर्फ क्षमा किए जाने से बढ़कर है। यह धर्मी घोषित किए जाने की तरह है, जैसे कि हमने अपने पूरे जीवनकाल में कभी पाप नहीं किया था। परमेश्वर की प्रतिज्ञा यह है कि "वह अब हमारे पापों को फिर स्मरण नहीं करेगा" (इब्रानियों 8:12)। इसका मतलब यह है कि वह हमें ऐसे देखता है जैसे हमने कभी पाप ही नहीं किया। यह धर्मी ठहराए जाने का अर्थ है। ऐसी है मसीह के लहू की सामर्थ। बहुत से विश्वासी अपने भूतकाल के पापों को लेकर निरंतर दोष भावना के साथ जीवन व्यतीत करते हैं, क्योंकि शैतान ने उनसे यह तथ्य छिपा रखा है कि परमेश्वर ने उन्हें मसीह के लहू के द्वारा धर्मी ठहराया है।

मसीह के लहू के द्वारा हम छुड़ाए गए है (1 पतरस 1:18)। इसका मतलब है कि हमें पाप की गुलामी के बाजार से खरीदा गया है। कलवरी पर मसीह ने जो लहू बहाया था वह छुड़ौती का वह मूल्य था जिसे यीशु ने परमेश्वर के पवित्र व्यवस्था की मांगों को पूरा करने के लिए चुकाया था, ताकि हम स्वतंत्र हो सकें और अब आगे को दासत्व में न रहें। हम स्वतंत्र होने के लिए जन्मे हैं। हमें अब शैतान या मनुष्यों या दंड की आज्ञा या दोष या पाप के भय के गुलाम होने की आवश्यकता नहीं है।

मसीह के लहू के द्वारा, हम भी परमेश्वर की उपस्थिति में लाए गए है (इफिसियों 2:13)। परमेश्वर अगम्य ज्योति में वास करता है जिसमें कोई मनुष्य प्रवेश नहीं कर सकता। हमारे जीवन के अंत तक उसकी उपस्थिति में आने का एकमात्र तरीका उसका लहू है। हालांकि हम कितने ही संत क्यों न बन गए हो लेकिन परमेश्वर की उपस्थिति तक हमारी पहुंच हमेशा मसीह के लहू के द्वारा ही होगी। बहुत से विश्वासी इस बात को भूल जाते है जब उन्हें सचेतन के (जान बुझ कर किए जाने वाले) पापों पर विजय प्राप्त हो जाती हैं और अन्ततः वे फरीसी बन जाते है।

कलवरी क्रूस पर लहू बहाने के द्वारा, मसीह ने परमेश्वर के साथ शांति स्थापित की है (कुलुस्सियों 1:20)। परमेश्वर अब हमारे लिए दुश्मन नहीं है। यह एक तथ्य है जिसे हमारे दिमाग में दृढ़ता से स्थापित करने की आवश्यकता है। बहुत से विश्वासी इस भावना के साथ जीवन जीते है कि परमेश्वर लगातार उनके साथ नाखुश हैं और हमेशा उन पर क्रोधित है। यह शैतान का झूठ है, जो विश्वासियों को दोष की भावना में लाने और उनके आत्मिक विकास में बाधा डालने के लिए तैयार किया गया है। मसीह के लहू के द्वारा हम परमेश्वर के दोस्त बन गए हैं। जब तक हम इस पर विश्वास नहीं करेंगे, तब तक हम कभी भी आत्मिक उन्नति नहीं कर पाएंगे।

जब हम ज्योति में चलते हैं तो मसीह का लहू भी हमें सभी पापों से शुद्ध करता है (1 यूहन्ना 1: 7)। ज्योति में चलना, सभी सचेत पापों पर विजय में चलने के बराबर है। लेकिन तब भी जब हम सचेतन के पापों के ऊपर जय पाकर जीवन जीते है तौभी हम सभों के अंदर हमारे अचेतन में नाना प्रकार के पाप रहते है। यही कारण है कि यूहन्ना कहता है, "यदि हम कहें कि हम में कोई पाप नहीं है, तो हम खुद को धोखा देते हैं" (पद 8)।

ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि हमारे पास एक शरीर है, जिससे हम अचेत अवस्था में पाप करते हैं लेकिन क्योंकि हम कई वर्षों से सचेत स्वार्थ में रहें हैं -उद्धार पाने से पहले और बाद में भी। यीशु के पास ठीक वैसा ही शरीर था जैसा हमारे पास है। लेकिन क्योंकि वह किसी भी समय स्वार्थ में कभी नहीं रहा, उसने कभी भी एक बार भी अचेत अवस्था में पाप नहीं किया। उसमें कोई भी पाप नहीं था (1 यूहन्ना 3: 5)।

हमारे अचेत पाप (जो शुरू में हमारे कुल पापों में से लगभग 90% का गठन करते हैं) लगातार मसीह के लहू के द्वारा शुद्ध होते हैं, ताकि हम पिता के साथ निरंतर और बिना टूटे संगति कर सकते है।

मसीह के लहू के द्वारा हम शैतान और उसके आरोपों पर भी विजय प्राप्त करते हैं (प्रकाशितवाक्य 12:11)। शैतान हम पर निरंतर दोष लगाता है परमेश्वर के सामने, दूसरे लोगों के सामने और हमारे सामने भी। लेकिन हम उसके आरोपों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं ("हमारी गवाही के शब्द द्वारा") कि हमें क्षमा किया गया है, धर्मी ठहराया गया है, छुड़ाया गया है, परमेश्वर के पास लाया गया है, परमेश्वर के साथ शांति के लिए लाया गया है और मसीह के लहू से शुद्ध किया गया है। शैतान की अब कोई सामर्थ्य हमारे ऊपर नहीं है।

हमे मसीह के लहू की आव्यशकता है स्वयं को प्रतिदिन शुद्ध करने के लिए, क्योंकि हम सभी प्रतिदिन अचेतन रूप से पाप करते हैं और कई विश्वासी सचेत रुप में भी पाप करते है।