द्वारा लिखित :   जैक पूनन
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इफिसियों के मसीहियों को लिखी पौलूस की पत्री विश्वासियों के मसीह में एक देह होने के महान सत्य पर केन्द्रित है। मसीह कलीसिया का सिर है, और कलीसिया उसकी देह है (इफिसियों 1:22,23)। हरेक विश्वासी इस देह का अंग है। इफिसियों को लिखी पत्री का पहला अर्धभाग मसीह की देह के सिंद्धांत के बारे में है। पत्री का दूसरा अर्धभाग इस सत्य के व्यावहारिक तौर पर बाहर काम करने के बारे में है। दूसरा अर्धभाग इस तरह से शुरू होता है: “इसलिए...जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए हो उसके योग्य चाल चलो, अर्थात सम्पूर्ण दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक-दूसरे के प्रति सहनशीलता प्रकट करो, और यत्न करो कि मेल के बंधन में आत्मा की एकता सुरक्षित रहें...एक देह है (जिसके हम सब अंग है)” (इफिसियों 4:1-4)। दूसरे शब्दों में, जब एक व्यक्ति ने कलीसिया के मसीह की एक देह होने के सत्य को समझा और “देख” लिया होता है, तो उसे अपने साथी-विश्वासियों के साथ सम्पूर्ण दीनता, नम्रता, धीरज, प्रेम और सहनशीलता के साथ चलने की जरूरत होती है। जब एक मसीही इस तरह नहीं चलता, तो यह दर्शाता है कि उसने मसीह की देह को नहीं देखा है।

कुरिन्थियों की कलीसिया को पौलूस ने लिखा,“तुम सब मिलकर मसीह की देह हो, और अलग-अलग उसके अंग हो” (1 कुरिन्थियों 12:27)। यह सच है कि कुरिन्थियों के पहले शताब्दी के मसीही, वैश्विक स्तर पर भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल के विश्वाससियों के उन समूहों का एक छोटा हिस्सा थे जो मसीह की देह तैयार करते है, लेकिन फिर भी उन्हें स्थानीय स्तर पर कुरिन्थियों में उस देह की अभिव्यक्ति होना था। हर युग में और हर जगह विश्वासियों के हर समूह की यह बुलाहट होती है। परमेश्वर की यह इच्छा है कि प्रत्येक मसीही संगति, चाहे वह कलीसिया हो, संस्था हो या सेवको का संघ हो, वह मसीह की देह की संसार के सामने एक दृश्य अभिव्यक्ति हो।

“अगर पैर कहे, ‘मैं हाथ नहीं, इसलिए मैं देह का अंग नहीं”, तो क्या वह इस कारण देह का अंग नहीं? और यदि आप एक कान को यह कहता सुने, ‘मैं सिर्फ एक कान हूँ आँख नहीं, इसलिए मैं देह का अंग नहीं?” क्या इससे वह शरीर का कोई कम हिस्सा बन जाएगा? या यदि आपकी पूरी देह सिर्फ एक आँख होती तो आप कैसे सुन पाते? या अगर आपकी पूरी देह सिर्फ एक बड़ा कान ही होती, तो आप कैसे सूंघते? लेकिन परमेश्वर ने हमारी रचना इस तरह नहीं की है। उसने हमारी देह के बहुत से अंग बनाए है और उसने प्रत्येक अंग को वही रखा है जहां वह उसे रखना चाहता था। एक देह में यदि सिर्फ एक ही अंग होता तो वह कितनी विचित्र नजर आती! इसलिए उसने उसके बहुत से अंग बनाए, लेकिन फिर भी सिर्फ एक ही देह है” (1 कुरिन्थियों 12:15-20 टी.एल.बी.)

मसीह की देह में अपनी तुलना किसी दूसरे से करना – चाहे सकारात्मक रूप में या नकारात्मक रूप में – वह हमेशा ही हानिकारक होता है। ऐसी तुलना से घमंड पैदा हो सकता है – या निराशा और ईर्ष्या भी पैदा हो सकती है। जब पैर अपनी तुलना हाथ से करने लगेगा, तो वह कहेगा, “देह में मेरा काम हाथ के काम जितना महत्वपूर्ण नहीं है। देह के सबसे निचले भाग में मैं ज़्यादातर मोजे और जूतों से ढंका रहता हूँ, और मेरी मौजूदगी का भी ज्यादा लोगों को अहसास नहीं होता। लेकिन हाथ पर सबका रोज ध्यान रहता है। वह हर समय कुछ-न-कुछ करने में व्यस्त रहता है लेकिन मैं ज़्यादातर निष्क्रिय ही रहता हूँ”। और एक बार इस तरह तुलना कर लेने के बाद, वह निराश हो जाने और परमेश्वर के खिलाफ एक ऐसी आत्मा के वश में हो जाने से सिर्फ एक कदम की ही दूरी पर होता है, जहां पहुँच कर वह यह शिकायत करेगा कि उसे हाथ न बनाकर पाँव क्यों बनाया। ऐसी आत्मा अनेक विश्वासियों की सारी योग्यता खत्म कर देती है और फिर वे मसीह की देह की मजबूती और भलाई के लिए कुछ भी नहीं कर पाते। आज यीशु मसीह की कलीसिया का इसलिए नुकसान हो रहा है क्योंकि विश्वासियों का बड़ा समूह कोई शानदार वरदान पाने की अभिलाषा कर रहे है। जब वे ऐसा कोई वरदान नहीं पाते, तो वे कुछ भी न करने का चुनाव करते है।

अगर हम सिर्फ मसीह की देह को देख पाते, तो हममें ईर्ष्या के लिए कोई जगह न रहती। मानवीय देह में पैर को सिर्फ पैर होने में कोई मुश्किल नहीं होती। उसमे पैर के अलावा कुछ ओर होने की कोई अभिलाषा नहीं होती और वह कभी हाथ बन जाने का सपना नहीं देखता है। वह पैर होने से ही संतुष्ट रहता है। वह जानता है कि परमेश्वर ने उसे पैर बनाकर कोई गलती नहीं की है। वह पैर होने में आनंदित रहता है और वह हाथ द्वारा किए जानेवाले कामों को देख कर भी आनंदित होता है, हालांकि वह जानता है कि वह कभी उस तरह का कोई काम नहीं कर सकेगा। ऐसा ही उन सबके साथ भी होगा जिन्होने मसीह की देह को “देख” लिया है। जब आप किसी दूसरे से ईर्ष्या करते है या जब आप परमेश्वर द्वारा किसी दूसरे अंग को भरपुरी से इस्तेमाल करते हुए देख कर पूरे हृदय से आनंदित नहीं होते, तो यह स्पष्ट है कि आपने इस सत्य को बिलकुल भी नहीं समझा है। जो अंग सिर के साथ एक नजदीकी सहभागिता में रहता है, वह मसीह की देह के दूसरे अंग को सम्मानित होता देख कर आनंदित और प्रसन्न होता है (1 कुरिन्थियों 12:26)

मसीह की देह के एक अंग और दूसरे अंग के बीच प्रतियोगिता की कोई भी जगह नहीं होती। मसीह की देह का नियम - स्पर्धा नहीं बल्कि सहयोग है। जब आप किसी दूसरे को योग्यता-पूर्वक एक सेवकाई को पूरा करता देखते है और आप दूसरों को यह दिखाने की योजना बनाते है कि आप भी (उनसे बेहतर नहीं तो) वैसा ही कर दिखाएंगे, तो यह स्पष्ट है कि आपका स्वयं अब भी आपके जीवन के केंद्र में है। अगर आप सिर की अधीनता में रह रहे होते, तो आप देह में कभी किसी के साथ कोई प्रतियोगिता नहीं करते। इसकी बजाय, आप सिर्फ अपने खास काम पर, बल्कि उसे और अच्छी तरह करने पर ध्यान देते। यदि हम परमेश्वर की सिद्ध बुद्धि में विश्वास करते है, तो हम इस बात को समझ लेंगे कि परमेश्वर ही बेहतर जानता है कि हममें से प्रत्येक को क्या वरदान देना है। तब दूसरों के दान-वरदान के प्रति कोई शिकायत, निराशा या ईर्ष्या से भरी लालसा नहीं होगी।

मसीह की देह में परमेश्वर द्वारा तय की गई विविधता है। परमेश्वर हमारे विभिन्न मन-मिजाजों और दान-वरदानो को इस्तेमाल करता है ताकि जगत के सामने मसीह की देह का एक संतुलित चित्र प्रस्तुत किया जा सके। अपने आप में, हममें से प्रत्येक अपना सर्वश्रेष्ठ करने पर भी मसीह को एक विकृत असंतुलित रूप में ही चित्रित कर सकता है। किसी एक व्यक्ति की सेवकाई अपने आप में सिर्फ असंतुलित मसीही पैदा कर सकती है। हमें इस बात के लिए कितना धन्यवाद देना चाहिए कि मसीह की देह में विभिन्न बातों पर ज़ोर देने वाले और अलग-अलग मिजाज वाले दूसरे लोग भी है।