द्वारा लिखित :   जैक पूनन श्रेणियाँ :   चेले धार्मिक? आध्यात्मिक
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चाहे जो भी होता रहे, कभी किसी बात से निरुत्साहित न होना, क्योंकि अगर आप प्रभु को थामे रहेंगे, तो वह आपको हरेक हालात पर जय पाने में मदद करेगा चाहे वह कुछ भी हो। हरेक परीक्षा को परमेश्वर ने आपको इस योग्य बनाने - के लिए तैयार किया है कि आप उसे और अच्छी तरह जानें। इसी बिन्दु पर अविश्वासी और सांसारिक विश्वासी नाकाम हो जाते हैं। वे परमेश्वर की तरफ मन फिराने की बजाय संसार की तरफ फिर जाते हैं, और अपनी नाकामी व तकलीफ में आराम और तसल्ली पाने के लिए, वर्जित बातों को एक नुस्खे की तरह आज़माते हैं। आप कभी ऐसे तरीके न आज़माना। ऐसी बातों के गुलाम बन जाना बहुत आसान होता है जो शुरू में सुरक्षित नज़र आती हैं।

वे लोग सिद्धता हासिल नहीं करते जो कभी नाकाम नहीं होते, बल्कि वे जो अपनी नाकामियों को ईमानदारी से मान लेते हैं, और गिरने के फौरन बाद उठ खड़े होते हैं, और आगे बढ़ते रहते हैं।

हमारे सामने हमेशा "धार्मिक" बन जाने और उसे ही "आत्मिक" समझ लेने का ख़तरा बना रहता है। धार्मिक लोग बाहरी बातों से प्रभावित होते हैं - प्रभु के लिए बाहरी बलिदान, उन बाहरी रीतियों को पूरा करना जो उनकी इस समझ के साथ जुड़ी होती हैं कि वे कम-से-कम ऐसा क्या करें कि कलीसिया में, कलीसिया की गतिविधियों में, उनके बाहरी पहनावे में, वचन के बौद्धिक अध्ययन में (जिसमें उसका कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं होता), भावनात्मक सभाओं में (जिसमें भावुकतावाद को पवित्र आत्मा की सामर्थ्य मान लिया जाता है), और ऐसी ही दूसरी बातों में उनके नाम / जगह बनी रह सके। इनमें से कोई भी बात न तो गलत है और न ही गैर-ज़रूरी है। लेकिन धार्मिक लोगों के लिए ये गतिविधियाँ प्राथमिक बातें बन जाती हैं और वे इन्हें आत्मिक बातें समझने लगते हैं, और वे इस तरह धोखा खा जाते हैं।

लेकिन, जो लोग वास्तव में आत्मिक हैं, उनका ध्यान परमेश्वर को और ज़्यादा अच्छी तरह जानने पर लगा होता है, जो यीशु और अपने साथी विश्वासियों के लिए अपने प्रेम को सरगर्म बनाए रखना चाहते हैं, जो (परमेश्वर के लिए 'कुछ करने) की खोज में रहने की बजाय इस खोज में रहते हैं कि परमेश्वर उनसे क्या चाहता है, जो पवित्र आत्मा की सामर्थ्य की खोज में रहते हैं, और जो अपने कामों में से अपने स्वार्थी उद्देश्यों को दूर करते रहते हैं। धार्मिक लोग मण्डलियाँ बनाते हैं, आत्मिक लोग मसीह की देह बनाते हैं

परमेश्वर सारे जगत पर दृष्टि घुमा कर ऐसे पुरुषों को ढूँढ रहा है जो उसके लिए खड़े होंगे; जो उन फरीसियों की तरह नहीं होंगे जिनकी सत्य की समझ विकृत और असंतुलित थी, और जो मच्छरों को तो छानते थे लेकिन ऊँटों को निगल जाते थे। परमेश्वर ऐसे पुरुषों को ढूँढ रहा है जो उसके वचन के सिद्धान्तों के लिए दृढ़ता से खड़े होंगे। एलीशा, यूहन्ना बपतिस्मा, पौलुस, - मार्टिन लूथर, जॉन वैज़ली और ऐरिक लिडैल जैसे लोग जो उस बात पर अडिग रहते हुए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहे। परमेश्वर ऐसे सिद्धान्तवादी लोगों को ही स्वर्ग में बसाएगा । मैं प्रार्थना करता हूँ कि आपकी गिनती भी ऐसे लोगों में होगी। आपके पास। जीवन में परमेश्वर के लिए खड़े होने का पर्याप्त अवसर होगा। आप हर मौके पर ऐसा कर सकते हैं।

बीती सदियों में अनेक लोगों ने बाइबल का अंग्रेज़ी में अनुवाद करने में अपने जीवन बलिदान किए हैं, और उन्होंने सुसमाचार के संदेश की शुद्धता को बनाए रखा है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज ज़्यादातर विश्वासी अपने घरों में बाइबल पढ़ने में पाँच मिनट भी ख़र्च नहीं करते हैं, फिर उस पर चिंतन-मनन करना तो एक दूर की बात हो गई है। पिछली शताब्दियों के अनेक ईश्वरीय पुरुषों के पास बाइबल के सिद्धान्तों की शायद ऐसी साफ समझ नहीं थी जैसी आज हमारे पास है। लेकिन उनमें मसीह के प्रति ऐसा सरगर्म भक्तिभाव था जो इन दिनों में दुर्लभ है - और आख़िर में मसीही सिद्धान्तों की सही समझ नहीं, बल्कि यही निर्णायक बात होगी।

भूलना पाप जैसा गंभीर मामला नहीं है। लेकिन इस पर जय पा लेने से आप बहुत सी परेशानियों से बच सकते हैं। हमें सभी भुलक्कड़ होते हैं। अब मैं अपने इस भुलक्कड़पन पर जय पाने के लिए मेरे सारे ज़रूरी कामों को एक छोटी पॉकेट डायरी में लिख लेता हूँ जिसे मैं हर समय अपने पास रखता हूँ। जो बातें प्रभु मुझे बताता है, मैं उन्हें भी लिख लेता हूँ। मैंने यह जाना है कि अगर है मैं इन्हें नहीं लिखता, तो मैं अक्सर प्रभु की बोली हुई बातों को भूल जाता हूँ।